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मीरा कुमार… लोकसभा स्पीकर की कुर्सी और जेड प्लस सिक्योरिटी का कभी दिखावा नहीं किया

हमारे देश में राजनीति को रसूख का माध्यम समझा जाता है. मुखिया, सरपंच और ग्राम प्रधान जैसे स्थानीय पदों पर बैठने के बाद लोग खुद का रुतबा दिखाना शुरु कर देते हैं. बॉडीगार्ड तो स्टेटस सिंबल माना जाता है. सरकारी सुरक्षा मिला तो ठीक नहीं तो पर्सनल गार्ड लेकर चलना शुरु कर दिया जाता है.

विशेष तौर पर यूपी बिहार की बात करें तो यहां हारे हुए विधायक उम्मीदवार भी दो दो पर्सनल गार्ड लेकर चलते हैं लेकिन इसी बिहार में सचमुच एक ऐसी राजनेता भी हैं जिन्हें सुरक्षा व्यवस्था और तामझाम की कोई परवाह नहीं है, उनका नाम है मीरा कुमार.

 

जेड सिक्योरिटी और अब वाई

भारत की प्रथम महिला लोकसभा स्पीकर का गौरव रखने वाली मीरा कुमार ने वर्ष 2004 और 2009 का लोकसभा चुनाव बिहार की सासाराम सुरक्षित सीट से जीता. वर्ष 2004 में वो भारत सरकार में केंद्रीय सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री बनीं और 2009 में लोकसभा स्पीकर बनीं. 2004 में कैबिनेट मंत्री बनने के बाद उन्हें वाई सिक्योरिटी प्रदान की गई, जिसके तहत एक दर्जन ब्लैक कमांडो उन्हें मुहैया कराया गया. 2009 में स्पीकर बनने के बाद उन्हें हाई लेवल जेड सिक्योरिटी दी गई लेकिन मीरा कुमार ने कभी भी इस सिक्योरिटी का प्रयोग नहीं किया.

क्षेत्र के लोगों से सीधा संवाद

सासाराम संसदीय क्षेत्र के लोगों ने कभी भी मीरा कुमार के गार्ड्स और सिक्योरिटी का तामझाम और हथियारों का जखीरा नहीं देखा. कई लोगों को तो आश्चर्य होता था कि हमारे क्षेत्र के पूर्व विधायक तक दो दो गार्ड लेकर चलते हैं और मीरा कुमार के पास सिर्फ सिक्योरिटी के नाम पर सिर्फ एक बिहार पुलिस का जवान खड़ा रहता है. इस जवान को भी मीरा कुमार का निर्देश है कि आप किसी को भी मुझसे मिलने या बात करने से नहीं रोकेंगे. देश के उन नेताओं को जो अपनी बेवजह अपनी सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने के लिए सरकारी एजेंसियों पर दबाव बनाते रहते हैं, उन्हें मीरा कुमार से सबक लेना चाहिए.

बिहार सरकार ने दी वाई सिक्योरिटी

फिलहाल मीरा कुमार किसी सरकारी पद पर नहीं है लेकिन पूर्व लोकसभा स्पीकर की हैसियत से बिहार सरकार ने उन्हें वाई सिक्योरिटी मुहैया कराई है. इसके तहत मीरा कुमार के पास सुरक्षा के लिए 11 पुलिस के जवान, 02 कमांडो और एक सीनियर पुलिस पदाधिकारी उपलब्ध कराया गया है लेकिन मीरा कुमार इन्हें अपने साथ लेकर नहीं चलतीं. मीरा कुमार का मानना है कि सुरक्षा घेरे की वजह से जनता से कनेक्शन में बाधा पैदा होती है.