Headline

सियाचिन ग्लेशियर को लेकर अक्सर चर्चा होती रहती है। एक ओर भारत की सेना तो दूसरी ओर पाकिस्तान की सेना यहां हमेशा आंख गड़ाए बैठी हुई नजर आ जाती है।

TaazaTadka

लखनऊ वाली लड़की के लिए क्या कहेंगे? फेक फेमिनिज्म या सनकीपन

किसी को 22 थप्पड़ बिना गलती के मार देना अगर फेमिनिज्म है तो फिर मैं फेमिनिस्ट नहीं हूं। हमारे देश में हर मिनट एक लड़की फेमिनिज्म की लड़ाई लड़ रही है।
Logic Taranjeet 4 August 2021
लखनऊ वाली लड़की के लिए क्या कहेंगे? फेक फेमिनिज्म या सनकीपन

इस लेख की शुरुआत से पहले ही साफ कर दूं कि मैं फेमिनिज्म का विरोधी नहीं हूं। लेकिन फेमिनिज्म की आड़ में मनमर्जी कुछ भी कर लेना कतई बर्दाश्त नहीं है। किसी को 22 थप्पड़ बिना गलती के मार देना अगर फेमिनिज्म है तो फिर मैं फेमिनिस्ट नहीं हूं। हमारे देश में हर मिनट एक लड़की फेमिनिज्म की लड़ाई लड़ रही है, वो अपने जीवन के लिए लड़ रही है।

टोक्यो में अभी तक भारत ने 3 मेडल पक्के किए हैं और वो तीनों लड़कियों ने जीते हैं। इन लड़कियों ने महिलाओं के लिए एक रास्ता बनाया है। मीराबाई ने बता दिया है कि महिलाएं किसी भी तरह का बोझ उठा सकती है, तो वहीं मुक्के लगाकर लवलीना ने भी साफ किया है कि कोई महिलाओं से पंगा नहीं ले सकता है, लेकिन जब लखनऊ वाली वीडियो देखी तो वो किसी मर्दानी या हिम्मतवाली की नहीं थी।

वो वीडियो किसी को प्रेरित नहीं करती है, वो बताती है कि बदतमीज लोगों की अगर शक्ल देखनी है तो इस लड़की की देख लो। टोक्यो में लड़कियों ने पेट्रिआर्कि को तमाचा जड़ा है, रूढ़ियों को घूंसे जड़े है, नकारात्मक सोच को लातें जड़ी हैं। लेकिन एक लड़ाई उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी लड़ी गई है। लखनऊ के अवध चौराहे पर भी खूब थप्पड़ चलें हैं, उछल-उछल कर थप्पड़ जड़े हैं। लेकिन लखनऊ में लड़ाई करने वाली महिला की कोई तारीफ नहीं कर रहा है। लोग इस फेमिनिज्म को नकार रहे हैं। कह रहे हैं लखनऊ की लड़की ने लड़की होने का नाजायज फायदा उठाया है।

क्यों वीडियो बना है चर्चा का विषय

क्योंकि लखनऊ मामले का वीडियो पूरे इंटरनेट पर जंगल की आग की तरह फैला है और इसके कारण अदब और तमीज का शहर ही पूरी तरह से बदनाम हो गया है। तो कुछ और बात करने से पहले इस वीडियो पर बात की जाए। वीडियो में एक लड़की बीच सड़क पर, पुलिस के सामने भरे मजमे के बीच एक कैब वाले की उछल उछल कर पिटाई कर रही है। लड़की बिना रुके कैब वाले को एक के बाद एक 22 चांटे लगा रही है।

शुरुआत में पुलिसवाले ने बीचबचाव किया लेकिन जैसे ही उसे लड़की का गुस्सा दिखा वो समझ गया कि यहां वो काबू नहीं कर सकता है। वो फौरन ही पीछे हट जाता है। वीडियो में देखा जा सकता है कि लड़की ने पत्थर उठाकर कैब पर मारा जिससे कैब का साइड मिरर टूट गया। कैब ड्राइवर का फोन पेंक कर तोड़ दिया। इसी बीच मौके पर बीचबचाव करने कोई आता है लड़की उसे भी थप्पड़ जड़ देती है। और कोई भी बीच में आया इस लड़की ने उसके साथ भी बदसलूकी की है।

क्यों लड़की हुई इतनी आग बबूला?

