कोरोना वायरस के कारण अर्थव्यवस्था की पूरी तरह से कमर टूट गई है। हालांकि इससे सभी वाकिफ है लेकिन अब तो इसका आंकड़ा आ गया है, जो कि बहुत डरावना है। फाइनेंशियल ईयर 2021 की पहली तिमाही में यानि की अप्रैल से जून के बीच में जीडीपी की ग्रोथ रेट -23.9% रही है।
जीडीपी मापने के अब तक के 40 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है कि ये आंकड़ा इतना ज्यादा नीचे गया है। वहीं इससे एक तिमाही पहले यानी की जनवरी से मार्च के बीच में जीडीपी ग्रोथ का आंकड़ा 3.1 फीसदी था। तो इस तरह से देखें तो जीडीपी में 27% की गिरावट आई है। जबकि पिछले फाइनेंशियल ईयर की पहली तिमाही में ये आंकड़ा 5.2% था।
अब समझते हैं कि कौन सा सेक्टर है जो सबसे ज्यादा खतरे में है। इस तिमाही में सबसे ज्यादा मार पड़ी है कंस्ट्रक्शन, मैन्यूफैक्चरिंग और माइनिंग सेक्टर पर। माइनिंग ग्रोथ -23.3 रही है जो कि पिछली तिमाही में 5.2 परसेंट थी। इसके अलावा मैंन्यूफैक्चरिंग का तो और ज्यादा हाल खराब है, क्योंकि मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में ग्रोथ रेट -39.3% रही है जो कि पिछले तिमाही में -1.4% थी।
इसके अलावा कंस्कट्रक्शन ग्रोथ भी करीब 50% नेगेटिव रही है। कंस्ट्रक्शन, मैन्यूफैक्चरिंग और माइनिंग ये तीनों ही लेबर सेक्टर है। इस सेक्टर में 50% नेगेटिव ग्रोथ का मतबल है कि आधी-आधी इंडस्ट्री का सूपड़ा साफ हो गया है। ये आंकड़ें बताते हैं कि इनमें काम करने वाले करोड़ों लोगों की नौकरियां जा चुकी हैं। हालांकि राहत की बात ये है कि एग्रीकल्चर और पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन सेक्टर की ग्रोथ बेहतर रही है। इसमें ऐसा हाल नहीं हुआ है।
सिर्फ कोरोना ही नहीं है जिम्मेदार
ये बात सही है कि जीडीपी के आंकड़ों में इतनी बड़ी गिरावट के पीछे कोरोना वायरस को जिम्मेदार कहा जा सकता है। लेकिन जीडीपी गिरने की ये प्रथा लंबे वक्त से चल रही है। पिछली 7 तिमाहियों के आंकड़ों की अगर बात करें तो जीडीपी 6.2 से गिरकर 3.1 फीसदी पर आ गई थी। इसका मतलब ये है कि हमारी अर्थव्यवस्था पहले से ही खराब हो रही थी और बची हुई कमी कोरोना ने पूरी कर दी। लेकिन सिर्फ कोरोना को इसके लिए जिम्मेदार कहना सही नहीं होगा। पहले से ही सरकार की खराब आर्थिक नीतियां नजर आ रही थी।
पहले से था खराब आंकड़ों का अनुमान
ऐसा नहीं है कि ये आंकड़े अचानक से सामने आ गए हैं और सबके लिए कोई झटका है। ऐसे आंकड़े का अनुमान लगाया जा रहा था। कई सर्वे हुए थे, जिनमें ये कहा गया था कि अप्रैल से जून में जीडीपी 19 फीसदी तक गिर सकती है। कुछ अखबारों और आर्थिक सलाहकारों ने तो ये गिरावट 25 फीसदी तक बताई थी। दिग्गजों का मानना है कि रिवकरी में बहुत लंबा वक्त लग सकता है क्योंकि कोरोना वायरस संक्रमण लगातार बढ़ रहा है और नए मामले लगातार सामने आ रहे हैं। जिस वजह से अर्थव्यवस्था के साथ समझौता किया जा रहा है।
सबसे बड़ी मंदी की तरफ बढ़ रहा है देश
जीडीपी के ताजा आंकड़े भारत की सबसे बड़ी मंदी की शुरुआत का अंदेशा जता रहे हैं, जिसके चालू वित्त वर्ष के दूसरी छमाही तक जारी रहने की आशंका है। कोरोना वायरस महामारी की वजह से मांग प्रभावित हुई है और आर्थिक गतिविधियों में तेजी पर दबाव पड़ रहा है। आमतौर पर लगातार दो तिमाही में जीडीपी की दर नकारात्मक रहने पर मंदी माना जाता है। ऐसे में एत तिमाही के आंकड़े खराब हो चुके हैं वहीं दूसरी तिमाही भी पूरी तरह से बर्बाद होती नजर आ रही है। अगर कोरोना पर काबू नहीं पाया गया तो तीसरी तिमाही पर भी इसका असर पड़ सकता है।