पुलवामा आतंकी हमले के बाद एक बार फिर से आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने का प्रस्ताव रखा गया था। लेकिन हर बार की तरह इस बार भी चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अड़ंगा लगा दिया है। ये चौथा मौका था, जब चीन ने वीटो पावर का इस्तेमाल किया और प्रस्ताव को गिरा दिया। लेकिन इस बार सुरक्षा परिषद के सदस्य और विकल्पों पर भी विचार करने की बात कर रहे हैं। चीन ने इस प्रस्ताव का विरोध किया, लेकिन भारत के लिए ये बड़ी बात है कि अन्य 4 स्थायी सदस्यों, अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन और रूस, ने मसूद पर बैन का समर्थन किया है।
सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने चीन को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर वो अपनी इस नीति पर कायम रहता है तो भी अन्य कार्रवाइयों पर विचार किया जाएगा।
सुरक्षा परिषद के एक डिप्लोमैट ने चीन को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर चीन इस प्रस्ताव को रोकने की नीति जारी रखेगा तो अन्य सदस्य सुरक्षा परिषद में ऐक्शन लेने पर मजबूर हो सकते हैं। ऐसी स्थिति पैदा नहीं होनी चाहिए।
डिप्लोमैट ने कहा कि चीन की तरफ से मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकी घोषित करने के प्रस्ताव पर अड़ंगे के बाद बाकी सदस्यों की यही राय है। इससे पहले भी चीन ने 3 बार मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकी घोषित करने के प्रस्ताव पर वीटो का इस्तेमाल किया था। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ पर हुए आत्मघाती हमले की जिम्मेदारी मसूद अजहर के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ही ली थी। इसके बाद अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन ने अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने का प्रस्ताव पेश किया था।
अमेरिका ने कहा, अब भी जारी रहेंगे प्रयास
अमेरिका ने भी इस पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस परिषद की प्रतिबंध सूची को अपडेट कराने के लिए हमारे प्रयास जारी रहेंगे।
भारत में अमेरिकी दूतावास के प्रवक्ता ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सेंक्शंस कमिटी की सिफारिशों पर खुली चर्चा नहीं की जा सकती है। लेकिन हम कहना चाहते हैं कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध सूची में आतंकियों के नाम शामिल कराने के लिए प्रयास जारी रहेंगे।
चीन के अलावा अन्य सभी थे बैन के पक्ष में
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में चीन के अलावा अन्य सभी सदस्य मसूद अजहर पर बैन के समर्थन में थे। चौथी बार चीन के वीटो करने पर प्रतिक्रिया देते हुए भारत की तरफ से कहा गया है कि आतंक के खिलाफ उसकी जंग जारी रहेगी। भारत का कहना है कि वो अन्य सभी मंचों पर आतंकी सरगनाओं के खिलाफ अपनी बात रखेगा और न्याय की मांग करता रहेगा।
आपको बता दें कि चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वीटो की शक्ति रखनेवाला सदस्य है और सबकी निगाहें चीन पर ही थीं जो कि पहले भी अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित कराने के भारत के प्रयासों में अड़ंगा डाल चुका है। इससे पहले भारत ने अमेरिका और फ्रांस के साथ पुलवामा आतंकी हमले के बाद कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज शेयर किए थे ताकि मसूद अजहर के खिलाफ पुख्ता सबूत पेश किए जा सके। फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ‘1267 अल कायदा सेंक्शन्स कमिटी’ के तहत अजहर को आतंकवादी घोषित करने का प्रस्ताव 27 फरवरी को पेश किया था।