बहन कुमारी मायावती. बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष. एक समय में तिलक,तराजू और तलवार को चार जूते मारने का नारा देती थी, बाद में उनसे शिष्टाचार सीखने की सीख देने लगी. खुद को देश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी कहने वाली बहनजी के लिए 2014 का लोकसभा चुनाव किसी आपदा से कम नहीं था. बहनजी के हाथी ने अंडा दे दिया यानी कि शून्य सीटें. इस बार लोकसभा में अपना खाता खोलने के लिए बहनजी ने अखिलेश यादव वाली समाजवादी पार्टी और चैधरी अजीत सिंह की राष्ट्रीय लोक दल के साथ महागठबंधन बना लिया है. इस गठबंधन से कांग्रेस अलग है और यूपी की सभी सीटों पर अकेले ही ताल ठोंक रही है.
विभिन्न सर्वे एजेंसियां चाहे सर्वे जो भी दिखाएं लेकिन जमीनी हकीकत यही है कि लाख कोशिशों के बावजूद भाजपा और एनडीए पिछला प्रदर्शन दोहराने में नाकाम रहेगी. संभव है कि 250 के आसपास पहुंच कर एनडीए को सरकार बनाने में परेशानी महसूस हो. ऐसे में बसपा उनके लिए संकटमोचक साबित हो सकती है. अगर मायावती की पार्टी 20 लोकसभा सीटें जीतने में कामयाब हो जाती है तो वो दूसरी नीतीश कुमार साबित हो सकती है अर्थात भाजपा के साथ जा सकती हैं.
कल तक भाजपा पर हमला बोलने वाली माया ने अब कांग्रेस को अपने निशाने पर ले लिया है. मायावती की नजर में कांग्रेस अब उनकी दुश्मन नंबर वन है. कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने के लिए ही उन्होंने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में अलग से चुनाव लड़ा. हालांकि वो अपने मकसद में बुरी तरह से फेल हुई औ कांग्रेस ने तीनों प्रदेशों में अपनी सरकार बना ली. इसके बाद से ही मायावती कांग्रेस पर बुरी तरह खार खाए बैठी हैं. इन दिनों मायावती लगातार कांग्रेस पार्टी पर हमलावर हैं.
माना जा रहा है कि चुनाव परिणाम आने के बाद स्पष्ट बहुमत न आने की सूरत भाजपा मायावती को उप प्रधानमंत्री पद का आफर कर सकती है. इसके बाद मायावती आसानी से भाजपा के साथ जा सकती है. कई सालों से सत्ता का सूखा झेल रही मायावती के लिए ये सुनहरा मौका होगा. ऐसा नहीं है कि मायावती को भाजपा से ज्यादा परहेज है. इसके पहले भी वो तीन बार भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना चुकी है, वो भी बाबरी मस्जिद विध्वंस के ठीक बाद.