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सियाचिन ग्लेशियर को लेकर अक्सर चर्चा होती रहती है। एक ओर भारत की सेना तो दूसरी ओर पाकिस्तान की सेना यहां हमेशा आंख गड़ाए बैठी हुई नजर आ जाती है।

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लालू यादव का जंगलराज देखना है तो आज का उत्तर प्रदेश देख लो

जंगलराज जब सोचते हैं तो वो कुछ ऐसा होता है कि दो गुटों में लड़ाई हुई, मारपीट हुई, लाठी-डंडे चले और फिर गोली चली। पुलिस मौके पर तब पहुंच जब हमलावर भाग गए।
Logic Taranjeet 18 October 2020
लालू यादव का जंगलराज देखना है तो आज का उत्तर प्रदेश देख लो

बलिया में जो मर्डर केस सामने आया है, उसने पूरे उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी है। दिन दहाड़े मर्डर और वो भी पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के सामने, ऊपर से पुलिस पर हत्या के मुख्य आरोपी को भगाने का आरोप, उत्तर प्रदेश के बर्बाद कानून-व्यवस्था का नमूना ही तो है। सिर्फ अधिकारियों की लापरवाही पर ही बात करना बेवकूफाना है। क्योंकि इसमें में तो इलाके के भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह भी शामिल है।

विधायक साहब तो आरोपी को बचाने में लगे हैं और बीच में न्यूटन को ले आए। उन्होंने आरोपी को बचाने के लिए न्यूटन के लॉ ‘हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है’ की दुहाई दे दी। वैसे तो इस मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एसडीएम और सीओ को सस्पेंड कर दिया है। लेकिन विधायक जी का क्या?

बिहार का जंगलराज देखना है तो यूपी की खबरें देख लो

एक तरफ तो भाजपा हाईकमान बिहार चुनाव में लोगों को लालू यादव और राबड़ी यादव के शासन के दौरान हुए ‘जंगलराज’ के बारे में जनता को याद दिला रहा है। लेकिन ठीक उसी वक्त यूपी किस रास्ते पर बढ़ रहा है ये भी सभी को याद रखना होगा। हाथरस से लेकर बलिया तक की घटनाएं अगर यूपी में फैले ‘जंगलराज’ का नमूना नहीं हैं, तो फिर तो सवाल उठता है कि बिहार चुनाव में भाजपा अपने एनडीए के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार नीतीश कुमार के साथ मिल कर लोगों को किस चीज का डर दिखा रही है?

बिहार चुनाव के वोटर्स में युवाओं ने लालू और राबड़ी के जंगलराज को नहीं देखा लेकिन वो यूपी में फैले हुए इस जंगलराज को देख कर समझ सकते हैं कि उस वक्त का जंगलराज भी कुछ ऐसा ही रहा होगा। यूपी में रोज हत्या, बलात्कार, अपहरण हो ही रहे हैं और एनकाउंटर भी – अब तो यूपी पुलिस की गाड़ियों का पलटना भी मुहावरे के तौर पर इस्तेमाल किया जाने लगा है।

‘जंगलराज’ कैसा होता है?

जंगलराज जब सोचते हैं तो वो कुछ ऐसा होता है कि दो गुटों में लड़ाई हुई, मारपीट हुई, लाठी-डंडे चले और फिर गोली चली। पुलिस मौके पर तब पहुंच जब हमलावर भाग गए। उत्तर प्रदेश के बलिया के दुर्जनपुर गांव में ठीक इसका उलटाहुआ है। एसडीएम और पुलिस के सर्कल ऑफिसर मौके पर थे और सबकुछ उनकी आंखों के सामने हुआ। पहले गर्मागर्म बहस, फिर मारपीट, फिर डंडे-लाठी और फिर गोलीबारी। दूसरे पक्ष का एक व्यक्ति गोली लगने से मर जाता है। फिर लोग हमलावर को घेर लेते हैं और तभी पुलिस भी सामने आती है।

