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सियाचिन ग्लेशियर को लेकर अक्सर चर्चा होती रहती है। एक ओर भारत की सेना तो दूसरी ओर पाकिस्तान की सेना यहां हमेशा आंख गड़ाए बैठी हुई नजर आ जाती है।

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देश का वह राज्य जहां की सभी लोकसभा सीटें मिल सकती हैं कांग्रेस को

Politics Tadka Sandeep 10 March 2019
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पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान मोदी लहर इतनी मजबूत थी कि देश के कई राज्यों से विपक्ष पूरा का पूरा साफ हो गया था। इन राज्यों की सभी की सभी लोकसभा सीटें भारतीय जनता पार्टी को मिली थी। इनमें से कई प्रदेश तो ऐसे भी थें, जहां विपक्षी दल कांग्रेस मजबूत स्थिति में थी लेकिन उनका खाता भी नहीं खुल सका था। इन राज्यों में सबसे पहला नाम गुजरात, दूसरा राजस्थान और फिर हिमाचल, उत्तराखंड आदि का नाम आता है। इस बार पंजाब ऐसा प्रदेश बनने जा रहा है जहां की सभी सीटें कांग्रेस को मिलती हुई दिख रही हैं। यहां भाजपा के खाता खुलने के भी आसार कम ही नजर आ रहे हैं।

इस बार कोई लहर नहीं

2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में काफी अंतर है। 2014 के लोकसभा चुनाव में जहां भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी के पक्ष में हवा दिख रही थी तो इस बार किसी के पक्ष में कोई हवा नहीं दिख रही। उम्मीद जताई जा रही है कि भाजपा और नरेंद्र मोदी पाकिस्तान के मुद्दे पर चुनाव लड़ सकते हैं तो वहीं कांग्रेस राफेल घोटाला, बेरोजगारी, नोटबंदी और किसानों की बदहाली आदि मुद्दे को आधार बनाकर चुनावी मैदान में उतर सकती है।

पंजाब में लोकसभा की 13 सीटें

पिछली बार पंजाब में आम आदमी पार्टी ने बड़ा कमाल दिखाया था। इस इस नई पार्टी को लोकसभा में 04 सीटें मिली थी और वो भी पंजाब से ही. उस समय की सत्ताधारी शिरोमणि अकाली दल को 04 सीटें, भाजपा को 02 सीट और कांग्रेस को भी 04 सीटें मिली थीं। इस बार इस राज्य में माहौल थोड़ा अलग है। यहां विपक्ष इतने टुकड़ों में बंट चुका है कि सत्ताधारी कांग्रेस यहां क्लीन स्वीप करती नजर आ रही है। इस बार के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस यहां 13 की 13 सीटें भी जीत जाए तो कोई बड़ी बात नहीं होगी। गत विधानसभा चुनाव में यहां कांग्रेस की सरकार बनीं तो आम आदमी पार्टी मुख्य विपक्षी पार्टी। सत्ताधारी शिरोमणि अकाली दल को तीसरे नंबर से संतोष करना पड़ा तो भाजपा का अता पता भी नहीं चल सका। अब यहां स्थिति ऐसी है कि आम आदमी पार्टी इतने हिस्से में बंट गई है कि कांग्रेस की यहां बल्ले बल्ले हो गई है|

सिक्ख मतदाताओं का संघ परिवार से विरोध

पिछले कुछ समय से सिक्ख समुदाय का आरएसएस के साथ टकराव लगतार बढ़ता जा रहा है। युवा सिक्ख मतदाता आरएसएस की वजह से भाजपा के साथ खड़े होने को तैयार नहीं। यही कारण है कि पिछले सारे मुद्दों को भूल कर सिक्ख और पंजाबी समाज कांग्रेस के पक्ष में खड़ा दिख रहा है जो भाजपा के लिए अच्छी खबर तो कतई नहीं।