देश के अंदर चुनाव का माहौल बना हुआ है, चुनाव शुरु होते वक्त कहा जाता है कि ये लोकतंत्र का त्योहार है, लेकिन अपने अंतिम चरण तक आते-आते ये त्योहार हिंसक, अभद्र और अपने गिरे हुए स्तर पर पहुंच गया है। जहां चुनाव में बंगाल में हिंसा हो रही है, तो रैलियों में मृत नेताओं पर कीचढ़ उछाला जा रहा है। साथ ही कभी किसी जाति को धमकाया जा रहा है तो कभी किसी मजहब के लिए कहा जा रहा है कि हम काम नहीं करेंगे, तो किसी नेता की तरफ से कहा जा रहा है कि मैं तो इस जाति से जूत साफ करवाता हूं।
लोकतंत्र का ये त्योहार इतनी नफरतों में घुस गया है कि समझ नहीं आ रहा है कि लोकतंत्र इतना गिर गया है या फिर इसको चलाने की जिम्मेदारी लेने वाले लोग। प्रधानमंत्री को हत्यारा कहा जाता है तो विपक्ष के नेता को पप्पू, लेकिन इन सबके बीच में जनता उम्मीद लगाती है कि उनके नेता देश का भविष्य संवारेंगे। लोगों की भाषा इस स्तर पर गिर गई है कि कोई किसी को नहीं छोड़ रहा है, फिर चाहे वो देश का पूर्व क्रिकेटर हो या दिल्ली का शिक्षा मंत्री सबके लिए भाषा का निम्न स्तर जो अपनाया जा सकता है शायद उसी का इस्तेमाल हो रहा है। अब अगर बाकी रह गया है तो मां-बहन की गालियां ही रह गई है तो या तो नेताजी उसका भी इस्तेमाल कर लो और हदों को पार कर दो या फिर इस चुनावी पर्व को खुशी से गुजरने दो। उसके बाद 5 साल तो आपने नजर आना नहीं है।
खैर इस बार जो भाषा की मर्यादा को लांघा है वो आम आदमी पार्टी के दिग्गज नेता और सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के दिल्ली प्रदेश के ट्विटर पर है।
दरअसल मामला शुरु हुआ जब एक पर्चा सामने आता है जिसमें दिल्ली की पूर्वी दिल्ली सीट से प्रत्याशी आतिशी के खिलाफ गंदी भाषा का और गलत चीजों के बारे में लिखा था, इसमें यहां तक लिखा था कि आतिशी के मनीष सिसोदिया के साथ अवैध संबंध है, साथ ही उनके मजहब और जाति पर भी गलत लिखा है, जिससे जाहिर है कि हर किसी की भावनाएं आहत होती है। हम सबकी भी होंगी और आतिशी भी इस पर काफी भावूक हुई। जिसके बाद आम आदमी पार्टी की तरफ से रौद्र रूप अपनाया गया और इसका पूरा ठीकरा भारतीय जनता पार्टी पर और उनके उम्मीदवार गौतम गंभीर पर फोड़ दिया गया।
इस मामले पर पहले तो गौतम गंभीर की तरफ से बयान सामने आए, लेकिन लगातार आम आदमी पार्टी की तरफ से आलोचना के बाद उन्होंने मानहानि का मुकदमा करवा दिया। जिसे बीजेपी ने अपने ट्विटर पर डाला और यहां से सारा भाषा का फसाद शुरु हुआ, मनीष सिसोदिया ने इस पर प्रक्रिया देते हुए कहा कि गौतम गंभीर चोरी और सीनाजोरी? इस घिनोनी हरकत के लिए तुम्हें माफी मांगनी चाहिए थी। और defamation की धमकी दे रहे हो? उलटा चोर कोतवाल को डांटे? Defamation हम करेंगे- तेरी हिम्मत कैसे हुई ये पर्चा बांटने की, और बेशर्मी से उसका झूठा इल्जाम CM पर लगाने की? अब गुस्सा आना तो स्वभाविक है, लेकिन एक राष्ट्रीय खिलाड़ी जिसने भारत को विश्व कप दिलाने में बहुत बड़ा रोल निभाया उसके खिलाफ तेरी, तू, तराक की भाषा एक पद पर बैठे इंसान को शोभा नहीं देती है।
@GautamGambhir चोरी और सीनाज़ोरी? इस घिनोनी हरकत के लिए तुम्हें माफ़ी माँगनी चाहिए थी। और defamation की धमकी दे रहे हो? उलटा चोर कोतवाल को डाँटे?
Defamation हम करेंगे- तेरी हिम्मत कैसे हुई ये पर्चा बाँटने की, और बेशर्मी से उसका झूठा इल्ज़ाम CM पर लगाने की.? https://t.co/sTVfpt3gvX
— Manish Sisodia (@msisodia) May 10, 2019
इसका करारा जवाब भी दिया गया है। ये जवाब खुद बीजेपी दिल्ली के ट्विटर पर दिया गया है और बीजेपी ने तो शायद अच्छे तरीके से बात करना ही छोड़ दिया है, क्योंकि ट्वीट में लिखे शब्द ये साफ बयां करते हैं- बेशर्मी की बात तुम तो ना ही करो। तुम लोगों की आदत है थूक के चाटने की। पहले भी बहुत बार किया है तुमने। और ये जो तूने वोट के लिए घटिया हरकत की है उसकी भारी क़ीमत चुकाएगा। इस बार नहीं बचोगे तुम। इस बार माफी नहीं मिलेगी।
https://twitter.com/BJP4Delhi/status/1126692302397661184
जी हां ये वही पार्टी है जिसे अटल बिहारी वाजपेयी ने बनाया था, ये वही पार्टी है जिसके संयोजक अपने दुश्मनों से भी इतनी अदब से बात करते थे कि वो भी उनके अपने हो जाते थे। वाजपेयी साहब की बनाई भारतीय जनता पार्टी का तू, तड़ाक पर उतरना और एक दल के लिए कहना कि थूक के चाटने की आदत है उतनी ही शर्मनाक है। जितना कि वो पर्चा था जो आतिशी के लिए लिखा गया था।
दोनों दलों के पास कानूनी रास्ते खूले हैं, ऐसे में आप लोगों की भाषा के इस गिरते स्तर से कोई भी क्या उम्मीद कर सकता है। जब दो सत्ता दल दिल्ली वालों से वोट मांगने आते हैं और इस तरह की भाषा का अपने विपक्षी के लिए इस्तेमाल करते हैं तो असल में लोकतंत्र खतरे में है।