देश में एक दौर वह भी था जब सत्ताधारी दलों की तानाशाही के विरुद्ध लड़ाई में बॉलीवुड भी अहम रोल निभाया करता था, आज का बॉलीवुड यह जानने में इंटरेस्ट रखता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आम चूस कर खाते हैं या काट कर. एक फिल्मकार को तो मोदी ने अजीब सी फकीरी नजर आती है तो एक को वो साक्षात ईश्वर की संतान नजर आने लगते हैं.
हमारे प्रधानमंत्री जी भी कमाल के शख्स हैं. वो खाली वक्त में ट्वींकल खन्ना के ट्वीट देखते हैं और कभी कभी तो ट्वींकल के ट्वीट्स देखकर मोदी जी बहुत ही परेशान हो जाते हैं, पर हैरानी की बात यह है कि बिहार में चमकी बुखार से 200 से भी ज्यादा मासूम बच्चे मौत के मुंह में चले गए वो भी सरकारी लापरवाही की वजह से लेकिन मोदीजी के ट्वीट पर कोई चहचहाहट दिखाई नहीं दी.
हमारे आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी जी को ट्वीटर और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया माध्यमों से बहुत लगाव है. देशी, विदेशी हर छोटी बड़ी घटनाओं पर मोदी जी ट्वीट जरुर करते हैं. उनके ट्वीट में अमेरिका से लेकर कनाडा, विराट कोहली से लेकर शिखर धवन और बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक रहता है.
मोदीजी ने पिछले 05 जून को टीम इंडिया को वर्ल्ड कप की शुभकामनाएं दी. इसी 05 जून को बिहार के मुजफ्फरपुर से 11 बच्चों की मौत की खबर न्यू चैनलों पर चलने लगी लेकिन शायद वो मोदी जी की नजर में नहीं आया होगा.
06 जून को प्रधानमंत्री जी कुछ ज्यादा ही ट्वीटर पर सक्रिय रहें. उन्होंने देशवासियों को महाराणा प्रताप जयंती की बधाई दी. अपने महापुरुषों और राष्ट्रनायकों को याद करना अच्छी बात है. कोई राजयोगिनी सरला दीदी भी उस दिन मर गईं, प्रधानमंत्री जी ने उन्हें भी श्ऱद्धांजलि दी. 06 जून को ही प्रधानमंत्री जी ने देशवासियों से ताड़ासन योग के बारे में चर्चा की. इसी दिन चमकी बुखार से मुजफ्फरपुर में मौत का आंकड़ा 17 के पार पहुंच गया लेकिन हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री जी ने मौत के इस आसन पर कोई ट्वीट करना मुनासिब नहीं समझा.
इसके बाद भी प्रधानमंत्री मालदीव गए तो वहां की तस्वीरें और वीडियो पोस्ट की. उन्होंने केरल में भी एक दौरा किया जिसके बारे में उन्होंने बताते हुए अपनी महानता का वर्णन अपने ही मुंह से कर डाला और कहा कि भले ही मुझे इस राज्य से एक भी सीट नहीं मिली हो लेकिन मैं केरल की सेवा करता रहूंगा. मोदी ने यह तो बता दिया कि जिस राज्य से एक भी सीट नहीं मिली उसकी भी सेवा करुंगा लेकिन यह नहीं बताया कि जिस बिहार की 40 में से 39 सीटें उन्हें मिली, उनके मासूमों की मौर पर दुख व्यक्त भी नहीं करुंगा.
मोदी जी भारतीय सभ्यता, संस्कृति और राष्ट्रवाद के लिए इतने चिंतित और समर्पित है कि हर दिन अपने ट्वीटर से अलग अलग योगासनों का वर्णन किया करते हैं. भुजंगासन, अर्ध चक्रासन, भद्रासन, शलभासन आदि योगासनों से संबधित ज्ञान उन्होंने ट्वीटर के माध्यम से साझा किया लेकिन कोई न कोई कारण तो होगा कि 200 बच्चों की मौत पर कोई ट्वीट नहीं किया.
19 जून तक मौत का आधिकारिक आंकड़ा सेंचुरी लगा चुका था. मोदीजी जिस व्यक्ति के बाप दादा को देश की बर्बादी, गरीबी, तंगहाली और सारी समस्याओं का आज भी जिम्मेवार मानते हैं, उनके वारिस राहुल गांधी को जन्मदिन की शुभकामनाएं दी और उनके दीर्घायु जीवन की मंगल कामना की. दुश्मन को भी दीर्घायु बोलने वाले मोदीजी ने देश के सैकड़ां मासूमों की मौत पर एक शब्द भी नहीं बोल सके, दुख तो अलग की बात है.
मोदीजी के समर्थकों ने उनके लिए एक स्पेशल लाइन इजाद कर रखा है, मोदी का मास्टरस्ट्रोक. मतलब मोदी कुछ भी करें वो उसे मोदी का मास्टर स्ट्रोक बता कर पेश करते हैं. इस काम में उनकी बखूबी मदद आईटी सेल वाले करते हैं. हो सकता है कि मोदीजी के समर्थक बिहारियों को यह समझाने में कामयाब हो जाएं कि आपके 200 मासूमों की मौत पर मोदीजी बहुत दुखी हैं. 21 दिनों से सो नहीं पाए हैं. इस दुख को व्यक्त करने के लिए उनके पास कोई शब्द नहीं है, इसलिए वो कुछ बोल नहीं पा रहे हैं या फिर ऐसा भी कह सकते हैं कि अगर मोदीजी ट्वीटर पर यह बता दें कि हमारे यहां चमकी बुखार से 200 बच्चे मर गए हैं तो विदेशों में भारत की नाक कट जाएगी, इसलिए अपनी लंबी नाक बचाने के लिए वो शोक व्यक्त करने वाले ट्वीट से बच रहे हैं. ये भी अपने तरह का एक प्रखर राष्ट्रवाद और देशभक्ति की भावना है.