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मथुरा से जुडी कुछ ऐसी चौकाने वाली बातें – मंदिर के पट खुलते ही….

Information Komal Yadav 3 December 2021

मथुरा (Mathura) प्राचीन भारतीय संस्कृति का केंद्र माना जाता है, क्योंकि यहाँ भगवान श्री कृष्ण का निवास स्थान है। इसी कारण मथुरा को “ब्रजभूमि” भी कहा जाता है। मथुरा में भगवान श्री कृष्ण के कई सारे मंदिर बनाये गए है। मथुरा का वातावरण काफी शांत है, और यहाँ कि हर एक जगह शानदार है। मथुरा में स्थित वृन्दावन (Vrindavan) को राधा-कृष्ण के प्रेम का प्रतिक माना जाता है। वृन्दावन भगवान श्री कृष्ण की रासलीला के लिए भी प्रसिद्ध है। इतना ही नहीं मथुरा के बारे में और भी कई सारी बातें है जिनके बारे में शायद ही कोई जनता हो। आइये आपको बताते है मथुरा से जुडी कुछ रोचक बातें।

मधुपुर मथुरा कैसे बना ?

वाल्मीकि रामायण में ऐसा कहा है कि लवणासुर मथुरा से लगभग 4 मील दूर दक्षिण-पश्चिम की ओर स्थित मधुपुरी नगर का राजा था। वहाँ लवणासुर की एक गुफा भी है। भगवान राम के भाई शत्रुघ्न ने लवणासुर का वध करके मधु पुर को मथुरा बनाया था।

क्यों रात होते ही सब निधिवन छोड़कर चले जाते है ?

निधिवन के भीख चंद्र गोस्वामी कहते है कि, शास्त्रों के अनुसार द्वापर युग में श्रीकृष्ण ने शरद पूर्णिमा की रात को गोपियों के साथ रासलीला रचाई थी। लेकिन निधिवन को लेकर ऐसी मान्यताएं हैं यहाँ कि रोज रात भगवान श्रीकृष्ण गोपियों के साथ रासलीला रचाते हैं। हालाँकि शरद पूर्णिमा की रात को निधिवन में किसी को प्रवेश नहीं करने दिया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान रोज रात को यहाँ आकर गोपियों के साथ रास खेलते है। इसलिए यहाँ रात में आना मना है। पशु-पक्षी भी रात को निधिवन छोड़कर चले जाते है।

भक्त संतराम की कहानी

आज से डेढ़सो साल पहले संतराम नामक एक व्यक्ति था जोकि राधा-कृष्‍ण का बहुत बड़ा भक्त था, और वो जयपुर से वृंदावन आया था। उसने निधिवन के बारे में सुना था उसने ये बात सुनी थी की यहाँ श्री कृष्ण रासलीला खेलने आते है, भगवान की भक्ति में वह इतना मस्त था कि उसने रात में कृष्ण की रासलीला देखने की बात ठान ली। और रात में वो चुपके से नि‍धि‍वन में छिपकर बैठ गया। लेकिन सुबह जब मंदिर के दरवाजे खुले तो वह बेहोश पड़ा था। जब उसे होश आया तो लोगों ने देखा कि वो अपना मानसिक संतुलन खो चुका था।हालाँकि इससे पहले भी यहां कुछ लोगों की मृत्यु हो जाने की बातें बताई जाती हैं।

क्या आज भी रंगमहल में आते है कृष्ण-राधा ?

रंगमहल में आज भी पुजारी राधा-कृष्ण के बैठने के लिए सेज सजाते है, पान का बीड़ा और एक लोटे में जल रखकर मंदिर का पट बंद कर देते है। ऐसा माना जाता है कि यहाँ राधा जी अपना श्रृंगार करती है और श्री कृष्ण चन्दन की सेज पर बैठ कर पान खाते है। हालंकि जब सुबह 5 बजे पुजारी द्वारा मंदिर के पट खोले जाते है तब सेज अस्त-व्यस्त मिलती है, पान भी आधा खाया हुआ मिलता है और लोटे में जल भी नहीं होता।

निधिवन के पेड़ों की डालियों का जमींन की ओर बढ़ने की वजह

निधिवन में कई सारे तुलसी और मेहँदी के पेड़ है। यहाँ के सभी पेड़ की शाखाएं ऊपर की तरफ नहीं बल्कि नीचे की ओर झुकी हुई है। इसकी वजह ये बताई गयी है यहाँ के सभी पेड़-पौधे रात में गोप और गोपियाँ बनकर भगवान श्री कृष्ण के साथ रास-लीला करते है। इसलिए यहाँ के सभी पेड़ों की डालियाँ जमींन की तरफ बढ़ती है।

Komal Yadav

Komal Yadav

A Writer, Poet and Commerce Student