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लखीमपुर में हिंसा: कार के द्वारा आंदोलनकारियों को रौंदे जाने के बाद देखिये गोदी अखबारों का शीर्षक

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में रविवार को हुई हिंसा में 8 से ज्यादा किसानों और बीजेपी कार्यकर्ताओं की मौत हो गई है। इस घटना के सामने आते ही लोगों में (अंधभक्त इसमें शामिल नहीं है) एक अलग ही गुस्से का माहौल बन गया। विरोध करने वाले किसानों पर जिस तरह मंत्री के बेटे के द्वारा गाड़ी चढ़ाने की खबर सामने आई तो लोगों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। हालांकि इस हादसे में इस आंदोलनकारी ही नहीं बल्कि ४ बीजेपी कार्यकर्ता और अजय मिश्रा के ड्राइवर की मौत की भी खबर आय। शुरुवात कहाँ से हुई, इसकी शिनाख्त की जा रही है ।

इसी के साथ क्योंकि मामला उत्तर प्रदेश का था और अगले साल विधानसभा के चुनाव है तो फिर सियासत होनी तो तय ही थी। इस पूरे मामले के सामने आते ही भाजपा विरोधी दलों ने लखीमपुर जाने की कोशिश शुरु कर दी। कई नेता घरों में हाउस अरेस्ट हुए तो कई सीतापुर में लेकिन इस पूरे हादसे में किसानों का साथ देने के लिए लोगों ने किसी ना किसी तरह से अपना रोष प्रकट किया। लेकिन इन सबमें एक बार फिर निकम्मा कोई निकला तो वो गोदी मीडिया निकली।

क्या है पूरा वाक्या?

सबसे पहले आपको घटना के बारे में बताते हैं दरअसल ये वाक्या रविवार शाम का है, जब किसान उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या के दौरे का विरोध कर रहे थे। उपमुख्यमंत्री इस दौरान गृह राज्यममंत्री अजय मिश्र टेनी के गांव में एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए जा रहे थे। इस दौरान आरोप है कि काफिले में शामिल मंत्री के बेटे आशीष मिश्र की गाड़ी किसानों पर चढ़ा दी।

यूपी पुलिस (UP Police ADG) के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर ने कहा है कि लखीमपुर के वीडियो को शेयर करने वालों पर होगी कार्यवाही, इसलिए उस वीडियो को हम यहाँ पर शेयर नहीं कर पा रहे हैं ,वीडियो में साफ़ साफ़ देखा जा सकता है किस तरह गाड़ी किसानों के ऊपर चढ़ा दिया जाता है।

 मेन स्ट्रीम गोदी मीडिया शाहरुख़ खान के बेटे में व्यस्त थी

इसके बाद किसानों ने काफिले पर धावा बोल दिया और गाड़ियों में आग लगा दी। ऐसे में हमारी मीडिया के लिए रविवार का दिन वैसे काफी व्यस्त रहा। एक ओर तो मुंबई में शाहरुख खान के बेटे की ड्रग्स के मामले में गिरफ्तारी हुई तो वहीं शाम को लखीमपुर में हिंसा हो गई। इन दोनों में से कौन सी खबर जनता के लिए अहम है इसका फैसला शायद एक छोटा बच्चा भी कर सकता है, लेकिन हमारे मीडिया और अखबारों द्वारा की जा रही बेईमानी की एक झलक दैनिक जागरण में देखने को मिली है जिसमें हिंसा का सारा दोष किसानों पर ही फोड़ दिया गया।

दैनिक जागरण ने किसानों को ही बता दिया उपद्रवी

सबसे पहले तो दैनिक जागरण ने हिंसा की खबर पहले पेज पर शाहरुख खान के बेटे की गिरफ्तारी के नीचे दी। उसके बाद अखबार ने शीर्षक दिया कि उत्तर प्रदेश में अराजक किसानों का उपद्रव, 6 की गई जान। शीर्षक पढ़ने पर लगता है मानों सब कुछ किसानों ने किया और उसी की वजह से किसानों की मौत भी हो गई। खबर में लिखा गया है कि दिल्ली सीमा पर जारी कृषि कानून विरोधी प्रदर्शन की आग आखिरकार उत्तर प्रदेश आ पहुंची।

