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BJP VS Congress: मीडिया का दोगलापन अब छुपाए नहीं छुप रहा

यूपी में एक गैंगरेप होता है, जिसके बाद पीड़ित लड़की का इलाज लापरवाही के साथ होता है। लड़की की मौत हो जाती है और अचानक से लड़की के शव को रात के 2 बजे छुपके से बिना परिवार के सदस्यों के जला दिया गया। पुलिस की बेशर्मी इतने पर ही नहीं रुकी थी, उन्होंने पीड़ित परिवार को ही बंधक बना लिया था। बेशर्मी यहीं पर नहीं रुकी उसके बाद मीडिया, विपक्षी नेताओं, वकीलों किसी को भी पीड़ित परिवार के पास नहीं जाने दिया। सबकुछ खराब था, डीएम धमका रहा था, एसपी जांच से पहले ही रेप मना कर रहा था।

यूपी और राजस्थान कैसे अलग-अलग

इतना सब कुछ बिना सरकार के सहयोग से तो नहीं सकता है, लेकिन फिर भी मीडिया चैनल ने डीएम, एसपी पर तो हमला बोला खूब तीखे हमले किए लेकिन योगी आदित्यनाथ के लिए एक शब्द नहीं कहा। लेकिन वहीं राजस्थान में एक रेप हुआ जिसमें ना तो इलाज में लापरवाही हुई, ना पुलिस पीड़ित परिवार को बंधक बनाए बैठी थी, ना विपक्षी नेताओं को रोका गया लेकिन इसके बाद भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर मीडिया सीधा हमला करती है। यूपी महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित प्रदेश है लेकिन योगी आदित्यनाथ सबसे अच्छे मुख्यमंत्री है।

राहुल के साथ सौतेलापन कब तक करेगी मीडिया

मीडिया का दोगलापन यहीं नहीं रुका, राहुल गांधी के खिलाफ भी वही सौतेलापन होता रहा। सवाल किए कि राजस्थान में क्यों राहुल गांधी नहीं जाते हैं। तो ऐसे में एक सीधा सवाल है कि भारतीय जनता पार्टी क्या करेगी? वो सिर्फ विधायक खरीदेगी? यूपी में कांग्रेस विपक्ष में है तो विपक्षी दल होने के नाते राहुल गए और उसके पीछे का कारण प्रसासन का रवैया भी रहा है। लेकिन राजस्थान में भाजपा विपक्ष में है तो क्या किसी ने भाजपा के पैरों को बांध रखा है। विपक्ष को राजस्थान में प्रदर्शन करने से या सियासत करने से कौन रोक रहा है?

मीडिया का दोगलापन अब छुपाए नहीं छुप रहा!

राहुल गांधी को धक्के दिए, गिराया गया, डीएनडी पर रोका गया। क्या ऐसा कुछ भी भाजपा के नेताओं के साथ राजस्थान में किया जा रहा है। नहीं, लेकिन अपने घमंड और खरीदें हुए पत्रकारों की बदौलत वो अपना एजेंडा चलाने में पूरी तरह से समर्थ है। जो शायद कांग्रेस नहीं कर सकी। आईटी सेल, मीडिया को मैनेज करने में कांग्रेस फेल हैं और इसमें भारतीय जनता पार्टी पूरी तरह से हिट है।

मीडिया चाहती है कि कांग्रेस ही सब करे चाहे वो सरकार में हो या विपक्ष में और भाजपा खरीददारी कर सरकारें बनाएं। और पीएम विंडमिल से ऑक्सीजन बनाएं, बादलों से रडार मैनेज करे।हाल ही में एक साधू की हत्या होती है, इसमें मीडिया कहती है कि राहुल गांधी क्यों नहीं जाते मिलने। लेकिन मैं पूछता हूं कि इसमें उनका क्या लेना देना एक हत्या केस में क्यों जाया जाए? इस मामले में सरकार, प्रशासन किसी ने कोई लापरवाही नहीं की है।

2 दिन में ही डीएम, एसपी मिले और मुआवजा दिया गया (जो कि नहीं देना चाहिए था, क्योंकि मामला संपत्ति विवाद का है, इसमें सरकार का कुछ लेना देना नहीं होता)। फिर भी मीडिया कहती है कि अशोक गहलोत जाए, लेकिन हाथरस में जिसमें सरकार पूरी तरह से फेल थी, डीएम, एसपी शामिल थे, लेकिन मीडिया ने नहीं कहा कि योगी आए और मिले। योगी छोड़िये सांसद तक को नहीं बोला।

मीडिया करे तो ड्यूटी और नेता करे तो हुड़दंग

मीडिया अपने 10-10 रिपोर्टर भेज कर माइक मुंह में घुसेड़ कर रिपोर्टिंग करती है, किसी को कहीं भी पकड़कर अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर सवाल कर लेती है। धारा 144 होते हुए भी 10-10 रिपोर्टर धरने देते हैं, लेकिन विपक्ष का नेता जब जाता है तो वो अपनी सियासत चमकाता है, वो राजनीति करने जाता है। मीडिया पुलिस बैरिकेडिंग तोड़ कर जाता है तो सत्याग्रह होता है और विपक्षी नेता बैरिकेड तोड़ते हैं तो हुड़दंग। नेता राजनीति कर रहा है तो भईया वही तो उसका काम है जैसे आपका काम टीआरपी बतौरना है तो नेता का काम सियासत चमकाना है।

आप रिपोर्टिंग के नाम पर गुंडागर्दी करते हैं और नेता राजनीति के नाम पर। एक दूसरे से मिलते जुलते ही तो है आप। बस फर्क है तो आपके एजेंडा का, जब आपको टीआरपी राहुल गांधी से मिली तो दिखाया लेकिन जब भाजपा को ये अच्छा नहीं लगा तो कांग्रेस शासित राज्य में कांग्रेस के नेता को आने के लिए कह दो। मीडिया के लिए c को गाली देना बेहद आसान है, लेकिन सरकार से सवाल करने के लिए जिगरा चाहिए और बात जब भाजपा की हो तो वहां ये काफी कठिन होता है। इसे हिंदी शब्दावली में दोगलापन कहा गया है और आने वाले वक्त में मीडिया इसका सबसे बड़ा उदाहरण बनेगा।