कोरोना वायरस ने एक साल से भी लंबे वक्त से लोगों को घरों में बंद कर रखा है। लोग डर के साये में जी रहे हैं। बहुत से लोग अपनों को खो चुके हैं, किसी का पिता तो किसी बुजुर्ग बाप का जवान बेटा, किसी की मां तो किसी की पत्नी कोरोना की वजह से अपनी जान गंवा चुके हैं। देशभर में लोग दर-दर भटक रहे हैं। ऑक्सीजन से लेकर दवाईयों की कमी है। वैक्सीन भी देश में खत्म होने को आई है। इतने नकारात्मक माहौल में सिर्फ इंसानियत के भरोसे ही लोगों का काम चल रहा है।
लोग निस्वार्थ भाव के जमीन पर उतरकर लोगों की मदद कर रहे हैं। फिर चाहे वो किसी भी तरह से हो। कोई खाना बांट रहा है, तो किसी ने प्लाज्मा डोनेट किया है। कोई ऑक्सीजन पहुंचाने में मदद कर रहा है तो कोई गरीबों को दान दे रहा है। जिससे जितनी हो पा रही है उतनी मदद की जा रही है। लेकिन लोगों की परेशानी अभी भी बनी हुई है।
होम आइसोलेशन में नहीं है कोई भी खाना बनाने वाला
लोगों को सबसे ज्यादा परेशानी आ रही है होम आइसोलेशन में। क्योंकि कोरोना का संक्रमण इतनी तेजी से फैल रहा है कि पूरा का पूरा परिवार इस वायरस की चपेट में आ जा रहा है। स्थिति ये हो जा रही है कि घर में कोई भी खाना बनाने वाला नहीं बच पा रहा है। सब बीमार है तो खाना बनाने की दिक्कत हो रही है। ऐसे में कैसे कोई बाजार से कितने दिन तक खाना खा सकता है और बिना खाये बीमारी से कैसे लड़ा जा सकता है। अधिक समय तक भूखे रहने पर बीमारी और भी ज्यादा भयावह रूप ले रही है। ऐसे ही लोगों की पेट भरने के लिए कुछ महिलाओं का साथ मिल रहा है।
नीलिमा, अनुपमा और अपराजिता कर रही है मदद
दरअसल बिहार के कंकड़बाग में दो बहनों नीलिमा और अनुपमा सिंह और पटना वीमेंस कॉलेज की प्रोफेसर अपराजिता कृष्णा ने कोरोना वायरस से ग्रस्त लोगों को मुफ्त में खाना खिलाने का काम शुरू कर दिया है। अपराजिता कृष्णा भौतिकी विभाग की प्रोफेसर हैं। वो बताती हैं कि कॉलेज बंद रहने के कारण मन में कई तरह के सवाल उठ रहे थे। बेटी ने इस तनाव से बाहर निकालने के लिए जरूरतमंद लोगों को खाना बनाकर भेजने के लिए कहा। जिसके बाद उन्होंने सिर्फ ट्विटर पर एक मैसज लिखकर डाला।
रोज 50 लोगों को खाना खिलाती है अपराजिता
वो बताती हैं कि गरीब तो कहीं भी मांगकर खा लेता है, लेकिन मध्य वर्ग का परिवार न मांग कर खा सकता है और न किसी को कुछ कह पाता है। कोरोना ने भी सबसे अधिक इसी वर्ग को ही प्रभावित किया हुआ है। वो बताती हैं कि फेसबुक और ट्विटर के जरिये लोग उनसे मदद मांगते हैं। और उनके घर पर जो भी होता है वही बनाकर वो लोगों को पैक कर के भेज देती है। उन्होंने कुछ ही दिन पहले इसकी शुरुआत की है और वो हर रोज लोभग 50 लोगों को खाना बना कर दे रही हैं।
प्रीति ने भी शुरु किया है नेक काम
वहीं अनुपमा और नीलिमा सिंह भी कुछ दिनों से मुफ्त में लोगों को खाना खिला रही हैं। ये दोनों भी उन्हीं लोगों को खाना दे रही हैं जो कोरोना पॉजिटिव हैं और होम आइसोलेशन में हैं, उनके लिए खाना बनाकर वो पैकेट देती हैं। अनुपमा बताती हैं कि जो हम खा रहे हैं, वही उन सभी को भी खिला रहे हैं। वहीं अनीसाबाद की प्रीति भी लोगों को मुफ्त में खाना बनाकर खिला रही हैं। गृहिणी होते हुए बिना किसी की मदद के इस विकट समय में लोगों का पेट भरने का काम वो कर रही हैं।