भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी का जीवन बहुत ही रोचक था। इनका इंदिरा से लेकर प्रधानमंत्री बनने तक का सफर प्रेरणादायी रहा। इनका प्रधानमंत्री बनना भारत में महिला सशक्तिकरण के इतिहास का उत्तम अध्याय था। ये 1966 से लेकर मृत्यू तक देश की प्रधानमंत्री बनी रही।
31 अक्टूबर 1984 की सुबह रोज की तरह इंदिरा गाँधी ने राहुल और प्रियंका को स्कूल जाने से पहले गुडबाय किस किया। और फिर राहुल गांधी से कुछ देर बात की और इसके बाद उन्होंने ब्रिटेन की प्रिंसेस एनी के डिनर के इंतजामों देखा और फिर वो इंटरव्यू देने के लिए अकबर रोड जाने लगी उसी दौरान सफदरजंग के विकेट गेट पर बेअंत सिंह और उनके भाई सतवंत सिंह ने इंदिरा गाँधी पर 36 गोलियां चला दीं।
हॉस्पिटल पहुँचने से पहले ही चली गयी थी जान
शायद हॉस्पिटल पहुंचने से पहले ही इंदिरा गांधी अपनी अंतिम सांस ले चुकी थीं, लेकिन उसके बाद भी डॉक्टरों ने अपनी कोशिश जारी राखी। डॉक्टरों ने इंदिरा को लगतार ब्लड चढ़ाया,लेकिन किसी की एक नहीं चली और इंदिरा गांधी इस दुनिया को छोड़ कर चली गयी। ऐसा कहा जाता है कि इंदिरा गांधी को अपने अंतिम समय के नजदीक आने का अहसास पहले से ही हो चुका था। जिस दिन ये घटना हुई उस दिन की सुबह इंदिरा गांधी ने राहुल और प्रियंका को स्कूल जाने से पहले गुड बाय किस किया। प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) को लगा कि उनकी दादी ने आज उन्हें काफी देर तक और ज्यादा जोर से गले लगाया था।
14 साल के राहुल को दे दी पुरे परिवार को सँभालने की जिम्मेदारी
उसके बाद उन्होंने 14 साल के राहुल गांधी से कहा कि वो उनके देहांत पर रोएंगे नहीं। और वो ही आगे बढ़कर सबको को संभालेंगे। हालाँकि ऐसा पहली बार नहीं था कि जब इंदिरा गांधी ने राहुल से मौत पर चर्चा की थी। उन्होंने राहुल से कहा था कि वो अब अपना जीवन जी चुकी हैं। हालाँकि वे इस तरह की बातें अपने बेटे राजीव गांधी (Rajiv Gandhi )या सोनिया गांधी (Sonia Gandhi ) से कभी नहीं करती थीं। उन्होंने अक्टूबर 1984 में ये लिखा था कि अगर मेरी मौत किसी हिंसक तरीके से होती है तो वो हिंसा हत्यारे के विचार में होगी मेरी मौत में नहीं। किसी भी प्रकार की घृणा सभी देशवासियों और देश के प्रति मेरे प्यार और लगाव को छुपा नहीं सकती। कोई भी ताकत मुझे मेरे देश को आगे बढाने से रोक नहीं सकता है।
लगातार हुई ३६ गोलियों की बौछार
इंदिरा गांधी को अक्टूबर की सुबह को पीटर उस्तिनोव (Peter Ustinov) को इंटरव्यू देकर करनी थी । इंदिरा अपने कार्यालय 1 अकबर रोड जाने के लिए सुबह सरकारी आवास सफदरजंग रोड से निकल जा रही थीं।उस वक्त उन्होंने भगवा रंग की साड़ी पहनी थी। जब वो अपने सरकारी आवास के विकेट गेट को पार कर रही थीं तब एक सुरक्षा गार्ड ने उन्हें सल्यूट किया। तब उन्होंने मुस्कराकर जवाब दिया। और तभी उन्हें यह अहसास हुआ कि उसने उनकी ओर बंदूक तान दी थी। हालाँकि उनका छाता पकड़ने वाले नारायन सिंह ने मदद के लिए जोर से आवाज लगाई । और इससे पहले कि इंडो-तिब्बतियन के बॉर्डर पुलिस के जवान उनकी मदद के लिए आते उससे पहले ही बेअंत सिंह और सतवंत सिंह ने एक के बाद एक 36 गोलियां इंदिरा गाँधी पर चला दीं थी।
क्यों नहीं पहनी इंदिरा ने अपनी बुलेटप्रूफ जैकेट
इस घटना से काफी देर पहले ही इंदिरा गांधी को बुलेटप्रूफ जैकेट पहनने को और उन सिख सुरक्षाकर्मियों (Sikh security personnel )को हटाने के लिए कहा गया था, लेकिन इंदिरा गाँधी ने दोनों बातें मानने से इनकार कर दिया था। उनका यह मानना था कि घर पर इतने भारी बुलेटप्रूफ जैकेट (bulletproof vest ) पहनने की कोई जरुरत नहीं है। और सिख सुरक्षाकर्मियों को हटाने की बात पर उन्होंने कहा कि इस विचार में भेदभाव दिख रहा । हत्या से कुछ दिन पहले ही इंदिरा गांधी ने बेअंत सिंह की और इशारा करके गर्व से ये कहा था कि जब मेरे आस-पास ऐसे सिख सुरक्षाकर्मि हैं तो मुझे किसी चीज से डरने की जरूरत ही नहीं है।
हालाँकि उसी दिन इंदिरा के हथियारे की भी मौत हो गयी इंदिरा पे फायरिंग के बाद दोनों ही हथियारों अपने-अपने हथियार फेंक कर सरेंडर कर दिया लेकिन बेअंत सिंह ने वहां से भागने की कोशिश की और इसी बिच उसे गोली लग गयी और वह मर गया। हालाँकि सतवंत सिंह को भी कुछ समय के बाद फांसी हो ही गयी।