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महात्मा गांधी की हत्या में RSS का हाथ, कितना हकीकत, कितना फसाना

Information Anupam Kumari 17 February 2021
महात्मा गांधी की हत्या में RSS का हाथ, कितना हकीकत, कितना फसाना

महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) राष्ट्रपिता थे। उन्हें 30 जनवरी, 1948 को गोली मार दी गई थी। उन्हें गोली मारा था नाथूराम गोडसे (Nathuram Godse) ने। नाथूराम गोडसे को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का स्वयंसेवक बताया जाता है। कहा जाता है कि गांधी जी की हत्या में संघ का हाथ रहा था।

RSS ने गांधी जी की हत्या से किया इनकार

नाथूराम गोडसे आरएसएस से 1932 में महाराष्ट्र के सांगली में जुड़ा था। आरएसएस गांधी जी की हत्या में अपना हाथ होने से इनकार करता है। उसका कहना है कि नाथूराम गांधी जी की हत्या की योजना बनाने से पहले ही संघ से अलग हो चुका था।

सात्यकि  के अनुसारनाथूराम गोडसे संघ से कभी भी अलग नहीं हुए थे 

गोपाल गोडसे नाथूराम गोडसे के भाई थे। उनके पड़पोते सात्यकि ने 2016 के सितंबर में एक बड़ी बात कही थी। उन्होंने कहा था कि नाथूराम गोडसे संघ से कभी भी अलग नहीं हुए थे। उन्होंने नाथूराम गोडसे और गोपाल गोडसे के सभी लेख परिवार के पास मौजूद होने की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि उनके जैसा संघ रेडिकल नहीं था। इस वजह से संघ से उनकी रूचि खत्म हो रही थी।

नाथूराम आरएसएस के  सक्रिय सदस्य थे

गोपाल गोडसे की एक किताब 1993 में प्रकाशित हुई थी। इसमें गोपाल ने खुद को और नाथूराम को आरएसएस का सक्रिय सदस्य बताया था। संघ को अपना परिवार तक उन्होंने बताया था। नाथूराम के आरएसएस का बौद्धिक कार्यवाह होने का जिक्र उन्होंने किया था।

इसमें उन्होंने लिखा था कि संघ और गोलवलकर गांधी जी की हत्या के बाद बहुत परेशान थे। उन्होंने लिखा था कि RSS से हमलोग कभी भी अलग नहीं हुए। गांधी जी की हत्या करने को आरएसएस ने कभी नहीं कहा था, लेकिन हम संघ से अलग भी नहीं थे।

गोलवलकर से बिगड़ा नाथूराम का रिश्ता

संघ के सरसंघचालक एमएस गोलवलकर (Ms golwalkar) से नाथूराम का रिश्ता खराब हो गया था। बाबूराव सावरकर की राष्ट्र मीमांसा (Nation history) नामक एक किताब थी। अंग्रेजी ट्रांसलेशन इसका नाथूराम गोडसे ने किया था। इसका श्रेय गोलवलकर ने ले लिया था। इस वजह से गोलवलकर से उनका रिश्ता बिगड़ गया था।

हिंदू महासभा से नाथूराम ने त्यागपत्र दिया था

हिंदू महासभा से भी नाथूराम ने त्यागपत्र दे दिया था। यह 1946 में हुआ था। यह मतभेद बंटवारे के मुद्दे पर था। इससे पहले 1942 में नाथूराम ने हिंदू राष्ट्रीय दल (Hindu National Party)के नाम से अपना एक संगठन बनाया था। नाथूराम और आरएसएस के बीच स बकुछ ठीक नहीं चल रहा था। गांधी जी की हत्या से पहले 1948 में नाथूराम संघ से अलग हो चुका था।

गुरु दक्षिणा नहीं देने का मतलब उनका संघ से बाहर होना

बहुत से लोग कहते हैं कि नाथूराम संघ से निकल चुका था। वैसे संघ से निकाले जाने की कोई प्रक्रिया नहीं है। कहा जाता है कि गुरु दक्षिणा देने तक कोई संघ में रहता है। गुरु दक्षिणा नहीं देने का मतलब उसका संघ से बाहर होना माना जाता है।

गांधी जी की हत्या सावरकर का भी हाथ था ?

गांधी जी की हत्या के मामले में विनायक सावरकर (Vinayak Savarkar)का भी नाम सामने आया था। हालांकि, सावरकर दोषी नहीं पाए गए थे। नाथूराम गोडसे और उनके साथी दोषी पाए गए थे। नाथूराम गोडसे और नारायण आप्ते (Narayan Apte)को फांसी की सजा सुनाई गई थी। इस मामले में 6 लोगों को आजीवन कारावास की सजा मिली थी।

गांधी जी की हत्या से पहले नाथूराम गोडसे और आप्टे सावरकर के घर पहुंचे थे

बाद में महात्मा गांधी की हत्या में RSS का हाथ, कितना हकीकत, कितना फसाना जी की हत्या की जांच के लिए पाठक कमीशन बना। इसके बाद कपूर कमीशन (Kapoor Commission)बना। सैकड़ों गवाहों के बयान दर्ज हुए। बहुत सी बैठकें हुईं। सावरकर के बॉडीगार्ड और सेक्रेटरी से भी पूछताछ हुई। उन्होंने बताया कि नाथूराम गोडसे और आप्टे सावरकर के घर पहुंचे थे। ऐसा गांधी जी की हत्या से दो दिन पहले हुआ था। यह तारीख 28 जनवरी, 1948 की थी। पहले भी उनका आना-जाना लगा रहता था।

गांधी को लेकर नाथूराम गोडसे के विचार

नाथूराम गोडसे का ट्रायल के दौरान का भाषण बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करता है। गोडसे ने महात्मा गांधी की अहिंसा को खुद के प्रति हिंसा बताया था। उसने कहा था कि उसे इस काम का नतीजा मालूम था। इसके बदले उसे सिर्फ नफरत मिलने वाली थी। उसने कहा था कि भारत की राजनीति के लिए यह अच्छा होगा। गांधी नहीं रहेंगे, तो सही रहेगा।

कुछ लोग तर्क देते हैं कि एक व्यक्ति इतने विस्तार से अकेले नहीं सोच सकता। उसके दिमाग में इस तरह की बातें डाली गई होंगी। इसे ब्रेनवाश कह सकते हैं।

हत्या के आरोप की वजह से बना जनसंघ

कहा जाता है कि RSS गांधी जी की हत्या के आरोप की वजह से बहुत परेशान रहा था। इसी डर ने जनसंघ का रास्ता प्रशस्त किया। गांधीजी की हत्या RSS के स्वयंसेवक ने नहीं की। नाथूराम गोडसे उस वक्त संघ का स्वयंसेवक नहीं था। लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani)ने अपनी आत्मकथा में 1933 में नाथूराम गोडसे के संघ से अलग होने की बात लिखी है।

फिर भी लोग कहते हैं कि विचारधारा उसकी संघ की ही रही थी। गांधी जी की हत्या में RSS शामिल था या नहीं, इस पर बहस होती रही है और आगे भी होती रहेगी।

Anupam Kumari

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