इसके बाद बताया गया है कि किस तरह किसानों ने काफिले को रोककर पथराव किया और आग लगा दी। खबर में जागरण ने लिखा है कि केंद्रीय मंत्री का बेटा काफिले में मौजूद था, तो वहीं उसके ऊपर अजय मिश्र के लिखे एक बयान में बताया कि उनका बेटा घटना पर नहीं था। अपनी खबर में जागरण ने लिखा, केशव प्रसाद मौर्य केंद्रीय मंत्री के गांव भी नहीं पहुंच सके, जबकि उसी की बगल में लिखे मंत्री के बयान में लिखा गया है कि आशीष मिश्र, उपमुख्यमंत्री के साथ कार्यक्रम में मौजूद थे। आपको बता दें कि जागरण अखबार में दो पेज का उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दिया गया विज्ञापन भी है।

अमर उजाला ने क्या कहा

अमर उजाला ने लखीमपुर में हुई हिंसा को पहले पेज पर प्रमुखता के साथ जगह दी है। अखबार ने शीर्षक लिखा कि मंत्री के बेटे की कार ने किसानों को रौंदा, चार मरे भीड़ के हमले में चालक व तीन भाजपाइयों की मौत। खबर में अखबार ने घटना की पूरी जानकारी दी है। वहीं किसान नेताओं और अजय मिश्र का बयान भी छापा है। साथ ही बताया कि किसान अजय मिश्र का क्यों विरोध कर रहे हैं। दरअसल 25 सिंतबर को अजय मिश्र ने एक बयान देते हुए कहा था कि कृषि कानूनों के खिलाफ सिर्फ 10-15 लोग शोर मचा रहे हैं। सुधर जाओ, वरना हम सुधार देगें, दो मिनट लेंगे। किसान इस बयान के खिलाफ विरोध कर रहे थे।

हिंदुस्तान

हिंदुस्तान ने सपाट शीर्षक देते हुए लिखा कि लखीमपुर लहूलुहान, आठ की मौत। अखबार ने आगे लिखा, चार को कार ने रौंदा और चार को भीड़ ने मारा। इस खबर में अखबार ने अजय मिश्र, उनके बेटे आशीष मिश्र और राकेश टिकैत का बयान लिखा। साथ ही मुख्यमंत्री का बयान भी लिखा है जिसमें कहा गया है कि, दोषियों को नहीं छोड़ा जाएगा। अखबार ने लिखा कि उपमुख्यमंत्री के दौरे का विरोध कर रहे किसानों पर बनवीरपुर की ओर से तेज गति से दो कारें आईं और किसानों को रौंदती हुई चली गईं। एक कार टेनी के बेटे आशीष मिश्र की बताई जा रही है। कार में जो मिला, भीड़ ने उसको पीटा। इस घटना के बाद पूरे प्रदेश में अलर्ट घोषित कर दिया गया है।

नवभारत

टाइम्स ग्रुप के हिंदी अखबार नवभारत ने एजेंसी की खबर को ही प्रकाशित किया। अखबार ने शीर्षक में लिखा कि यूपी में किसानों के प्रदर्शन के दौरान हिंसा, 8 की मौत। खबर में आगे अजय मिश्र, योगी आदित्यनाथ का बयान प्रकाशित किया गया है। साथ ही छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के लखीमपुर दौरे के बारे लिखा गया है।

इस मुद्दे को जिस तरह से अखबारों ने छापा है, उससे किसानों के प्रति इनकी पत्रकारिता साफ नजर आती है। एक बार फिर से गोदी मीडिया ने हमें निराश करने का मौका छोड़ा नहीं है। भाजपा को बचाने की होड़ में दैनिक जागरण जैसे अखबार आज किस दिशा में बढ़ गए हैं, ये समझना मुश्किल है। अखबारों जैसा ही हाल टीवी वालों का भी रहा, उन्होंने एक सुपरस्टार के बेटे को ड्रग अडिक्ट साबित करने में काफी मेहनत की। लेकिन किसानों की हत्या पर बोलना जरूरी नहीं समझा और सरकार को कठघरे में खड़ा करने की जगह पर एक बार फिर विपक्ष पर ही राजनीति करने के आरोप लगाने का काम किया।