कैलाश पर्वत जिसे भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है। शिव शंकर अपनी अर्धांगिनी माता गौरी के साथ यही पर रहते थे। कैलाश पर्वत से जुड़े कई रहस्य है जिनसे जाने कितने लोग अनजान है। ऐसा कहा जाता है कि आज तक वहां केवल एक ही व्यक्ति पहुँच पाया है। कैलाश पर्वत की एक ऐसी मान्यता है कि यहाँ के आसपास के विस्तार में कोई होता है तो उसे भगवान शिव के “डमरू” और “ॐ” की आवाज़ सुनाई देती है।
वैज्ञानिको का कहना है कि कैलाश पर्वत पर बर्फ के पिघलने की आवाज़ का ऐसा आभास होता है की मानो शिव जी के डमरू और ॐ की आवाज़ सुनाई देती है। लेकिन पर्यटक कहते है कि उसे गौर से सुना जाय तो यह सचमुच डमरू और की ॐ की आवाज़ सुनाई देती है। कैलाश पर्वत की ऊंचाई लगभग ६६३८ मि जितनी है। जबकि उससे कई ज्यादा बड़ा और लम्बा पर्वत है हिमालय पर्वत जिसकी ऊंचाई ८८४८ मि है। आज तक हिमालय पर्वत पर कई सारे लोग जा चुके है। लेकिन कैलाश पर्वत पर जाने की हिम्मत किसी की नहीं होती है। ऐसा कहा जाता है कि कैलाश पर जाने वाले लोग वापस नहीं आते है।
रहस्य:
ऐसा कहा जाता है की मिलारेपा जी के बाद यहाँ जाने वाले ट्रेकर्स को सही रास्ता नहीं मिल पाता है और वे लोग भ्रमित हो जाते हैं ऐसा कहा जाता है की ट्रेकर्स को मौसम खराब होने की वजह से यहाँ कोई ट्रेकर्स पहुंच ही नहीं पाता है। यहां हमेशा मौसम की स्थिति में बदलाव होता ही रहता है। जिससे कभी भी यहाँ आने वाले ट्रेकर्स अपना सफर पूरा नहीं कर पाते है। मिलारेपा जी ने इस पर्वत को बदलती स्थिति के साथ भी इस पर्वत की चढ़ाई की थी।
कैलाश पर्वत के पास में ही दो सरोवर पाएं गए है। ऐसा कहा जाता है की यहाँ मानसरोवर और राक्षस ताल नामक दो सरोवर है। ऐसा कहा जाता है की मान सरोवर झील दुनिया में मीठे पानी की सर्वोत्तम झील है जबकि राक्षस ताल दुनिया के खारे पानी की सर्वोत्तम झील है। ऐसा माना जाता है की मानसरोवर झील का आकर सूर्य जैसा है। जबकि राक्षस ताल झील का आकर अर्धचन्द्राकार है।
ये झीलें सौर और चंद्र बल को दर्शाती है जिसका सीधा सम्बन्ध सकारात्मक और नकारात्मक शक्तियों से है। यह अगर दक्षिण दिशा से देखा जाय तो ये झीले एक स्वस्तिक आकर में दिखाई पड़ती है। ऐसा अद्भुत नज़ारा यहां के अलावा और कही नहीं पाया गया है। हलाकि अभी तक वैज्ञानिक ये पता नहीं लगा पाए है की यह वास्तविकता है या काल्पनिक दृश्य।
कई सारी वैज्ञानिक शोध के बाद हमें ये पता चला है कि कैलाश पर्वत हरी पृथ्वी का केंद्र बिंदु है। यह पर्वत हरी दुनिया के ४ विशेष धर्मों का केंद्र है जिसमे हिन्दू , बौद्ध , सिख और जैन धर्म का केंद्र है। यह पर्वत धरती के उत्तर और दक्षिण ध्रुव के बीचोंबीच स्थित है। जिससे इसे धरती का केंद्र मानते है। कैलाश पर्वत के बारे में ऐसी मान्यता है कि यह पर्वत भक्त को भगवान से मिलाने की सीडी है। पर यहां तक पोहचना हर किसी के बस की बात नहीं है।
