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सियाचिन ग्लेशियर को लेकर अक्सर चर्चा होती रहती है। एक ओर भारत की सेना तो दूसरी ओर पाकिस्तान की सेना यहां हमेशा आंख गड़ाए बैठी हुई नजर आ जाती है।

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बर्फ चाटकर बुझाई प्यास, 1987 में भारत ने पाकिस्तान से यूं छीना बाना पोस्ट

Information Anupam Kumari 25 July 2020
बर्फ चाटकर बुझाई प्यास, 1987 में भारत ने पाकिस्तान से यूं छीना बाना पोस्ट

भारतीय सैनिकों ने 1984 के अप्रैल में अद्भुत वीरता का परिचय दिया था। सियाचिन ग्लेशियर पर भारत की सेना अपना अधिकार जमाने में कामयाब रही थी। केवल 4 दिनों में ही पाकिस्तानी सेना को मुंह की खानी पड़ी थी। पाकिस्तान बौखलाया हुआ था। ऐसे में उसने ऊंचाई पर स्थित कई पोस्ट पर अपना कब्जा जमा लिया था।

इनमें से एक चोटी पोस्ट का नाम क्वेड पोस्ट (Quaid Post) था। क्वायड-ए-आजम मोहम्मद अली जिन्ना के नाम पर इसका नामकरण हुआ था। पोस्ट की ऊंचाई 22 हजार 153 फीट की है। इस इलाके की सबसे ऊंची चोटी से सियाचिन ग्लेशियर के 80 किलोमीटर अंदर तक देख पाना संभव था।

भारत के दो जवानों की शहादत

पाकिस्तान इसका फायदा उठा रहा था। पाकिस्तानी सेना ने 8 अप्रैल‚ 1987 को क्वाड पोस्ट से भारत के सोनम पोस्ट पर गोलियां चलाई थीं। इसमें भारत के दो जवान शहीद हो गये थे। ऐसे में भारतीय सैनिक ने ठान लिया कि इस चोटी पर कब्जा करके हमेशा के लिए वे इस समस्या का हल निकाल देंगे। बर्फीली ढलान वाली दीवारों से यह पोस्ट घिरी थी। तीन ओर तो 80 से 85 डिग्री तक बर्फ बिछी थी और चौथी ओर पाकिस्तानियों का कब्जा था।

फिर से 10 सैनिक हुए शहीद

8 जम्मू और कश्मीर रायफल्स के सेकेंड लेफ्टिनेंट राजीव पांडे (Second Lieutenant Rajiv Pande) 13 मई‚ 1987 को आगे बढ़े थे। उनके साथ 13 लोगों की पेट्रोल पार्टी थी। लगभग 500 मीटर की चढ़ाई वे कर चुके थे। लगभग 30 मीटर ही बचे थे कि पाकिस्तानी सैनिकों की नजर पड़ गई। पूरी टीम पर मशीन गन उन्होंने चला दी‚ जिसमें राजीव पांडे के साथ भारत के 10 सैनिक शहीद हो गये।

भारतीय खेमे में अपने साथियों को खोने का गम तो था‚ लेकिन गुस्स भी उतना ही था। मेजर वीरेंद्र सिंह और सेकेंड कमांडेंट कप्तान अनिल शर्मा की अगुवाई में दूसरा जत्था भी अब हमला करने के लिए तैयार था। इसका गुप्त नाम लेफ्टिनेंट राजीव पांडे के सम्मान में ऑपरेशन राजीव रखा गया था।

फिर से की कोशिश

सोनम पोस्ट पर जमा होकर सूबेदार हरमन सिंह के नेतृत्व में 10 सैनिकों के दल ने क्वाड पोस्ट पर चढ़ाई शुरू की। इस रास्ते को शहीद भारतीय सैनिक राजीव पांडे ने भी अपनाया था। काफी मेहनत से राजीव पांडे एक रस्सी बनाने में कामयाब रहे थे‚ जो इन सैनिकों को बर्फ में दबी मिल गई थी। इसके सहारे ऊपर की ओर बढ़ते वक्त राजीव पांडे सहित बाकी साथियों की लाशें उन्हें जस–की–तस दिख गईं।

