लोकसभा चुनाव में 12 मई को दिल्लीवासी अपने मताधिकार को इस्तेमाल करेंगे। जिसके लिए अभी से अलग अलग दलों के द्वारा दिल्ली में मुस्लिम मतदाताओं को रिझाने का खेल शुरू हो गया है। इसमें सबसे आगे कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के नेता चल रहे हैं जो कि मुस्लिम मतदाताओं को अपने पक्ष में लुभाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। इसी वजह से मुस्लिम बहुल इलाकों में दोनों दलों के नेता काफी मेहनत से प्रचार करने में लगे हुए हैं।
आपको बता दें कि दिल्ली में 7 लोकसभा सीटें हैं जिसमें से तीन सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या काफी ज्यादा है और वो किसी प्रत्याशी की जीत और हार को तय करने में अहम भूमिका निभाते हैं। ये तीन सीटें चांदनी चौक, उत्तर पूर्वी दिल्ली और पूर्वी दिल्ली की है। राजनीतिक विशेषज्ञों की अगर माने तो साल 2013 से पहले दिल्ली में मुस्लिम मतदाता कांग्रेस के साथ ही थे जिस वजह से करीब 15 सालों तक कांग्रेस पार्टी सत्ता में बनी रही थी। लेकिन आम आदमी पार्टी के गठन के बाद कांग्रेस का परंपरागत मुस्लिम वोटर भी केजरीवाल की तरफ खिसक गया था।
ऐसे में माना जा रहा है कि बीजेपी के कुछ वोटर टूट सकते हैं और जो मुस्लिम वोटर है वो कांग्रेस की तरफ रुख कर सकते हैं। क्योंकि ये वोटर बीजेपी के मुकाबले में अपना भविष्य किसी राष्ट्रीय दल में देख रहे हैं और कांग्रेस उनके लिए एक विकल्प बन सकता है। क्योंकि आम आदमी पार्टी क्षेत्रीय विकल्प के रूप में देखा जाता है।
गौरतलब है कि ऐसे में राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अगर दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ती तो यहां कि स्थिति कुछ और हो सकती थी। आपको बता दें कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 70 में से 67 सीटों पर जीत दर्ज की थी, तो वहीं 3 सीटें बीजेपी के खाते में गई थी जबकि कांग्रेस यहां पर खाता भी नहीं खोल सकी थी। इसके अलावा साल 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने क्लीन स्वीप किया था।
आपको बता दें कि उत्तर पूर्वी लोकसभा क्षेत्र में करीब 23 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं, जो कि सभी सीटों की तुलना में सबसे ज्यादा है, तो वहीं पूर्वी दिल्ली में 16%, चांदनी चौक में 14%, नॉर्थ वेस्ट 10%, दक्षिणी दिल्ली 7%, वेस्ट दिल्ली 6% और नई दिल्ली में 5% मुसलिम मतदाता है।