भारत के हर कौने में मंदिरों की संख्या अनगिनत हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि इनमें से कुछ ऐसे भारतीय मंदिर भी है जो अपने साथ कुछ रहस्य लिए हुए हैं.
ज्वाला देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश में स्थित हैं. यह मंदिर हिमाचल के कांगड़ाघाटी के दक्षिण में 30 किमी की दूरी पर स्थित है. ययह मंदिर कोई आम मंदिर नहीं बल्कि सती माता के ५१ शक्तिपीठों में से एक है . यहां पर माता सती की जीभ गिरी थी. आपको जानकर हैरानी होगी की यहां देवी के मुक से आग निकलती है और यह आग हजारों वर्षो से निकल रही है. और इस मंदिर की खोज हजारों वर्ष पूर्व पांडवों ने की थी.
काल भैरव मंदिर मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थित है. आपको जानकर हैरानी होगी कि यहां की काल भैरव की मूर्ति मदिरापान करती है इसीलिए यहां मंदिर में प्रसाद की जगह शराब चढ़ाई जाती है. यही शराब यहां प्रसाद के रूप में भी बांटी जाती.
असम राज्य में गुवाहाटी के पास स्थित कामाख्या देवी मंदिर देश के 52 शक्तिपीठों में सबसे प्रसिद्ध है. लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि इस प्राचीन मंदिर में देवी सती या मां दुर्गा की एक भी मूर्ति नहीं है. पौराणिक आख्यानों के अनुसार इस जगह देवी सती की योनि गिरी थी, कहते हैं यहां हर किसी कामना सिद्ध होती है. यही कारण इस मंदिर को कामाख्या कहा जाता है.
इस मंदिर के पहला हिस्सेमें हर शख्स को जाने नहीं दिया जाता है. दूसरे हिस्से में माता के दर्शन होते हैं, जहां एक पत्थर से हर समय पानी निकलता है. और कि महीने में एकबार इस पत्थर से खून की धारा निकलती है.
राजस्थान के दौसा जिले में स्थित मेहंदीपुर का बालाजी धाम में देखा गया है कि जिन व्यक्तियों के ऊपर भूत-प्रेत और बुरी आत्माओं का वास होता है, वे यहां आते ही चीखने-चिल्लाने लगते हैं और फिर वे बुरी आत्माएं, भूत-पिशाच आदि पल भर में पीड़ितों के शरीर से बाहर निकल जाती हैं.
यह मंदिर बीकानेर (राजस्थान) में स्थित है, इस मंदिर में लगभग 20 हजार काले चूहेरहते हैं. इस मंदिर को ‘चूहों वाला मंदिर’ भी कहा जाता है. यहां चूहों को काबा कहते हैं. यहां इतने चूहे हैं कि आपको पांव घिसटकर चलना पड़ता है. कहा जाता है कि एक चूहा भी आपके पैर के ऊपर से होकर गुजर गया तो आप पर देवी की कृपा हो गई और यदि आपने सफेद चूहा देख लिया तो समझो कि आपकी मनोकामना पूर्ण हो गई.