लक्ष्मण अपने भाई श्री राम का बहुत सम्मान करते थे। उन्हें श्रीराम से बहुत प्यार था। भगवान श्री राम के लिए लक्ष्मण कुछ भी करने के लिए तैयार रहते थे। लक्ष्मण ने श्री राम के लिए बहुत से त्याग किए थे। हालांकि, उनका एक ऐसा त्याग भी था, जिसके बारे में बहुत ही कम लोग ही जानते हैं।
हिन्दू पौराणिक कथाओं के मुताबिक एक बार अगस्त्य मुनि श्री राम से मिलने पहुंचे थे। इस दौरान श्री राम उन्हें लंका युद्ध के बारे में बता रहे थे। उन्होंने बताया कि किस तरीके से रावण और कुंभकर्ण जैसे वीरों का उन्होंने वध किया था। श्री राम लक्ष्मण की भी तारीफ कर रहे थे। उन्होंने अगस्त्य मुनि को यह बताया कि मेघनाद जैसे ताकतवर राक्षस को उन्होंने कैसे मारा था। अगस्त्य मुनि ने इस दौरान श्री राम से एक बड़ी बात कही।
उन्होंने कहा कि इंद्रजीत को लक्ष्मण ने मारा था। वे सबसे बड़े योद्धा माने जाएंगे। श्री राम लक्ष्मण की तारीफ सुनकर बहुत खुश हुए। उन्हें उत्सुकता भी हुई। उन्होंने अगस्त्य मुनि से पूछा कि मेघनाथ को मारना सबसे कठिन आखिर कैसे था। तब अगस्त्य मुनि ने उन्हें एक महत्वपूर्ण बात बता।
उन्होंने उन्हें कहा कि 14 वर्षो तक जो न सोया हो, वही मेघनाथ को मार सकता था। 14 वर्षों तक जिसने कुछ नहीं खाया हो, मेघनाथ का वध वही कर सकता था। 14 वर्षों तक जिसने किसी स्त्री का चेहरा न देखा हो, वही मेघनाथ की मौत का कारण बन सकता था।
राम ने कहा कि लक्ष्मण को तो मैं हमेशा फल देता रहता था। उन्होंने कहा कि बगल वाली कुटी में ही मैं सीता के साथ रहता था। 14 वर्षों तक लक्ष्मण सोए भी न हो, यह भी बड़ी हैरान करने वाली बात है। फिर लक्ष्मण जी को बुलाया गया। उनसे ही इसके बारे में पूछा गया। लक्ष्मण जी ने जो जवाब दिया, वह जानकर श्रीराम हैरान रह गए।
लक्ष्मण ने सबसे पहले फल-फूलों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि आप उसे तीन भाग में बांट देते थे। एक भाग मुझे देकर कहते थे कि लक्ष्मण इसे रख लो। आपने कभी मुझे कहा ही नहीं कि यह फल खा लो। ऐसे में जब आप ने आज्ञा दी नहीं, तो मेरा खाना उसे कैसे मुमकिन था। संभाल कर मैं उन्हें कुटिया में रख देता था। चित्रकूट में यह कुटिया थी। फलों की टोकरी लक्ष्मण लेकर भी आ गए। उन्होंने इन फलों को गिनवाया।
उन्होंने कहा कि पिता के स्वर्गवासी होने के दिन उन लोगों ने कुछ भी नहीं खाया था। सीता माता के हरण के दिन भी उन्होंने कुछ भी नहीं खाया था। समुद्र की साधना करने के दिन भी वे सभी निराहार रहे थे। मेघनाद ने नागपाश में बांध दिया था। उस दिन वे अचेत रहे थे। मायावी सीता को जिस दिन मेघनाद ने काटा था, उस दिन कुछ भी खाना नहीं हुआ था।
लक्ष्मण ने कहा कि रावण ने एक दिन उन्हें शक्ति मारी थी, उस दिन खाना नहीं हुआ। फिर जिस दिन रावण का वध हुआ, उस दिन भी उन सभी ने भोजन नहीं किया था।
लक्ष्मण ने बताया कि विश्वामित्र मुनि से उन्होंने बिना कुछ खाए जिंदा रहने की विद्या सीखी थी। इससे उन्होंने अपने भूख पर नियंत्रण रखा।
इसके बाद लक्ष्मण ने 14 वर्षों तक नहीं सोने के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि रात भर वे बाहर पहरेदारी करते थे। नींद उन्हें आई थी, लेकिन उन्होंने अपने बाणों से नींद को भेद डाला था। साथ ही नींद हार गई थी। उसने कह दिया था कि 14 वर्षों तक वह मुझे नहीं छूने वाली। उसने हालांकि यह कहा था कि राज्याभिषेक के वक्त वह मुझे घेर लेगी। इसलिए आपके राज्याभिषेक के वक्त मेरे हाथ से छतरी गिर गई थी।
14 वर्षों तक नहीं सोने के कारण लक्ष्मण को गुडाकेश भी कहा गया है। इसका मतलब होता है नींद को जीतने वाला। कहा यह भी जाता है कि निद्रा देवी से लक्ष्मण ने 14 वर्षों तक उन्हें न सोने देने की प्रार्थना भी की थी। निद्रा देवी ने लक्ष्मण से तब पूछा था कि उनके बदले कौन सो सकता है। लक्ष्मण ने तब अपनी पत्नी उर्मिला का नाम लिया था। निद्रा देवी उर्मिला के पास पहुंचीं तो वे खुशी-खुशी इसके लिए तैयार हो गईं। उर्मिला 14 वर्षों तक सोती रहीं। उन्होंने अपनी और लक्ष्मण दोनों की नींद पूरी की।
अब इन्होने सीता जी को नहीं देखने के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि उन्होंने केवल सीता मां के चरण ही देखे थे। उससे ऊपर उन्होंने कभी भी नहीं देखा था। मां सीता के चरणों के आभूषण को ही वे बस पहचानते थे। इसी वजह से सुग्रीव ने जब मां सीता के आभूषण दिखाए थे, तो वे केवल पैरों के आभूषण को ही पहचान पाए थे।
सब जानने के बाद श्री राम बड़े भावुक हो गए थे। अपने भाई के त्याग को जानकर उन्होंने लक्ष्मण को गले लगा लिया था।