सरदार भगत सिंह….. वो नाम जिसने अंग्रेजी हुकूमत के नाक में दम कर रखा था. वो भगत सिंह जिनकी हर धड़कन में देश के लिए प्रेम और अंग्रेजी हुकूमत के लिए बेपनाह नफरत भरी हुई थी. वही भगत सिंह जो डंके की चोट पर मादर ए वतन की आजादी चाहते थें. 28 सितंबर को भगत सिंह की जयंती है. कई जगहों पर भगत सिंह का जन्मदिन 27 सितंबर को भी मनाया जाता है. आज उसी महान देशभक्त भगत सिंह की जयंती पर उनसे जुड़े एक दिलचस्प किस्से को हम आपके साथ साझा कर रहे हैं.
उम्र कैद की सजा काट रहे देशभक्त का जिगरा तो देखिए
भगत सिंह ने अपने साथियों के साथ दिल्ली असेंबली में बम धमाका किया था. जिसके बाद उन पर मुकदमा चला और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. अच्छे अच्छे सूरमा आजीवन कारावास की सजा सुनकर हिल जाते हैं लेकिन भगत सिंह तो न जाने किस मिट्टी के बने थें.
आजीवन कारावास की सजा के बाद भगत सिंह को दिल्ली जेल भेजा गया. अंग्रेजी हुकूमत की भगत सिंह की हाड़ कुछ इस कदर कांपती थी कि जेल में बंद भगत सिंह भी उनकी आंखों की किरकिरी थें. इसके बाद भगत सिंह को लाहौर जेल में शिफ्ट कर दिया गया. लाहौर जेल में कुव्यवस्था का आलम था तो भगत सिंह यहां जेलर से भिड़ गए और भूख हड़ताल शुरु हो गई.
16 दिन के बाद समझौता हुआ तो भूख हड़ताल समाप्त हुई. इसके बाद भगत सिंह ने अपने एक खास दोस्त जयदेव को एक खत लिखी , जिसे पढ़ कर आप भगत सिंह के जीवन के दूसरे हिस्से से भी अवगत हो सकते हैं.
विषय : बेहद जरुरी
केंद्रीय जेल, लाहौर
मेरे प्रिय जयदेव,
मुझे उम्मीद है कि तुमने 16 दिन के बाद हमारी भूख हड़ताल छोड़ने की बात सुन ली होगी और तुम अंदाजा लगा सकते हो कि इस समय तुम्हारी मदद की कितनी जरूरत है. हमें कल कुछ संतरे मिले लेकिन कोई मुलाकात नहीं हुई.
हमारा मुकदमा 2 सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया है. इसलिए एक टीन घी और एक क्रेवन-ए सिगरेट का टिन भिजवाने की तुरंत कृपा करो.
कुछ रसगुल्ला के साथ कुछ संतरों का भी स्वागत है. सिगरेट के बिना दल की हालत खराब है, अब हमारी जरूरतों की अनिवार्यता समझ सकते हो.
अग्रिम आभार सहित
सच्ची भावना सहित तुम्हारा
भगत सिंह