हाल ही में बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा को काफी फायदा हुआ, तो वहीं हैदराबाद नगर निगम चुनावों में तो भाजपा की बल्ले-बल्ले ही हो गई। उन्होंने ओवैसी का गढ़ हिला दिया। लेकिन महाराष्ट्र में पार्टी को बड़ा झटका लगा है। दरअसल महाराष्ट्र विधान परिषद के चुनावों में भाजपा को सिर्फ 1 ही सीट पर जीत मिली है। जबकि तीन सीटों पर महा विकास अघाड़ी के उम्मीदवार जीते है। भाजपा ने खुद माना कि उन्होंने अपनी विपक्षी पार्टियों की ताकत को कम समझ लिया।
ये एमएलसी चुनाव भाजपा के लिए झटका क्यों है? दरअसल भाजपा के लिए ये चुनाव काफी ज्यादा जरूरी थे। क्योंकि अगर राज्य में देखा जाए तो भाजपा सबसे बड़ी पार्टी है, लेकिन फिर भी सत्ता से दूर है। इन एमएलसी चुनावों में भाजपा की जीत उसे और मजबूत बनाती और मौका मिलने पर ये सीटें भाजपा के लिए एक बड़ा रोल अदा कर सकती थीं।
इस चुनाव में एक बड़ा झटका ये भी है कि भाजपा ने उसका गढ़ मानी जाने वाली नागपुर स्नातक सीट से भी हाथ धो दिया है। इस सीट पर पहले जनसंघ का कब्जा रहा और बाद में भाजपा के अस्तित्व में आने के बाद ये सीट उसके पास रही। नागपुर से दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस के पिता दिवंगत गंगाधरराव फड़नवीस और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने राष्ट्रीय राजनीति में जाने से पहले यहां का प्रतिनिधित्व किया है।
गडकरी ने तो इस सीट का चार बार प्रतिनिधित्व किया है। इसीलिए ये फडणवीस के लिए एक बड़े नुकसान की तरह है। यहां पर 58 सालों के बाद ऐसा हुआ है कि भाजपा के उम्मीदवार से कांग्रेस ने ताज छीन लिया है। सबसे बड़ी बात नागपुर ही आरएसएस का गढ़ भी है, यहीं से संघ चलाया जाता है। बावजूद इसके ये सीट भाजपा के हाथ से निकलना बढ़ा झटका है।
भाजपा के कई नेताओं ने एमएलसी चुनाव के प्रचार के दौरान महाराष्ट्र में सरकार पलटने का दावा भी किया था। केंद्रीय मंत्री रावसाहेब दानवे पाटिल ने तो ये दावा कर दिया था कि अगले दो-तीन महीनों में महाराष्ट्र में फिर से भाजपा की सरकार बनने जा रही है। चलिये माना कि चुनावी माहौल में ये सब बातें बोली जाती है लेकिन पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने भी ठीक इसी तरह का दावा कर दिया था और फडणवीस ने दावा किया कि अबकी बार वो सुबह-सुबह नहीं बल्कि तय वक्त के हिसाब से शपथ लेंगे।
पूर्व सीएम और केंद्रीय मंत्रियों के इन बयानों से महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल शुरू हो गई थी। लेकिन इसके बाद सबकी नजरें महाराष्ट्र में होने वाले इन एमएलसी चुनावों पर टिकी रहीं और अब जब नतीजे भाजपा के खिलाफ आए हैं, तो महा अघाड़ी सरकार काफ राहत महसूस कर रही होगी।
क्योंकि ठाकरे सरकार कभी नहीं चाहेगी कि भाजपा को राज्य में और ताकत मिले और वो सरकार बनाने की किसी भी तरह की कोशिश कर सके। अब भाजपा के लिए एमएलसी चुनावों में मिली करारी हार इसलिए भी बड़ा झटका है, क्योंकि विधानसभा चुनावों के बाद ये एक अहम चुनाव था और भाजपा खुद इस बात को स्वीकार कर रही है कि चुनाव को गंभीरता से लेने में गलती हुई है और साथ ही एमएलसी चुनावों में मिली हार भाजपा के लिए आगे आने वाले चुनावों पर भी असर डाल सकती है।