हालांकि पाकिस्तानी सैनिकों ने इन्हें देख लिया। फायरिंग वे करने लगे। ठंड से भारतीय सैनिकों की बंदूकें जम गई थीं‚ जिससे वे फायरिंग नहीं कर सके। उधर पाकिस्तानी सैनिकों ने केरोसिन से जलने वाली छोटी सी स्टोव जला रखी थी‚ जिससे उनकी बंदूकें नहीं जम रही थीं। वे फायरिंग करने में सक्षम थे। भारत के दो सैनिक इस दौरान वीरगति को प्राप्त हुए। अपने साथियों की लाशें लेकर बाकी सैनिक तब हार मानकर लौट आये थे।

ठंड बनी रोड़ा

अगली कोशिश 25 और 26 जून की रात के दरम्यान हुई। सूबेदार संसार चंद 5 साथियों के साथ क्वाड पोस्ट पर पहुंच तो गये‚ मगर पाकिस्तानी पोजीशन पर हमले के लिए और सैनिकों की मांग की। रेडियो सेट की बैटरी उनकी जम गई थी। केवल 100 मीटर दूर मेजर वीरेंद्र से संपर्क करने में वे नाकाम रहे। इस बार भी उन्हें खाली हाथ लौट आना पड़ा।

परिवार के लिए चिट्ठी छोड़ गये थे

भारतीय सैनिक बर्फ चाट कर अपनी प्यास बुझा रहे थे। अपने पीछे परिवार वालों के लिए चिट्ठी तक छोड़ आये थे। मालूम था कि मिशन इतना खतरनाक है कि शायद जिंदा न लौटें। अगले दिन 26 जून को मौसम इतना खराब था कि दिन में भी अंधेरा सा था। बर्फीला तूफान आया हुआ था। एक दल मेजर वीरेंद्र सिंह के साथ तो दूसरा नायब सूबेदार बाना सिंह के साथ चोटी पर पहुंच गया। पाकिस्तान को इस हमले की जरा भी उम्मीद नहीं थी।

टूट पड़े पाकिस्तानियों पर

दो तरफ से भारत ने हमला बोला। बंकरों पर राइफलमैन लक्षण दास‚ कश्मीर चंद‚ ओम राज और चुन्नी लाल टूट पड़े। दुश्मनों के तो डर के मारे बंदूक ही जम गये। बंकरों में ग्रेनेड डाल दिये सैनिकों ने। दरवाजे बंद कर दिये। इस तरह से बंकर उड़ा दिए। उन्होंने पाकिस्तान के 6 सैनिकों को अपनी भुजाओं की ताकत से ही मार डाला। कई पाकिस्तानी सैनिक तो चोटी से नीचे कूद पड़े। हालांकि‚ तोप का गोला मेजर वीरेंद्र को लगा‚ लेकिन ठंड अधिक होने से खून बहने की वजह जम गया और उनकी जान बच गई।

चोटी पर पकाया चावल

जिस स्टोव का इस्तेमाल पाकिस्तानी सैनिकों ने हथियारों को गरम करने के लिए किया‚ उस पर भारतीय सैनिकों ने चावल पकाया। इस दौरान तीन दिनों में पहली बार सैनिकों ने ठीक से कुछ खाया। पाकिस्तानियों ने बाद में कोशिश की दोबारा क्वाड चोटी पर कब्जा करने की‚ मगर वे नाकाम रहे। आज तक भारत का ही इस पर अधिकार है।

इन्हें कीजिए सलाम

बाना सिंह को परमवीर चक्र‚ सूबेदार हरमन सिंह को महावीर चक्र‚ मेजर वीरेंद्र और लेफ्टिंनेंट राजीव पांडे को वीर चक्र देकर सम्मानित किया गया। भारत ने पोस्ट का नाम बदलकर बाना पोस्ट भी कर दिया और आज भी इसका यही नाम है। भारतीय सैनिकों की वीरता का गवाह है बाना पोस्ट।

Anupam Kumari

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मेरी कलम ही मेरी पहचान