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भारत के पहले पीएम नेहरू ने ही बता दिया था विश्व शांति में योग का महत्व

भारत के पीएम नरेंद्र मोदी की योग में अटूट आस्था है। पीएम मोदी की पहल पर दुनियाभर में योग दिवस भी मनाया जाता है। पीएम मोदी के बारे में कहा जाता है कि वे नियमित रूप से योग करते हैं। वैसे, भारत के प्रथम पीएम जवाहरलाल नेहरू की भी योग में बड़ी रुचि थी। जवानी के दिनों से ही योग से उनका रिश्ता जुड़ गया था। कई तरह के योगासनों में वे पारंगत थे।

नेहरू मिथक और सत्य नाम से एक किताब है। पीयूष बबेले ने इसे लिखा है। इसमें बताया गया है कि नेहरू के पिता मोतीलाल नेहरू भी योग में बड़ी रुचि लेते थे।

योग में नेहरू की रुचि

वर्ष 1958 में 19 मई को जवाहरलाल नेहरू ने योग में अपनी रुचि के बारे में बताया था। नेहरू ने एक पत्र में बताया था कि योग पद्धति में मेरी रुचि लंबे अरसे से है। योगाभ्यास भी कुछ हद तक मैं करता रहा हूं। योग करने से मुझे बहुत लाभ मिला है। युग को मैं एक मूल्यवान पद्धति मानता हूं।

नेहरू ने कहा था कि आरंभ में तो यह शरीर के लिए ही होता है। हालांकि, यह इसका केवल प्रथम चरण है। इसका द्वितीय चरण भी होता है। यह मस्तिष्क को प्रशिक्षण देने वाला है। योग का मैं समझता हूं कि तृतीय चरण भी है। इसे आप चेतना कह सकते हैं। अपने अनुसार आप इसे कुछ और भी कह सकते हैं।

तभी भांप ली थी योग की महत्ता

आज योग की बातें हो रही हैं। नेहरू ने तो उसी वक्त योग की महत्ता भांप ली थी। उन्हें पता था कि आने वाले समय में दुनियाभर में योग की बड़ी कदर होने वाली है। योग विद्या की पैरोकारी करने वाले वे शुरुआती लोगों में से थे। योग को लेकर देखा जाए तो नेहरू इस मामले में अष्टांग योगी थे। नेहरू की कुछ ऐसी तस्वीरें देखने को मिल चुकी हैं, जिनमें वे शीर्षासन करते हुए दिखे हैं।

जवाहरलाल नेहरू 28 मार्च, 1958 को बंबई में ईश्वरलाल चुन्नीलाल योगिक हेल्थ सेंटर पहुंचे थे। यहां उन्होंने योग को लेकर बात की थी। उन्होंने बताया था कि 30 साल पहले हुए पूना के पास लोनावाला गए थे। वे अपने पिता के साथ इस सेंटर के मातृ संस्थान कैवल्यधाम योग सेंटर पहुंचे थे। उन्होंने यहां वैज्ञानिक शोध योग के क्षेत्र में होते हुए देखा था।

पद्धति पर आधारित तंत्र

नेहरू ने तब योग को एक पद्धति पर आधारित तंत्र करार दिया था। नेहरू ने कहा था कि केवल जड़ता के रूप में योग को स्वीकार नहीं किया गया। इसे समझने के लिए वैज्ञानिक पद्धति से इस तक पहुंचने की आवश्यकता होगी। नेहरू ने यह भी कहा था कि योग पद्धति की तरक्की आधुनिक विज्ञान की रोशनी में होनी चाहिए।

पॉल ड्यूक्स को लिखी थी चिट्ठी

सर पॉल ड्यूक्स ने योगा फॉर द वेस्टर्न वर्ल्ड नाम की एक किताब लिखी थी। इन्हीं पॉल ड्यूक्स को जवाहर लाल नेहरू ने 19 मई, 1958 को एक चिट्ठी लिखी थी। पॉल एक मशहूर ब्रिटिश लेखक थे। इसके अलावा वे इंटेलिजेंस एजेंट भी थे। योग को पश्चिमी देशों में पहुंचाने वाला उन्हें सबसे शुरुआती व्यक्ति बताया जाता है।

पॉल ड्यूक्स ने एक और किताब लिखी थी, जिसका नाम है द योगा ऑफ हेल्थ यूथ एंड जॉय। पंडित नेहरू को उन्होंने अपनी किताब की एक प्रति भी भेजी थी। इसके बाद ही नेहरू ने इन्हें चिट्ठी लिखी थी। इसमें उन्होंने योग को लेकर कई बातों का जिक्र किया था।

योग एक वैज्ञानिक प्रशिक्षण

नेहरू ने इस चिट्ठी में योग को एक वैज्ञानिक प्रशिक्षण करार दिया था। उन्होंने कहा था कि योग एक स्वस्थ शरीर का निर्माण करता है। योग से एक प्रसन्न शरीर भी निर्मित होता है। योगी से ठंडा और संतुलित मस्तिष्क भी विकसित होता है। विचारों के थपेड़ों का इस पर कोई असर नहीं होता। नेहरू ने लिखा था कि योग का संदेश दूसरे देशों में आप ले जा रहे हैं। इससे मुझे अपार प्रसन्नता हो रही है।

दुनिया को बताया

दुनियाभर के नेताओं के साथ 3 अक्टूबर, 1958 को एक रिकॉर्डिंग हुई। कोलंबिया ब्रॉडकास्टिंग सिस्टम के ब्रॉडकास्ट जर्नलिस्ट एडवर्ड आर मुरो ने इसे अंजाम दिया। स्माल वर्ल्ड नाम के कार्यक्रम में 12 अक्टूबर, 1958 को इसे प्रसारित किया गया। प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भी नई दिल्ली से इसका हिस्सा बने। इस दौरान नेहरू ने योग के लाभ गिनाए थे। विश्व शांति में योग के योगदान की भी उन्होंने चर्चा की थी।