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वैश्विक लोकतंत्र सूचकांक में 10 पायदान गिरा भारत, मोदी जी सुन रहे हैं न !

दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र यानी की हमारा अपना देश भारत लोकतंत्र सूचकांक की वैश्विक सूची में 10 पायदान नीचे गिर गया है। ये भारत की गरिमा के लिए बहुत बड़ा खतरा है। इस गिरावट के पीछे का मुख्य कारण नागरिक स्वतंत्रता में कमी को बताया जा रहा है। भारत में अप्रैल-मई 2019 में लोकसभा चुनाव हुए थे। लेकिन भारत अब वैश्विक सूची में 51वें स्थान पर आ गया है। इसको लेकर कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी की सरकार पर जमकर हमला किया है और भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को नष्ट करने का आरोप लगाया है। द इकोनॉमिस्ट इंटेलीजेंस यूनिट (ईआईयू) द्वारा 2019 के लिए लोकतंत्र सूचकांक की वैश्विक सूची में भारत 10 स्थान लुढ़क कर 51वें स्थान पर आ गया है।

सीएए, एनआरसी, जम्मू कश्मीर है कारण

विवादित नागरिकता संशोधन कानून (सीएए), जम्मू कश्मीर की स्थिति और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) पर चिंता व्यक्त करते हुए द इकोनॉमिस्ट ने कहा है कि इस गिरावट की मुख्य वजह देश में नागरिक स्वतंत्रता का गिरना है। इस सूची के मुताबिक भारत का कुल अंक 2018 में 7.23 था जो अब घटकर 6.90 पर आ गया है। ये वैश्विक सूची 165 स्वतंत्र देशों और 2 क्षेत्रों में लोकतंत्र की मौजूदा स्थिति को पेश करता है। द इकोनॉमिस्ट ने अपनी इस रिपोर्ट में जम्मू कश्मीर की स्थिति के बारे में भी उल्लेख किया है। रिपोर्ट में राज्य का विशेष दर्जा खत्म करने के बाद से 3 पूर्व मुख्यमंत्रियों समेत कई प्रमुख विपक्षी नेताओं को पांच महीने से भी ज्यादा समय से हिरासत में रखा गया है के बारे में भी जिक्र किया है।

इस रिपोर्ट में भारत के बारे में कहा गया कि ये लोकतंत्र सूचकांक की वैश्विक रैंकिंग में 10 स्थान गिरकर अभी 51वें पायदान पर है। लोकतांत्रिक सूची में ये गिरावट देश में नागरिक स्वतंत्रता में कमी के कारण आई है। ये सूचकांक 5 श्रेणियों पर आधारित है जिनमें चुनाव प्रक्रिया और बहुलतावाद, सरकार का कामकाज, राजनीतिक भागीदारी, राजनीतिक संस्कृति और नागरिक स्वतंत्रता शामिल है।

4 प्रकार के होते हैं शासन

इनके कुल अंकों के आधार पर देशों को 4 प्रकार के शासन में वर्गीकृत किया जाता है- पूर्ण लोकतंत्र जो 8 से ज्यादा अंक हासिल करने वाले देश होते हैं, त्रुटिपूर्ण लोकतंत्र जिन्हें 6 से ज्यादा लेकिन 8 या 8 से कम अंक मिलते हैं। इसके अलावा तीसरा संकर शासन या हाइब्रिड गवर्नमेंट होता है जो देश 4 से ज्यादा लेकिन 6 या 6 से कम अंक हासिल करते हैं, वो इस श्रेणी में आते हैं और आखिरी होते हैं सत्तावादी शासन जिन देशों को 4 या उससे कम अंक मिलते हैं, वो इस श्रेणी में आते हैं। इस बार के सूचकांक में भारत को त्रुटिपूर्ण लोकतंत्र कहा गया है।

इस बीच चीन 2019 में गिरकर 2.26 अंकों के साथ अब 153वें पायदान पर आ गया है। ये वैश्विक रैंकिंग में निचले पायदान के करीब है। उभरती हुई दूसरी अर्थव्यवस्थाओं में ब्राजील 6.86 अंक के साथ 52वें पायदान पर है, रुस 3.11 अंक के साथ सूची में 134वें स्थान पर है। इस बीच पाकिस्तान कुल 4.25 अंकों के साथ सूची में 108वें स्थान पर है, श्रीलंका 6.27 अंकों के साथ 69वें और बांग्लादेश 5.88 अंकों के साथ 80वें स्थान पर है। इस सूची में नार्वे सबसे ऊपर है, वहीं उत्तर कोरिया 167वें स्थान पर है जो कि सबसे नीचला है।

भारत के लिए है खतरा

भारत के लिए इस तरह की गिरावट बहुत बड़े सवाल खड़े करता है। क्योंकि विश्व में भारत के लोकतंत्र को काफी महत्व दिया जाता है, लेकिन लगातार पिछले कुछ वक्त से जनता का सड़कों पर रहना और लगातार सरकार के खिलाफ आवाज उठाना विश्व में भारत की छवि को पूरी तरह से खराब करता है। इसके अलावा जम्मू कश्मीर में 150 दिनों तक इंटरनेट का बंद रहना और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर को लेकर जनता में असंतोष लोकतंत्र की गिरावट को काफी दर्शाता है।