तो हुआ कुछ यूं था कि अवध चौराहे पर एक युवती पैदल सड़क क्रॉस कर रही थी। ओला से संबंध रखने वाली एक कैब उसके बिल्कुल पास से गुजरी और लड़की का आरोप है कि गाड़ी अपनी निर्धारित गति से तेज थी और गाड़ी की साइड से उसे चोट भी लगी। इस बीच गाड़ी रुक गयी थी और पुलिस भी मौके पर पहुंच गई। अभी ट्रैफिक पुलिस का कॉन्स्टेबल कैब वाले से ज्यादा कुछ पूछ भी नहीं पाया था कि लड़की ने इसकी पिटाई कर दी। लड़की ने पुलिस को बताया कि तेज रफ्तार कैब से उसकी जान जाते जाते बची है। इसके साथ ही अपने को बचाने और सिम्पैथी गेन करने के लिए लड़की ने ये भी कहा कि कैब के अंदर जो लोग थे वो भी उसे परेशान कर रहे थे।

वहीं कैब ड्राइवर ने लड़की पर अपना फोन और गाड़ी तोड़ने का आरोप लगाया है। लड़की ने कैब वाले पर बदसलूकी के अलावा बहस करने का आरोप लगाया है। इस पूरे मामले में कायदे से जिसकी आलोचना होनी चाहिए वो और कोई नहीं लखनऊ पुलिस है। जैसा कि हम वीडियो में देख चुके हैं कि शुरुआत में पुलिस वाला बीच बचाव करने आता है लेकिन लड़की का गुस्सा देखकर फौरन ही पीछे हट जाता है। वीडियो के बाद के हिस्से में यूपी पुलिस के एक होम गार्ड को तसल्ली बक्श तरीके से मजा लेते हुए देखा जा सकता है। अब ये योगी जी की वो गुंडो के पसीने निकालने वाली पुलिस है क्या?

किरकिरी के बाद लड़की के खिलाफ दर्ज किया मुकदमा

मामले में जहां पहले से ही पुलिस का रवैया संदेह में था और इसकी आलोचना भी जमकर हुई। तो पुलिस ने फिर किरकिरी करवाने के बाद लड़की पर मुकदमा दर्ज किया। एक सीसीटीवी फुटेज को आधार बनाते हुए पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है। सामने ये भी आया है कि पुलिस ने घटना को बहुत हल्के में लिया है।

ये घटना कई दिनों से सुर्खियों में है इसलिए उसूलन तो पुलिस को प्रक्रिया का पालन करते हुए सबसे पहले मेडिकल कराना चाहिए था। लेकिन इस मामले में मेडिकल तो दूर की बात है पुलिस ने युवती पर जो धाराएं लगाई हैं उन तक में गड़बड़ है। इस मामले में पुलिस ने ड्राइवर का सेक्शन 151 में चालान किया वहीं बाद में उसे चेतावनी देकर छोड़ दिया गया।

जब मेडिकल को लेकर बात हुई तो पुलिस ने भी बड़ी बेशर्मी के साथ कह दिया कि मामले में उसे मेडिकल की जरूरत ही नहीं महसूस हुई। वहीं जब मामला डीसीपी सेंट्रल के पास पहुंचा तो उन्होंने भी इस बात को स्वीकार किया कि ऐसी स्थिति में मेडिकल कराया जाना चाहिए था। अब फिर सवाल खड़ा होता है कि जब मेडिकल का प्रावधान था तो फिर वो हुआ क्यों नहीं? साफ है कि इस घटना ने लखनऊ पुलिस, सिस्टम और लॉ एंड आर्डर को शर्मसार किया है।

कैब वाला कुछ करता तो फेमिनिज्म का झंडा बुलंद हो जाता

लखनऊ में इस पूरे मामले में कैब ड्राइवर के सब्र की तारीफ है और उसकी शराफत भी काबिल-ए-तारीफ है। कैब ड्राइवर ने उस लड़की पर हाथ नहीं उठाया उसे छुआ तक नहीं। क्योंकि वो शायद जानता था कि अगर उसने कुछ भी किया तो बहुत ज्यादा पंस जाएगा। महिलाओं और लड़कियों को लेकर माहौल ही कुछ ऐसा है।

लेकिन फिर भी अगर कैब वाला हिम्मत कर लेता और हिंसा पर उतरी महिला पर पलटवार कर देता तो सोचिए क्या स्थिति होती? यकीनन फेमिनिस्ट लॉबी मोर्चा खोल चुकी होती। इसे महिला अधिकारों का हनन बताने में कोई कमी नहीं छोड़ी जाती। सवाल ये है कि किन अधिकारों की बात हो रही है जो अधिकार के नाम पर एक महिला को सरेआम गुंडई करने की इजाजत देते हैं? या फिर वो जिसमें एक महिला नियम और कानूनों को ताक पर रख सकती है।

ये पहला मामला नहीं है जब फेमिनिज्म के नाम पर कुछ भी किया गया है, इससे पहले जोमैटो डिलिवरी बॉय के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था। जिसमें पहले उसे विलेन और फिर बाद में हीरो बनाया गया था। इससे पहले दिल्ली का जसलीन कौर केस भी यही था, जिसमें कई सालों तक एक बेगुनाह सर्वजीत को मोलेस्टर बना कर रख दिया गया था। क्या फेमिनिस्ट होने का मतलब ये है कि आप महिला है और आप कुछ भी कर सकती हैं? नहीं फेमिनिज्म एक मुहीम है जिसे पूरा कर रही है टोक्यो वाली लड़कियां, या वो हर लड़की जो आज अपने जीने के लिए और अपने तरीके से जीने के लिए राह आसान कर रही है। 

Taranjeet

Taranjeet

A writer, poet, artist, anchor and journalist.