लोग पीछे हट जाते हैं और सोचते हैं कि पुलिस गोली मारने वाले को पकड़ लेगी, लेकिन ऐसा नहीं होता है। पुलिस वहीं खड़ी रहती है और हमलावर भाग जाता है। दूर खड़े कुछ लोग वीडियो भी बना रहे होते हैं और ऐसे ही एक वायरल वीडियो में पूरा नजारा नजर आता है। जिस व्यक्ति की हत्या हो जाती है उसके घर वालों का आरोप है कि पुलिस ने जानबूझ कर हमलावर को भगा दिया। आरोप है कि जब लोग लाठी डंडा लेकर हमलावर का पीछा कर रहे थे तो पुलिस ने जानबूझ कर उसे भगाने के लिए घेरा बना लिया था और मौका पाकर उसे भाग जाने दिया।

पुलिस के सामने हत्या हो जाती है और हत्यारे भाग भी जाते हैं। जिसे देखकर मुख्यमंत्री जी अधिकारियों को संस्पेंड कर देते हैं। सवाल ये है कि कानून व्यवस्था को लेकर आखिर किन परिस्थितियों में ‘जंगलराज’ की संज्ञा दी जाती है? भीड़ ने गोली मारने वाले को घेर लिया हो तो बेशक पुलिस को आगे बढ़ कर अपनी ड्यूटी निभानी चाहिये। पुलिस को किसी को कानून हाथ में लेने का मौका नहीं देना चाहिये। मॉब लिंचिंग भी अपराध ही होता है।

तब क्या कहा जाएगा जब पुलिस भीड़ के आगे आकर आरोपी को पकड़ने और गिरफ्तार करने की जगह उसके भागने में मददगार बन जाये? जब मौके पर एसडीएम जैसा प्रशासनिक अधिकारी मौजूद हो और पुलिस टीम का अफसर क्षेत्राधिकारी मौजूद हो तो क्या संभव है कि कुछ सिपाही और दारोगा किसी व्यक्ति को मौके से फरार हो जाने देंगे? जाहिर है कि अफसरों के हुक्म ही माने घए होंगे। पुलिसकर्मियों ने जो भी किया वो अफसरों की मर्जी से ही किया गया होगा।

विधायक का करीबी है तो भाग सकता है

हत्या के मुख्य आरोपी धीरेंद्र प्रताप सिंह को सेना का रिटायर्ड जवान बताया जा रहा है और वो भूतपूर्व सैनिक संगठन की बैरिया तहसील इकाई का अध्यक्ष है। धीरेंद्र को बैरिया से भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह का करीबी भी बताया जा रहा है। वो भाजपा के लिए काम भी कर चुके हैं। चैनल से बात करते हुए तो वो बोले कि आप लोग जिसे आरोपी बता रहे हैं उसके पिता को डंडे से मारा गया। किसी के पिता, किसी की भाभी और किसी की बहन को कोई मारेगा तो क्रिया की प्रतिक्रिया होगी ही। सुरेंद्र सिंह ने ये भी बताया कि घटना के दौरान धीरेंद्र के परिवार के करीब आधा दर्जन लोग घायल हुए हैं।

किसके भरोसे है कानून व्यवस्था?

क्या सत्ताधारी भाजपा के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सूबे में कानून व्यवस्था को क्रिया की प्रतिक्रिया के भरोसे छोड़ रखा है? बताने की जरूरत नहीं है कि ये कोई गैंगवार चल रहा है जिसमें अपराधी ही अपराधी को मार रहे हैं। ये किसी एनकाउंटर का भी मामला नहीं है जो योगी आदित्यनाथ के हुक्म की पुलिस ने तामील किया हो और तो और ये चलते चलते किसी गाड़ी के पलट जाने जैसा भी मामला नहीं है।

हत्या के मुख्य आरोपी को भगाने में अफसरों ने तो जो किया वो किया ही, भाजपा के विधायक तो चार कदम आगे ही नजर आ रहे हैं। बताने की जरूरत नहीं है कि भाजपा विधायक सुरेंद्र अपने बयानों को लेकर अक्सर ही चर्चा में रहते हैं। बलात्कार के मामलों में तो उनके बयान कुछ ज्यादा ही विवादित रहे हैंष हाल ही में वो समझा रहे थे कि माता-पिता को अपनी बेटियों को अच्छे संस्कार देने चाहिये।

Taranjeet

Taranjeet

A writer, poet, artist, anchor and journalist.