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मोदी के मंत्रिमंडल में क्यों शामिल नहीं हुए सुषमा, मेनका, सुरेश प्रभु, उमा भारती जैसे बड़े नेता

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साल 2014 में नरेंद्र मोदी ने पहली बार देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी। 26 मई 2014 को 45 मंत्रियों ने भी नरेंद्र मोदी के साथ शपथ ली थी। जबकि अंत तक आते आते मंत्रियों की संख्या 76 हो गई थी। वहीं नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल में 58 मंत्रियों ने शपथ ली है। हालांकि इस बार ऐसे कई बड़े नाम गायब हैं जो पहले कार्यकाल में थे। मोदी के पहले कार्यकाल में वित्त मंत्री रहे अरुण जेटली ने तो ट्वीट कर पहले ही खुद को नहीं शामिल किये जाने की बात कह दी थी। लेकिन सुषमा स्वराज, सुरेश प्रभु, जेपी नड्डा, मेनका गांधी, उमा भारती, सत्यपाल सिंह, महेश शर्मा, राज्यवर्धन सिंह राठौड़ और जयंत सिन्हा के मंत्री परिषद में शामिल नहीं होना सबके लिए हैरानी भरा रहा है। इनके अलावा राधा मोहन सिंह, अनुप्रिया पटेल, अनंत कुमार हेगड़े, मनोज सिन्हा, चौधरी बीरेंद्र सिंह, जुएल ओरम, हंसराज अहीर, विजय सापला, अजय टम्टा जैसे नामों को भी इस बार की सरकार में जगह नहीं मिली है। तो आईए जानते हैं कुछ बड़े नेताओं के बारे में कि उन्हें क्यों इस बार बाहर रखा गया है।

सुषमा स्वराज

सुषमा स्वराज ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया था लेकिन मंत्रिमंडल में शामिल होने के कयास लगाए जा रहे थे। सुषमा स्वराज को शामिल नहीं किये जाने का कारण अभी तक तो उनका खराब स्वास्थ्य ही माना जा रहा है। सुषमा स्वराज विदेश मंत्री के रूप में अपने कामकाज की वजह से काफी लोकप्रिय रही हैं। ट्विटर पर लोगों की मदद करने के लिए उन्हें याद किया जायेगा। वहीं सोशल मीडिया पर सुषमा स्वराज को मोदी कैबिनेट में शामिल नहीं किये जाने पर लोगों ने दुख जताया है।

मेनका गांधी

बीजेपी की वरिष्ठ नेता और मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री रहीं मेनका गांधी के बारे में बताया जा रहा है कि वो इस बार लोकसभा की प्रोटेम स्पीकर हो सकती हैं। उन्होंने 8वीं बार लोकसभा का चुनाव जीता है। हालांकि लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान मेनका गांधी ने सुल्तानपुर में एक चुनावी सभा में मुस्लिम मतदाताओं के लिए जो बयान दिया था, उस पर विवाद हो गया था। वायरल वीडियो में मेनका ने अपनी जीत का दावा करते हुए कहा था कि जीत के बाद अगर मुसलमान उनके पास काम करवाने आता है तो उन्हें इस बारे में सोचना पड़ेगा।

सुरेश प्रभु

पहले रेलवे मंत्रालय संभालने और ट्विटर पर रेलयात्रियों की मदद करने वाले सुरेश प्रभु ने मोदी के पहले कार्यकाल में रेलवे और बाद में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय का कार्यभार संभाला था। उन्हें भी नये मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया है। बतौर रेलवे मंत्री सुरेश प्रभु ने कई नई योजनाओं की शुरुआत की थी। हालांकि उनके कार्यकाल में लगातार हो रही दुर्घटनाओं की वजह से रेलवे मंत्रालय उनसे लेकर पीयूष गोयल को दे दिया गया था और उन्हें वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय सौंपा गया था।

जेपी नड्डा

मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में जेपी नड्डा स्वास्थ्य मंत्री थे लेकिन दूसरे कार्यकाल में वो मंत्रिमंडल में शामिल नहीं है। हालांकि इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि वो अमित शाह की जगह पर बीजेपी के नए अध्यक्ष बनाए जा सकते हैं, जिन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है।

उमा भारती

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल के दौरान मंत्रिमंडल में 10 महिलाओं को शामिल किया गया था, लेकिन इस बार केवल 6 महिलाएं ही हैं। सुषमा स्वराज और मेनका गांधी समेत जिन महिलाओं को दोबारा मंत्री पद नहीं मिला है उनमें एक चर्चित नाम उमा भारती का भी है। उमा भारती के अलावा अनुप्रिया पटेल और नजमा हेपतुल्ला को भी मंत्रिमंडल का हिस्सा नहीं बनाया गया है।

राज्यवर्धन सिंह राठौर

साल 2004 के ओलंपिक खेलों में भारत को रजत पदक दिलाने वाले शूटर राज्यवर्धन सिंह राठौर को भी मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में जगह नहीं मिली है। पहले सेना और फिर खेल के मैदान में अपनी प्रतिभा दिखाने वाले राठौर ने जयपुर ग्रामीण सीट से राजनीति में कदम रखा था। साल 2014 में उन्होंने कांग्रेस के कद्दावर नेता सीपी जोशी को हराया था। लोकसभा चुनाव 2019 में उन्होंने कृष्णा पूनिया को 4 लाख वोटों से हराया। हालांकि ऐसा माना जा रहा है कि राठौर को राजस्थान में कुछ बड़ा पद दिया जा सकता है।

राम कृपाल यादव और राधामोहन सिंह

मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में बिहार से 6 मंत्री बनाये गये हैं। वहीं जहां पहले कार्यकाल में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रहे गिरिराज सिंह का कद बढ़ा है और उन्हें कैबिनेट का दर्जा दिया गया है तो वहीं पहले कार्यकाल में कृषि मंत्री रहे राधामोहन सिंह और ग्रामीण विकास मंत्री रहे रामकृपाल यादव को नए मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गयी है। राधामोहन बिहार बीजेपी के दिग्गज नेताओं में से हैं। हालांकि इन दोनों के शामिल ना होने के पीछे का कारण क्या रहा है ये साफ नहीं हो पा रहा है। माना जा रहा है कि रामकृपाल यादव को मंत्रिमंडल के विस्तार में शामिल किया जाएगा। तो वहीं राधामोहन सिंह को हटाये जान के पीछे किसानों पर उनके विवादित बयान और विभागीय काम में ढिलाई का कारण हो सकता है।

जयंत सिन्हा

मोदी के पहले कार्यकाल में वित्त राज्य मंत्री और केंद्रीय नागर विमानन राज्य मंत्री रहे जयंत सिन्हा भी मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किये गये हैं। जयंत सिन्हा बीजेपी के पूर्व नेता यशवंत सिन्हा के बेटे हैं। 29 जून 2017 को अलीमुद्दीन अंसारी नामक एक शख्स को झारखंड के रामगढ़ में कथित गौरक्षकों ने गाड़ी से खींचकर पीट-पीटकर मार डाला था। उस वक्त जयंत सिन्हा झारखंड के रामगढ़ में एक मॉब लिंचिंग मामले में जमानत पर रिहा हुए अभियुक्तों के साथ तस्वीरें खिंचवा रहे थे, उनका माला पहना कर अभिनंदन कर रहे थे। इस पर मीडिया में उनकी कड़ी आलोचना हुई थी।

Taranjeet

Taranjeet

A writer, poet, artist, anchor and journalist.