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दुनिया के नक़्शे से क्यों गायब हो गया इटली का पोम्पी शहर

अंदाजन 2 हजार साल पहले इटली का पॉम्पी शहर एक झटके में तबाह हो गया । ज्वालामुखी के फूटने से उसकी राख में दबे इस शहर के बारे में लोगों को पता ही नहीं है । खुदाई के दौरान दुनिया के नक्शे से गायब हो चुके इस शहर की खौफनाक तस्वीरें सामने आई थीं।

करीब 170 एकड़ में फैला हुआ था पोम्पी शहर। और ये इटली का वेकेशन स्पॉट था। काफी दूर-दूर से लोग यहां घूमने के लिए आते थे। पहाड़ों से 5 मील दूर बसे पॉम्पी शहर में पर्यटकों के कारण सारी सुविधाएं उपलब्ध थीं। यहां एक बाहत बड़ा बाजार था जहां मांस से लेकर फल-सब्जियां जैसी सभी चीजें मिलतीं थी। कई सरे रेस्टोरेंट भी थे। यहां तक कि कई सारे थिएटर और एक बड़ी होटल भी थी। लेकिन ज्वालामुखी के विस्फोट के कारण सब नस्ट हो गया।

यहाँ किया जाता था जिस्मो का व्यापार

ऐसा कहा जाता है की पोम्पी शहर के निवासी। एक ऐसा व्यापर करते थे जिसका नाम अपनी जुबान पे लेन से पहले लोग दस बार सोचते होंगे। जी हाँ यहाँ रहने वाले सभी लोग जिस्म फ़िरोसी किया करते थे यही वजह थी की पोम्पी में सभी पाकर की सेवाएं उपलब्ध थी। पोम्पी का हर एक निवासी ये काम किया करता था। यहाँ पे रहने वाले बच्चे से लेकर बूढ़े तक सभी लोग इस काम को किया करते थे। और  थिएटर और होटल की तरह यहाँ कई सारे वेश्यालय भी थे। जिसमे सभी लोग अपने जिस्म को नीलाम करते थे। यहाँ राजा-रानी से लेकर प्रजा के सभी लोग यही काम करते थे और और तो उन लोग को ये काम करने में कोई शर्मिंदगी नहीं थी उल्टा उन्हें तो फक्र था।

ज्वालामुखी के फटने से तक़रीबन हजारो लोगो नई जाने गयी

वैसे माउंट वेसुवियस ज्वालामुखी रातोंरात नहीं बना था। शहर को इसके बारे में सबको पहले से ही पता था। लेकिन क्योंकि वहां छोटे-मोटे विस्फोट होते ही रहते थे, हालाँकि लोगों को उसके आस-पास रहने में कोई खतरा नहीं था। 79 ई. में जब ज्वालामुखी भयंकर तरीके से फटा, तब अक्टूबर का महीना था। वोल्केनो के फटते ही पुरे आसमान में धुआं, धूल, गर्म पत्थरों और राख से भरने लगा था। और आख़िरकार इस ज्वालामुखी के विस्फोट ने सभी को अपनी चपेट में ले ही लिया।

1738 में आर्कियोलॉजिस्ट्स (Archaeologists)ने गायब हुए पॉम्पी शहर को खोज लिया था। खुदाई के दौरान का यहाँ का नजारा काफी खौफनाक था। 30 फीट नीचे मिट्टी और राख के नीचे हजारो लोगों की लाशें जमीन के अंदर जमी हुई थीं। जब माउंट वेसुवियस में ज्वालामुखी विस्फोट हुआ तो पोम्पी शहर छोड़कर भाग नहीं सके, वो सभी मारे गए। कई सालों से चली आ रही खुदाई के काम के बावजूद भी कोई न कोई लाश तो मिलती ही रहती है। कहा जाता है कि दुनिया ने इस शहर को तो मनो भुला दिया था लेकिन इस हादसे में बचे प्लिनी नाम के व्यक्ति ने लेटर के जरिये इसका पता चला था।

 

पोम्पी की तलाश में सामने कई खौफनाक रहस्य

खुदाई करते समय जब कई लोगों की बॉडी मिली तब यह अंदाजा लगाया गया कि ज्वालामुखी के विस्फोट से निकलने वाली जहरीली गैस से लोगों की मौत हुई होगी। हालाँकि जब इस पर रिसर्च किया गया तब पता चला कि सभी की मौत ज्वालामुखी की राख की गर्मी से हुई थी। इसका मतलब ये है कि जब ये लोग राख के अंदर दबे थे, तब वो लोग जिंदा थे। अंदर इतनी गर्मी थी की इनकी बॉडी बर्दाश्त नहीं कर पाई और ये लोग तड़प-तड़प कर मर गए।

हालाँकि साल 1748 में कुछ सैलानी यहां पहुंचे और पत्थर से बने शरीरों को देखकर चौंक गए। इमारतें तो वैसी की वैसी थीं और लोगों के स्केलेटन भी उसी अवस्था में थे, जैसे वो ज्वालमुखी के लावे की चपेट में आने से पहले रहे होंगे। यहां तक कि सड़कों पर ब्रेड और सब्जियां पत्थर में दबे हुए मिले.

माना जाता है कि शहर की तलाश के बाद पुरे यूरोप में उस शहर की वास्तुकला की नकल होने लगी गई। आज भी पुरे यूरोप के अमीर घरों में एट्रसकेन कमरे होते हैं, जो पोम्पई के घरों  पर तर्ज बनाए जाते हैं. ये एंटीक होते हैं और इनमें काफी आध्यात्मिक शक्ति मानी जाती है, जो रहने वालों को हमेशा संपन्न और सेहतमंद रखती है.