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लव जिहाद पर क्यों है भाजपा सरकार बनाम भाजपा सरकार

केंद्र सरकार ने संसद में कहा था कि वर्तमान कानूनों में लव जिहाद जैसी कोई चीज कहीं भी परिभाषित नहीं है और केंद्रीय जांच एजेंसी के पास ऐसा कोई केस नहीं है।
Logic Taranjeet 19 November 2020

उत्तर प्रदेश, हरियाणा और कर्नाटक की सरकारों ने ऐलान किया है कि वो लव जिहाद पर काबू पाने के लिए कानून लाएंगे। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने तो चेतावनी दे डाली है कि जो लोग चोरी-छुपे, अपना नाम छिपाकर, या अपना स्वरूप छिपाकर बहन, बेटियों की इज्जत के साथ खिलवाड़ करते हैं, अगर वो सुधरे नहीं तो ‘राम नाम सत्य है’ की यात्रा अब निकलने वाली है।

कैसे शुरु हुआ लव जिहाद का मुद्दा

साल 2009 में ‘हिंदूजागृति’ नाम की वेबसाइट ने दावा किया था कि केरल में मुस्लिम यूथ फोरम नाम के संगठन ने ‘लव जिहाद’ का एक पोस्टर लगवाया है, जिसमें कथित तौर पर हिंदू लड़कियों को प्रेमजाल में फंसा कर उनका धर्मांतरण करवाने और फिर उनसे शादी कर लेने की बात की गई है और फिर ऐसी ही बात दूसरे राज्यों से भी उठाई गई। हिंदूजागृति ने अपने दावे में 5 मुस्लिम वेबसाइट्स का भी जिक्र किया था कि उनमें ऐसी बात की गई है। हालांकि केरल पुलिस ने जांच में इस बात को झूठा पाया था। केरल हाईकोर्ट ने इस मुद्दे की जांच को बंद करने का आदेश दिया था और साथ ही कहा था कि हमारे समाज में अंतर-धर्म विवाह सामान्य बात है और उसमें कोई अपराध नहीं है।

केंद्र सरकार के हिसाब से लव जिहाद जैसा कुछ नहीं

हैरत की बात तो तब है कि फरवरी में केंद्र सरकार ने संसद में कहा था कि वर्तमान कानूनों में लव जिहाद जैसी कोई चीज कहीं भी परिभाषित नहीं है और किसी केंद्रीय जांच एजेंसी के पास ऐसा कोई केस नहीं है। इसके बाद भी कई कट्टर हिंदू संगठन इस बात का राग अलाप रहे हैं। 2018 के हादिया मामले में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी ने हिंदू कट्टरपंथियों की हां में हां मिलाते हुए ये आरोप लगाया था कि हादिया ब्रेनवाशिंग और साइकोलॉजिकल किडनैपिंग जैसी चीज का शिकार थी।

जिसे सुप्रीम कोर्ट ने सिरे से खारिज कर दिया था। कुछ नेताओं ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के हाल के दिनों में प्रियांशी केस को बी तूल दिया। जिसमें एक मुस्लिम लड़की ने हिंदू धर्म स्वीकार किया था और फिर एक हिंदू युवक से शादी कर ली। उन दोनों ने हाईकोर्ट से सुरक्षा के आदेश की प्रार्थना की थी। हाईकोर्ट ने कहा कि धर्मांतरण केवल विवाह के उद्देश्य से किया गया है और हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। इस सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट के 2 अन्य फैसलों को भी तोड़मरोड़ कर प्रस्तुत किया जा रहा है।

सवाल ये उठता है कि जब खुद केंद्र सरकार ही मान चुकी है कि लव जिहाद नाम की कोई चीज है ही नहीं तो फिर कुछ राज्य सरकारों को उस पर कानून लाने की क्यों सूझी? कट्टरपंथी हिंदू संगठन इस पर आधिकारिक रूप से कुछ बोलने से बचते हैं लेकिन उनकी सांप्रदायिक विद्वेष फैलाने वाली विचारधारा का काफी हद तक सही अनुमान उनके नेताओं के बयानों, सोशल मीडिया पर व्याप्त संदेशों और कितनी ही अनाधिकारिक वेबसाइट्स की सामग्री से लगाया जा सकता है।

गलत मानसिकता का किया जा रहा है उपयोग

सीधे शब्दों में उनका मानना है कि लव जिहाद मुसलमानों का देश के विरुद्ध एक षड्यंत्र है। उनकी माने तो इसके माध्यम से मुसलमान हिंदुओं को ये बताना चाहते हैं कि वो अभी भी हिंदुओं की स्त्रियों को उठा ले जा सकते हैं। अगर पहले की तरह युद्धों में पराजित करके नहीं, तो प्रेम जाल में फंसा के ही सही।

दूसरा, ये हिंदू स्त्रीत्व का अपमान है कि मुसलमान उनका उपभोग करें। तीसरा, ये हिंदू पुरुषत्व के मुंह पर तमाचा है कि उनकी स्त्रियों को जीवनसाथी की तलाश अपने समुदाय के बाहर करनी पड़ रही है। चौथा, हिंदू लड़कियों से शादी करके वो हिंदुओं की कीमत पर मुसलमानों की आबादी बढ़ाना चाहते हैं क्योंकि तब उतनी लड़कियां हिंदू संततियां उत्पन्न करने के लिए उपलब्ध नहीं होंगी और इस प्रकार वो धरती पर मुस्लिम जीन्स का विस्तार चाहते हैं। पांचवां, अगर ये बेरोकटोक चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब देश में मुसलमानों की आबादी हिंदुओं से ज्यादा हो जाएगी और हिंदू अपने ही देश में अल्पसंख्यक हो जाएंगे।

कहने की आवश्यकता नहीं कि ऐसे विचार राष्ट्र और समाज के हितों के खिलाफ सांप्रदायिक भावनाएं भड़काने का काम कर रहे हैं। ये भी ध्यान देने की बात है कि इस पूरे प्रकरण में जिहाद शब्द का प्रयोग करके जनता को डराया और बरगलाया दोनों जा रहा है। हालांकि जिहाद का असल में अर्थ काफी शुद्ध होता है लेकिन लोग उसे आतंकवादी गतिविधियों से जोड़ते हैं।

समाज में बेहद शर्मनाक संदेश जाएगा

सरकारों को किसी काल्पनिक वस्तु पर कानून बनाने का अधिकार नहीं है और अगर ऐसे कानून बनाए जाते हैं तो ये काफी दर्भाग्यपूर्ण होगा और साथ ही अपने अधिकारों का दुरुपयोग होगा। ये अनैतिक है क्योंकि ये प्रेम जैसी पवित्र भावना को गैर कानूनी ठहराने का कार्य करता है। ये पितृ मूलक और स्त्री-विरोधी है क्योंकि इसका तात्पर्य है कि हिंदू स्त्रियों को हिंदू पुरुष समाज की संपत्ति समझा जा रहा है, जिसमें उनकी ‘सेक्सशुएलिटी’ पर भी पुरुषों का अधिकार है। ये स्त्रियों के लिए अपमानजनक है क्योंकि उसका मतलब है कि हिंदू स्त्रियां इतनी मूर्ख और आसानी से धोखा खा जाने वाली हैं कि वो अपने भले-बुरे का सही फैसला भी नहीं कर सकती है और उन्हें कोई भी फुसलाकर उनका इस्तेमाल कर सकता है।

Taranjeet

Taranjeet

A writer, poet, artist, anchor and journalist.