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सियाचिन ग्लेशियर को लेकर अक्सर चर्चा होती रहती है। एक ओर भारत की सेना तो दूसरी ओर पाकिस्तान की सेना यहां हमेशा आंख गड़ाए बैठी हुई नजर आ जाती है।

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पाकिस्तान के साथ इस युद्ध में जब भारत ने अमेरिका को भी दी मात

1965 में पाकिस्तान ने भारत पर आक्रमण कर दिया था। पाकिस्तान की निगाहें कश्मीर पर थीं। उसने गुजरात के कच्छ की ओर से भारत पर हमला किया था।
Information Anupam Kumari 31 July 2020
पाकिस्तान के साथ इस युद्ध में जब भारत ने अमेरिका को भी दी मात

1965 में पाकिस्तान ने भारत पर आक्रमण कर दिया था। पाकिस्तान की निगाहें कश्मीर पर थीं। उसने गुजरात के कच्छ की ओर से भारत पर हमला किया था।

पाकिस्तान कश्मीर से भारत का ध्यान भटकाना चाह रहा था। शुरुआत में भारतीय सेना को नुकसान उठाना पड़ा था। हालांकि इसके बाद भारत ने पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया था।

1965 का अकाल

मानसून 1965 में बहुत ही कमजोर रहा था। खाद्यान्न की कमी देश में बढ़ने लगी थी। देश में 1899 के जैसी अकाल की स्थिति बन गई थी। महंगाई लगातार बढ़ रही थी। भारत सरकार 1965 से पहले ही 75 लाख टन खाद्यान्न का आयात कर चुकी थी।

अमेरिका से गेहूं का आयात

अमेरिका से गेहूं का आयात हो रहा था। अमेरिका से 11 करोड़ टन खाद्यान्न के आयात की अर्जी सरकार दे चुकी थी। भारत के विदेशी मुद्रा भंडार पर जबरदस्त दबाव पड़ रहा था।

पाकिस्तान का हमला

पाकिस्तानी ने अखनूर सेक्टर पर कब्जा करने के लिए ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम शुरू किया था। 1 सितंबर, 1965 को उसने कश्मीर के छंब सेक्टर पर धावा बोल दिया था। चीन की ओर से भी पूर्वी सेक्टर पर हमले की धमकी मिल रही थी।

चीन को मुंहतोड़ जवाब

हालांकि, प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने उसकी बोलती बंद कर दी थी। शास्त्री ने कहा था कि चीन युद्ध में कूदा तो भारत अपनी आखिरी सांस तक लड़ेगा। चीन इस डर से पीछे हटने को मजबूर हो गया था।

हमले की खबर मिलते ही भारतीय सेना ने तैयारी शुरू कर दी थी। भारतीय वायु सेना तैयार हो रही थी। उधर थल सेना भी जवाबी हमले की रणनीति बना रही थी।

लाहौर की ओर बढ़ी सेना

भारतीय सेना इस युद्ध में लाहौर की ओर बढ़ने लगी थी। लाहौर पर भारतीय सेना कब्जा करने वाली थी। भारत ने 7 सितंबर को सैन्य ऑपरेशन शुरू करने का निर्णय लिया था। हालांकि, 6 सितंबर को ही पाकिस्तानी सीमा में भारत की सेना प्रवेश कर गई थी।

पाकिस्तान के टैंकों पर पड़े भारी

पाकिस्तान के पास M48 पैटन और M24 चाफी जैसे ताकतवर अमेरिकी टैंक थे। इनकी संख्या भी भारतीय टैंकों के मुकाबले अधिक थी। फिर भी भारत के जांबाज सिपाहियों ने पाकिस्तान को पस्त कर दिया था।

भारत के बहादुर जवान अब्दुल हमीद ने तो अपने हाथों से पाकिस्तान के 3 टैंक तबाह कर दिए थे। पाकिस्तान के लगभग 300 टैंक इस युद्ध में बर्बाद हो गए।

गिड़गिड़ाने लगे पाकिस्तानी राष्ट्रपति

हाजी पीर को भारत जीत चुका था। अगले दिन लाहौर पर तिरंगा लहराने वाला था। पाकिस्तानी राष्ट्रपति अमेरिका के सामने गिड़गिड़ाने लगे। भारत को अमेरिका ने धमकी दे दी। अमेरिका ने कहा कि वह खाद्यान्न का निर्यात भारत को रोक देगा।

अमेरिका को करारा जवाब

उस वक्त लाल बहादुर शास्त्री भारत के प्रधानमंत्री थे। अमेरिकी धमकी के आगे वे नहीं झुके। अपने परिवार के सदस्यों से उन्होंने कहा कि अगले एक हफ्ते तक शाम का भोजन नहीं बनेगा। पूरा देश उनके साथ खड़ा हो गया था।

हर परिवार ने एक वक्त का खाना छोड़ दिया था। एक दिन का उपवास लोग रखने लगे थे। फालतू खर्च बंद हो गए थे। सेना के लिए आवश्यक धन जुटाया जा रहा था।

22 दिनों में हारा पाकिस्तान

भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध 22 दिनों तक चला था। आखिरकार पाकिस्तान को भारत ने खदेड़ दिया था। लाल बहादुर शास्त्री ने अक्टूबर, 1965 में रेडियो पर एक संदेश दिया था। उन्होंने कहा था कि खाद्यान्न मामलों में भारत की आत्मनिर्भरता जरूरी है।

इसी से भारत की सुरक्षा हो सकती है। हमारी आजादी और स्वतंत्रता के लिए भी यह बहुत जरूरी है। हमें जमीन के हर एक छोटे टुकड़े पर भी खेती करनी पड़ेगी।

अमेरिका की हार

लाल बहादुर शास्त्री के संदेश का पूरे देश ने सम्मान किया। लोग देश को खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर बनाने में जुट गए। आत्मनिर्भरता का यह अभियान व्यापक पैमाने पर चला। अमेरिका का इससे घमंड ही टूट गया। पाकिस्तान से भारत ने युद्ध जीत लिया। अमेरिका की भी इसमें नैतिक हार हुई।

कृषि में आत्मनिर्भर बनाने के लिए

युद्ध जीतने के कुछ महीने बाद लाल बहादुर शास्त्री का 1966 में निधन हो गया था। उस वक्त वे ताशकंद में थे। उनकी मौत आज भी एक रहस्य बनी हुई है। इसके बाद इंदिरा गांधी की सरकार भारत में आई थी। कृषि में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार ने और भी काम किए।

Anupam Kumari

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मेरी कलम ही मेरी पहचान