कल 2019 का देश का बजट पेश हुआ. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट का नाम परिवर्तन भी कर दिया. इसे बही खाता का नाम दिया गया. मतलब कि अब देश में वित्त मंत्री का पद धीरे धीरे मुनिम के पद में बदलने की कोशिशें शुरु हो गई हैं. कोशिश होनी भी चाहिए, पूर्ण बहुमत है.
हमें यकीन है कि वित्त मंत्री जब मुनिम बन जाएगा तो उन फिल्मी मुनिमों की तरह नहीं रहेगा जो गरीबों मजलूमों का जोंक की तरह खून चूसते थें. वैसे सोशल मीडिया में भाजपा समर्थक आईटी सेल और कुछ न्यूज चैनलों ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को माता लक्ष्मी करार दिया. बताया कि पहली बार देश को ये परम सौभाग्य प्राप्त हुआ है कि स्वयं माता लक्ष्मी देश का खाता बही पेश कर रही हैं. अब भारत को परम सौभाग्यशाली राष्ट्र में बदलने से कोई रोक नहीं सकता.
पर इसी बीच एक सवाल और भी है जो शायद लोगों के जेहन में नहीं आ रहा हो क्योंकि लोगों के जेहन में तो इन दिनों धर्म की रक्षा की बात चल रही है, फिर भी हम चर्चा किए देते हैं. देश के अधिकांश हिस्से में अब तक बारिश नहीं हुई है. आसार भी नजर नहीं आ रहे हैं. ऐेसे में तय है कि सूखा और अकाल की समस्या से देश को निपटना होगा. लक्ष्मी माता के स्वरुप में बही खाता पेश करने वाली वित्त मंत्री के पिटारे में किसानों के लिए क्या था, उसकी बात भी जरुरी है.
मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में देश के किसानों की आमदनी दोगुनी करने की बात कही थी. दूसरे कार्यकाल के पहले अंतरिम बजट में इसके लिए किसी भी तरह की राशि का प्रावधान नहीं किया गया है. किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए किसी भी तरह का रोडमैप भी नहीं दिखाया गया है.
वैसे वित्त मंत्री ने कहा है कि ये बजट पूरी तरह से गांव और किसान पर केंद्रित है. कृषि बजट की राशि को 1 लाख 39 हजार करोड़ रुपया कर दिया गया है. बजट से कुछ ही दिन पूर्व सरकार ने खरीफ फसलों की एमएसपी में वृद्धि की थी लेकिन इस वृद्धि का लाभ किसानों को कैसे मिलेगा, इस पर किसी तरह का ब्लू प्रिंट सरकार की ओर से पेश नहीं किया गया.
आपको यह जानना जरुरी है कि भारत में कुल 14.2 हेक्टेयर जमीन पर कृषि होती है. इसमें से 52 प्रतिशत हिस्से पर कृषि बारिश पर निर्भर है. अभी तक देश का मौनसून कमजोर है. यानी कि सरकार को चाहिए था कि अपने बजट में इस 52 प्रतिशत वाले हिस्से पर फोकस करते लेकिन ऐसा कुछ दिखा नहीं. खुद केंद्र सरकार ने यह माना है कि देश के 251 जिलों में भीषण पानी का संकट व्याप्त है.
देश के किसानों की तारीफ करनी होगी. उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में अपने नफे नुकसान की परवाह किए बगैर देश और धर्म की रक्षा के लिए नरेंद्र मोदी को वोट दिया था. उन्होंने खुद को इस स्वार्थ से दूर किया कि कैसे उनकी हालत सुधरेगी. कैसे उनकी आमदनी बढ़ेगी. स्वराज इंडिया के संस्थापक योगेंद्र यादव का कहना है कि किसानों ने मोदीजी का साथ दिया, अब जरुरी था कि मोदीजी उनका साथ देते.
योगेंद्र यादव कहते हैं कि ये बजट किसानों के लिए पूरी तरह जीरो बजट स्पीच थी. इसमें न तो सूखे का जिक्र था, न किसानों की आय दोगुना करने की योजना थी, न किसान सम्मान निधि का विस्तार हुआ, न एमएसपी का लाभ दिलवाने की कोई पुख्ता योजना बनी और न आवारा पशुओं से निपटने की कोई तरकीब.
वैसे हम पूर्ण बहुमत वाले मोदी सरकार से अपेक्षा करते हैं कि वो किसानों की भलाई के मुद्दे पर गंभीरतापूर्वक विचार करेंगे क्योंकि किसान हैं तो देश है.