भारत में बेशक से आर्थिक तरक्की की रफ्तार धीमी हो, लेकिन राजनीतिक दलों के साथ ऐसा बिलकुल भी नहीं है। इस धीमी रफ्तार में भी राजनीतिक दलों का बिजनेस खूब तरक्की कर रहा है। मंदी का इन दलों की कमाई पर कोई असर होता हुआ नजर नहीं आ रहा है। बात अगर पिछले एक साल की करें तो 6 राष्ट्रीय पार्टियों की कुल कमाई में 2300 करोड़ रुपये की बढ़त देखी गई है। इस बात का खुलासा इन दलों के द्वारा चुनाव आयोग को दिया गया है। और गैर-सरकारी संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने ये जानकारी एक रिपोर्ट के माध्यम से दी है। एडीआर ने ये जानकारी पार्टियों के आयकर रिटर्न से हासिल की है जिसकी जानकारी सभी पार्टियों को चुनाव आयोग को देनी होती है। राष्ट्रीय पार्टियों में भाजपा, कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी, एनसीपी, सीपीआई, सीपीएम और तृणमूल कांग्रेस शामिल हैं। हालांकि इनमें से एनसीपी ने अभी तक अपनी आय और व्यय की जानकारी सार्वजनिक नहीं की है।
बाकी 6 पार्टियों ने वित्त वर्ष 2018-19 में कुल 3,698.66 करोड़ रुपये की आय घोषित की है। इनमें सबसे ज्यादा आय भारतीय जनता पार्टी ने घोषित की है। भाजपा को 2410.08 करोड़ रुपये की आमदनी हुई है, जो कि सभी पार्टियों की कुल आय का 65.16 प्रतिशत है। ये पिछले वित्त वर्ष में पार्टी द्वारा कमाई गई धनराशि में 1382.74 करोड़ रुपये यानी 134.59 प्रतिशत का इजाफा है। वहीं आमदनी के मामले में 918.03 करोड़ रुपये के साथ कांग्रेस पार्टी दूसरे नंबर पर रही है। ये सभी पार्टियों की कुल आय का 24.82 प्रतिशत है। ये पिछले वित्त वर्ष की कमाई के मुकाबले 718.88 करोड़ यानी 360.97 प्रतिशत की बढ़ोतरी है। प्रतिशत के लिहाज से देखें तो आय में सबसे ज्यादा वृद्धि तृणमूल कांग्रेस ने दर्ज की है। ममता बनर्जी की पार्टी ने पिछले वित्त वर्ष में महज 5.167 करोड़ रुपये कमाए थे लेकिन वित्त वर्ष 2018-19 में पार्टी ने 192.65 करोड़ रुपये कमाए, जो 3628.47 प्रतिशत की वृद्धि है।
पार्टियों के खर्च की तरफ ध्यान दें तो नजर आता है कि भारतीय जनता पार्टी ने अपनी 2410.08 करोड़ रुपये की आय में से सिर्फ 41.71 प्रतिशत यानी की 1005.33 करोड़ रुपये ही खर्च किए है। तो वहीं कांग्रेस ने अपनी कुल आय में से 51.19 प्रतिशत, तृणमूल कांग्रेस ने महज 5.97 प्रतिशत और सीपीएम ने अपनी कुल आय का 75.43 प्रतिशत खर्च किया है। चुनावी बॉन्ड की तमाम आलोचनाओं के बावजूद, पार्टियों की कमाई में चुनावी बॉन्ड का बड़ा हाथ रहा है। 6 राष्ट्रीय पार्टियों की कुल आय में से 52 प्रतिशत से भी ज्यादा चुनावी बॉन्ड से आई है। 6 राष्ट्रीय पार्टियों में से अकेले भाजपा, कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस ने चुनावी बॉन्ड से कुल 1931.43 करोड़ रुपये हासिल किए है और इनमें से बीजेपी ने 1450.89 करोड़ रुपये, कांग्रेस ने 383.26 करोड़ और तृणमूल कांग्रेस ने 97.28 करोड़ रुपये कमाए हैं।
एडीआर का कहना है कि चुनावी बॉन्ड राष्ट्रीय पार्टियों को चंदा देने का सबसे लोकप्रिय जरिया बन गया है क्योंकि उसके तहत चंदा देने वाले का नाम गुप्त रहता है। क्षेत्रीय पार्टियों ने भी चुनावी बॉन्ड से 490.59 करोड़ रुपये कमाए हैं। एडीआर ने ये भी कहा है कि कुछ राष्ट्रीय पार्टियों ने चुनावी बॉन्ड योजना की कड़ी आलोचना की है और उस पर काफी चिंता जताई है। लेकिन विडंबना ये है कि इन पार्टियों ने भी चुनावी बॉन्ड के जरिये चंदा लिया है और एक राष्ट्रीय पार्टी ने तो योजना के खिलाफ एक जनहित याचिका भी दायर की है।
मोदी सरकार वित्त वर्ष 2017-18 में चुनावी बॉन्ड योजना को ले कर आई थी और सरकार की दलील थी कि इससे चुनावी फंडिंग में कालेधन का इस्तेमाल खत्म होगा और चुनाव लड़ने वाली पार्टी साफ धन का इस्तेमाल कर पाएगी। हालांकि राजनीतिक विश्लेषक इस बात से सहमत नहीं हैं कि बॉन्ड से राजनीति स्वच्छ होगी। उनका मानना है कि जो भी दल सत्ता में रहेगा, उसके खाते में ही अधिक राशि जाने की संभावना बनी रहेगी। कई छोटे दलों का कहना है कि आमतौर पर लोग छोटे दलों को नकद में ही चंदा देते हैं और बॉन्ड की योजना की वजह से उन्हें चंदा मिलना कम हो जाएगा या बंद हो जाएगा।