विद्या और कला की देवी माँ सरस्वती को पवित्रता की देवी (Goddess of purity) माना जाता है। कहा जाता हैं कि जिसके ऊपर माँ सरस्वती का आशीर्वाद होता है उसका जीवन हमेशा के लिए प्रकाशमय हो जाता है। इस पवित्रता की देवी की पवित्रता पे भी सवाल उठाए गए और कहा गया की क्या सच में उनके पिता उनके सुन्दर रूप को आकर्षित हो गए थे ? आइये जानते है इस कहानी का पूरा सच।
पौराणिक कथाओं के अनुसार ब्रह्माजी (lord Brahma) की पहली पत्नी माँ सावित्री देवी (Savitri Devi) थी, और ब्रह्मा जी ने एक और विवाह की थी जो माँ गायत्री (Maa gayatri) थी। माता गायत्री देवी राजस्थान के पुष्कर की रहने वाली थी और माता गायत्री वेदज्ञान में महान थीं। ऐसा कहा जाता है कि एक बार पुष्कर में ब्रह्माजी को कोई यज्ञ करवाना था लेकिन उस समय उनके साथ माता सावित्री नहीं थी ।
तो उन्होंने देवी गायत्री से विवाह करके उस यज्ञ को संपन्न किया। लेकिन जब सावित्री को पता चला तो उन्हें काफी क्रोध आया और उन्होंने ब्रह्माजी को श्राप दे दिया कि जिसने सृष्टि की रचना की वो पूरी सृष्टि में कहीं पूजा नहीं जाएगा। हालाँकि इसी श्राप के चलते पुष्कर को छोड़ कर पूरे विश्व में भगवान ब्रह्मा का कहीं मंदिर नहीं है।
पद्म पुराण के अनुसार इस सृष्टि के रचयिता ब्रह्माजी ने वज्रनाभ (vajranaabh) नामक एक दैत्य को दुनिया में तबाही मचाते और लोगों को परेशान करते हुए देखा तो उन्होंने उस दैत्य पर अपने कमल के फूल से हमला किया। कमल का फूल लगते ही वो दैत्य मारा गया, और धरती पर जो तीन जगहों पर उस फूल की पंखुड़ियाँ गिरी, उन जगहों को ब्रह्माजी ने पुष्कर का नाम दिया। हालाँकि इन तीन जगहों को बूढ़ा पुष्कर, मंझला पुष्कर और छोटा पुष्कर के नाम से पहचाना जाता है।
सरस्वती के जन्म से जुडी कौन सी बातें है जो सरस्वती पुराण में बताई गयी है
सरस्वती पुराण के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि सृष्टि की रचना करते समय ब्रह्माजी ने अपने वीर्य से सरस्वती को जन्म दिया था। शायद इसलिए ऐसा कहा जाता है कि सरस्वती माता की कोई मां नहीं केवल पिता ब्रह्माजी ही थे। हालाँकि सरस्वती के पिता स्वयं ब्रह्मा भी सरस्वती पर आकर्षित हो गए और उन्हें अपनी अर्धांगिनी बनाना वहते थे।
और जब ये बात माँ सरस्वती को पता लगा तो वे ने अपने पिता से बचने के लिए चरों दिशाओं में छिपने की कोशिश करने लगी लेकिन वे असफल रही। और उन्हें विवश होकर अपने पिता के साथ विवाह करना पड़ा। सरस्वती पुराण के अनुसार ब्रह्माजी और सरस्वती लगभग 100 वर्षों तक किसी जंगल में पति-पत्नी की तरह रहे थे । उसी दौरानं इन दोनों का एक पुत्र भी हुआ जिसका नाम रखा गया था मनु । मनु दुनिया का पहला व्यक्ति था। सर्वप्रथम वही धरती पर आया था।
मत्स्य पुराण के अनुसार ब्रह्माजी के पांच सिर थे। कहा जाता है काल भैरव ने उनका पांचवा सिर काट डाला था। ऐसा कहा जाता है कि जब ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की तो वो पुरे ब्रह्मांड में अकेले ही थे। और तब उन्होंने अपने मुख से सरस्वती को उत्पन्न किया था । और ब्रह्मा अपनी ही पुत्री सरवस्ती के प्रति आकर्षित हो गए और उन पर कू दृष्टि डालने लगे। और ब्रह्मा की कू दृष्टि से बचने के लिए सरस्वती आकाश में जाकर छिप गईं, लेकिन ब्रह्मा ने अपने पांचवें सिर से उन्हें खोज लिया और फिर उनसे सृष्टि की रचना में सहयोग करने के लिए। और सरस्वती से विवाह करने के बाद उन दोनों ने अपने पहले पुत्र स्वयंभु मनु को जन्म दिया। और इसी कारण ‘मनु’ को पृथ्वी पर जन्म लेने वाला पहला मनुष्य कहा जाता है।