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लालू यादव की 3 साल बाद वापसी और बिहार की सियासत में आने वाले हैं बदलाव

Logic Taranjeet 6 July 2021
लालू यादव की 3 साल बाद वापसी और बिहार की सियासत में आने वाले हैं बदलाव

बिहार की राजनीति में शक्ति प्रदर्शन, इमोशन और Competition का पूरा बोलबाला है। एक तरफ जहां Rashtriya Janata Dal (RJD) ने मैदान में अपनी टीम के सबसे बड़े खिलाड़ी लालू यादव को उतारा तो वहीं दूसरी तरफ लोक जनशक्ति पार्टी ने भी अपने सबसे बड़े नेता राम विलास पासवान की जयंती पर असली वारिस कौन वाला मैच खेल दिया है। एक तरफ लालू अपने छोटे बेटे तेजस्वी को अघोषित अपना अत्तराधिकारी बना रहे थे तो दू]री तरफ पशुपति पारस एलजेपी के घोषित उत्तराधिकारी चिराग के खिलाफ ही हवा चला रहे हैं।

लालू की वापसी और बड़ा संदेश

तकरीबन 3 सालों के बाद अपनी पार्टी के 25वें स्थापना दिवस के मौके पर अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं से लालू यादव रूबरू हुए। लालू यादव इलाज की वजह से अपनी बेटी मीसा भार्ती के दिल्ली वाले सरकारी घर पर हैं और वहीं पर लालू के दोनों बेटे पटना में मोर्चा संभाले हुए हैं। लालू यादव ने एक बार फिर अपने चिरपरिचित अंदाज में जनता को संदेश और विरोधियों को घेरने की कोशिश की। लालू ने इस दौरान अपने राजनीतिक संघर्ष को भी याद किया और फिर अपने विरोधियों पर भी जमकर बरसे।

नीतीश-मोदी सब पर निशाना

लालू यादव की सरकार पर जंगलराज का आरोप लगता रहा है, सीएम नीतीश कुमार से लेकर भाजपा जंगलराज के नाम पर वोट मांगती रही है। फिर क्या था लालू ने भी उन्हीं आरोपों का जवाब देना शुरू किया. लालू ने कहा कि हमारी सरकार को जंगलराज कहते हैं। तवा पर रोटी एक ही साइड से पक रही थी उसे हमने पलटने का काम किया है और हमरा राज जंगलराज नहीं जनराज रहा है। लालू ने केंद्र सरकार पर भी तंज कसा और कहा कि कोरोना प्रलय जैसा है। लेकिन उससे बढ़कर महंगाई और बेरोजगारी कमर तोड़ रही है। अगर हमारी सरकार में पेट्रोल, डीजल के दाम बढ़ते तो लोग हमें चलने नहीं देते, लेकिन आज लोग मजबूर हैं। आज पेट्रोल का दाम घी को पीछे कर रहा है।

लालू की नजर अपने मुसलमान वोटर पर

लालू यादव की छवि सेक्यूलर नेताओं की है और 90 के दशक में राम मंदिर के लिए निकली लाल कृष्ण आडवानी की रथ यात्रा बिहार में रोक दी थी। लालू ने एक बार फिर अपने मुसलमान वोटरों को अयोध्या का जिक्र कर संदेश देने की कोशिश की कि वो और उनकी पार्टी सेक्यूलरिजम पर पीछे नहीं हटेगी। लालू ने कहा कि कुछ लोग अयोध्या में राम मंदिर के बाद मथुरा का नारा लग रहे हैं और इसका मतलब क्या है? क्या चाहते हैं? सत्ता के लिए इस देश को तबाह बर्बाद करना चाहते हैं ये लोग। आरजेडी के लोगों से यही कहूंगा कि वे सामाजिक तानाबाना को मजबूत करने के लिए काम करते रहें।

जहां एक तरफ लालू अपने मुसलमान वोटर को यकीन दिला रहे थे कि वो उनके मसीहा हैं वहीं बेटा तेजस्वी आरजेडी को मुस्लिम-यादव की पार्टी के अलावा A टू Z की पार्टी बता रहे थे। तेजस्वी ने मंच से कहा कि अगर मुसलमान और यादव सिर्फ वोट करते तो क्या हमको 2020 विधानसभा चुनाव में सिर्फ 12 हजार कम वोट आते? हर वर्ग, धर्म और जाति ने वोट दिया है। ये विरोधियों की चाल है कि आरजेडी को सीमित कर दो, लेकिन आरजेडी सबकी पार्टी है।

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चिराग और पारस को राम विलास का ही सहारा

अब बात अगर पासवान परिवार की करें तो 5 जुलाई को एलजेपी के संस्थापक राम विलास पासवान की जयंती है। लेकिन उनका परिवार और पार्टी बिखर चुकी है। राम विलास के भाई पशुपति कुमार पारस ने एलजेपी के 5 सांसदों के साथ मिलकर चिराग पासवान को अलग कर दिया है। अब चिराग अपने पिता के विरासत और पार्टी को अपने पाले में रखने के लिए लड़ रहे हैं। इसी लड़ाई को जीतने के लिए या कहें खुद को मजबूत दिखाने के लिए चिराग पासवान ने 5 जुलाई से आशीर्वाद यात्रा की शुरुआत की है। चिराग ने आशीर्वाद यात्रा से पहले कहा कि मैं रामविलास पासवान का बेटा हूं, शेर का बेटा हूं, जैसे पापा कभी नहीं डरे थे वैसे ही मैं भी कभी नहीं डरूंगा।

पशुपति पारस का नया दांव- भारत रत्न

जहां एक तरफ चिराग पिता की मौत और परिवार में फूट का इमोशनल एंगल निकाल कर जनता के बीच जा रहे हैं तो वहीं पशुपति पारस के पास भी कहने को भाई राम विलास के नाम के सिवा कोई सहारा नहीं है। पशुपति पारस भी पटना से लेकर हाजीपुर में राम विलास की जयंती समारोह मना रहे हैं। यही नहीं पशुपति पारस ने एक दाव चला है और वो है राम विलास पासवान के लिए भारत रत्न सम्मान की मांग। पारस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मांग की कि राम विलास पासवान की राजनीति और देश के विकास में योगदान को देखते हुए उन्हें भारत रत्न से नवाजा जाए।

दलित वोटर को एकजुट रखने की चिराग की कोशिश

चिराग पासवान ने राम विलास पासवान के पुराने क्षेत्र हाजीपुर से आशीर्वाद यात्रा की शुरुआत की है और एलजेपी के लिए हाजीपुर संसदीय क्षेत्र पारंपरागत सीट रही है। रामविलास पासवान इस क्षेत्र का कई बार लोकसभा में प्रतिनिधित्व कर चुके हैं, लेकिन फिलहाल यहां से चिराग पासवान के चाचा पशुपति पारस सांसद हैं। हाजीपुर जाने से पहले चिराग पटना पहुंचे थे। यहां उन्हें भीम राव आंबेडकर की मूर्ति पर माल्यार्पण करना था, लेकिन ऐसा न हो सका। जिसपर चिराग नाराज होकर वहीं धरने पर बैठ गए। आंबेडकर के सहारे पिछड़े वोटरों को संदेश देना राजनीति में पुराना तरीका रहा है। हालांकि कुछ देर आंबेडकर मूर्ति के सामने हाथ जोड़कर चिराग वैशाली के लिए रवाना हुए।

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A writer, poet, artist, anchor and journalist.

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