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भगवान ब्रह्मा की पूजा पुष्कर को छोड़कर क्यों नहीं की जाती है कहीं ?

Others Preeti Singh 5 January 2019
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हिन्दू धर्म की त्रिमूर्ति – ब्रह्मा, विष्णु, महेश को सारा संसार जानता है। एक ओर ब्रह्माजी जिन्हें इस सृष्टि का रचनाकार मानते हैं तो दूसरी ओर विष्णुजी संसार को पालने वाले हैं। लेकिन महेश यानी कि भगवान शिव को विनाशकारी माना जाता है क्योंकि पृथ्वी पर पाप बढ़ जाने पर वे अपना रौद्र रूप दिखाते हैं।

विष्णु एवं शंकर के मंदिर,

इस बात में कोई दो राय नहीं कि भगवान विष्णु एवं भगवान शंकर के भारत ही क्या… दुनिया भर में कई प्राचीन एवं माननीय मंदिर हैं। वे मंदिर या तो स्वयं उनके नाम से हैं या फिर उनसे जुड़े किसी अवतार के लिए समर्पित हैं, जैसे कि श्रीकृष्ण मंदिर, श्रीराम मंदिर, भैरव मंदिर आदि।

भगवान ब्रह्मा-

लेकिन ब्रह्माजी के मंदिर आपको पूरे विश्व में केवल तीन ही मिलेंगे। ऐसा क्यों? ब्रह्माजी जिन्होंने इस दुनिया को आकार दिया, ये वे महान देव हैं जिनके कारण इस सृष्टि को एक रूप मिला।

ब्रह्माजी ने ही हमें चार वेदों का ज्ञान दिया। हिन्दू धर्म के अनुसार उनकी शारीरिक संरचना भी बेहद अलग है। चार चेहरे और चार हाथ एवं चारो हाथों में एक-एक वेद लिए ब्रह्माजी अपने भक्तों का उद्धार करते हैं।

भगवान ब्रह्मा जी की कोई पूजा क्यों नहीं करता? क्या आप जानते हैं कि धरती लोक पर ब्रह्माजी के मंदिर तो हैं किन्तु वहां पर भी ब्रह्माजी की पूजा करना वर्जित माना गया है। परन्तु ऐसा क्यों?आइए अब हम आपको बताते हैं ऐसा क्यो…..

प्राचीन कथा-

इस प्रश्न का उत्तर एक पौराणिक कथा में दिया गया है। कहते हैं एक बार ब्रह्माजी के मन में धरती की भलाई के लिए यज्ञ करने का ख्याल आया। यज्ञ के लिए जगह की तलाश करनी थी।

यज्ञ का फैसला स्थान का चुनाव करने के लिए उन्होंने अपनी बांह से निकले हुए एक कमल को धरती लोक की ओर भेज दिया। कहते हैं जिस स्थान पर वह कमल गिरा वहां ही ब्रह्माजी का एक मंदिर बनाया गया है। यह स्थान है राजस्थान का पुष्कर शहर, जहां उस पुष्प का एक अंश गिरने से तालाब का निर्माण भी हुआ था।

जगत पिता ब्रह्मा मंदिर से उनकी पत्नी का रुष्ट होना-

सृष्टि की रचना परमपिता ब्रह्मा ने की, यह तो सभी जानते हैं. लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि एक बार ब्रह्मा से भी भारी भूल हो गई थी. एक ऐसी भूल, जिससे उनकी पत्नी न सिर्फ उनसे रूठ गईं, बल्कि हमेशा-हमेशा के लिए उनका साथ भी छोड़ गईं. यही नहीं, पत्नी के गुस्से का ही यह परिणाम था कि आज सृष्टि की रचना करने वाले की पूजा सिर्फ पुष्कर में ही होती है. दूर पहाड़ों की चोटी पर विराजती हैं सावित्री, परमपिता ब्रह्मा की अर्द्धांगिनी सावित्री. लेकिन यहां सावित्री रूठी हुई हैं, नाराज हैं. यही वजह है कि ब्रह्मा के मंदिर से बिल्कुल अलग-थलग उन्होंने पहाड़ पर अपना बसेरा बनाया हुआ है.

आप सोच रहे होंगे कि सावित्री आखिर किस बात पर ब्रह्मा से नाराज हैं? क्यों वे अपने पति से अलग मंदिर में विराजती हैं?
जानिये क्या है प्राचीन कथा

इस सवाल का जवाब छुपा है पुष्कर के मंदिर में. यह मंदिर न सिर्फ ब्रह्मा और सावित्री के बीच दूरी बढ़ने की कहानी कहती है, बल्कि उन दोनों के रिश्ते टूटने के किस्से पर भी मुहर लगाती है. दरअसल, परमपिता ब्रह्मा और सावित्री के बीच दूरियां उस वक्त बढ़ीं, जब ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना के लिए पुष्कर में यज्ञ का आयोजन किया. इस यज्ञ में पत्नी का बैठना जरूरी था, लेकिन सावित्री को पहुंचने में देरी हो गई.

पूजा का शुभ मुहूर्त बीतता जा रहा था. सभी देवी-देवता एक-एक करके यज्ञ स्थली पर पहुंचते गए. लेकिन सावित्री का कोई अता-पता नहीं था. कहते हैं कि जब शुभ मुहूर्त निकलने लगा, तब कोई उपाय न देखकर ब्रह्मा ने नंदिनी गाय के मुख से गायत्री को प्रकट किया और उनसे विवाह कर अपना यज्ञ पूरा किया. उधर सावित्री जब यज्ञस्थली पहुंचीं, तो वहां ब्रह्मा के बगल में गायत्री को बैठे देख क्रोधित हो गईं और उन्होंने ब्रह्मा को श्राप दे दिया.

सावित्री का गुस्सा इतने में ही शांत नहीं हुआ. उन्होंने विवाह कराने वाले ब्राह्मण को भी श्राप दिया कि चाहे जितना दान मिले, ब्राह्मण कभी संतुष्ट नहीं होंगे. गाय को कलियुग में गंदगी खाने और नारद को आजीवन कुंवारा रहने का श्राप दिया. अग्निदेव भी सावित्री के कोप से बच नहीं पाए. उन्हें भी कलियुग में अपमानित होने का श्राप मिला.

क्रोध शांत होने के बाद सावित्री पुष्कर के पास मौजूद पहाड़ियों पर जाकर तपस्या में लीन हो गईं और फिर वहीं की होकर रह गईं. कहते हैं कि यहीं रहकर सावित्री भक्तों का कल्याण करती हैं.

पुष्कर में जितनी अहमियत ब्रह्मा की है, उतनी ही सावित्री की भी है. सावित्री को सौभाग्य की देवी माना जाता है. यह मान्यता है कि यहां पूजा करने से सुहाग की लंबी उम्र होती है. यही वजह है कि महिलाएं यहां आकर प्रसाद के तौर पर मेहंदी, बिंदी और चूड़ियां चढ़ाती हैं और सावित्री से पति की लंबी उम्र मांगती हैं.

Preeti Singh

Preeti Singh

Writer | Home Maker