इस पर्वत पर स्वर्ग प्राप्ति का मार्ग है। हिन्दू धर्म के लोगो की ऐसी मान्यता है की इस पर्वत पर चढ़ाई करते समय पांडवों और द्रोपदी को मोक्ष प्राप्त हुआ था। कैलाश पर्वत के चार मुख है। इस पर्वत ने मानो धरती और अम्बर को जोड़े रखने की अलौकिक शक्ति है। लोग ऐसा मानते है कि यहाँ पे मृत्यु पाने वाले लोग सीधा स्वर्लोक में जाते है। भगवान शिव की नगरी मानी जाती है।
ऐसा कहा जाता है कि कैलाश पर्वत पर समय काफी तेजी से बढ़ता है। यहां आने वाले ट्रेकर्स का यह दवा है की यहां पर चढ़ाई करते वक्त उनके नाख़ून और बाल केवल १२ घंटो बे बढ़ते है। और सामान्यतः इंसान के नाख़ून बढ़ने में कम से कम एक सप्ताह लगता है। ऐसा भी कहा गया है कि यहाँ चढ़ाई करने वाले ट्रेकर्स की उम्र बोहोत तेजी से बढती है। कैलाश पर्वत पर समय इतनी तेजी से क्यों चलता है। इस रहस्य का पता आज तक कोई वैज्ञानिक नहीं लगा पाया। ऐसा कहा जाता है यदि कोई व्यक्ति कैलाश पर्वत १ साल तक रुक जाता हे तो मनो उसके ३० साल तक उम्र बढ़ जाती है।
इस पर्वत की ४ दिशाओं से ४ नदियों का उद्गम हुआ है। यहाँ ब्रह्मपुत्रा ,सलतज ,सिंधु और कर्णाली जैसी नदियों का उद्गम हुआ है। इन्ही नदियों गंगा , सरस्वती और चीन की आदि नदियों बहती है। ऐसा कहा जाता है की इस पर्वत की चारो दिशाओ में अलग-अलग जानवरों के मुख स्थापित है। जिनमे से नदियों का उद्गम हुआ है। पूर्व में अश्वमुख ,पश्चिम में गजमुख ,उत्तर में सिंह मुख ,दक्षिण में मयूर मुख स्थापित है।
हिमालय के निवासियों का कहना है कि हिमालय पर एक हिम मानव निवास करता है जो मनुस्यो को जिन्दा मारकर खा जाता है। यह हिम दानव बोहोत ही विशालकाय प्राणी है। इसे लोग भूरे भालू के नाम से भी जानते है। इस हिम मानव को कई वैज्ञानिक “निंडरथल”मानव भी कहा जाता है।
यह दानवआज भी हिमालय पर स्थित है। इस हिम दानव को सायद ही किसीने देखा हो लेकिन सब मन में ऐसी बात घर कर चुकी है कि हिम दानव होता है और वह उसी पर्वत पर है। हिम दानव के बारे में वैज्ञानिको की खाश राय नहीं है। इससे यह तो जाहिर है की ये पता लगाना मुश्किल है की वास्तव में हिम दानव है भी या नहीं।
आज तक कोई कैलाश पर्वत के शिखर तक नहीं पहुंच पाया है क्योंकि ऐसा माना जाता है की शिखर के करीब पहुचतें ही आप दृष्टिहीन हो जाते है आपको कुछ भी दिखाई नहीं देता है और आप यहां अपनी यात्रा पूर्ण नहीं कर पाते है।
ऐसा कहा जाता है की यहाँ मौसम की भी स्थिति ठीक नहीं रहती है। शिखर तक पहुंचना हर कीसी के बस की बात नहीं है। मिलारेपा जी ने अपनी साधना पूरी करने के जुनून में इस पर्वत के शिखर को पाया था। जबकि हम जैसे समान्य लोगो में इतनी शक्ति नहीं है की हम इस विशालकाय पर्वत को लाँघ सके।
कैलाश पर्वत की रचना एक विशालकाय पिरामिड के जैसी है। यह पिरामिड १०० छोटे पिरामिडो का केंद्र माना जाता है। कैलाश पर्वत की बनावट ४ दीक बिन्दुओ के सामान है। कैलाश पर्वत वहां के पर्वतों में सबसे ऊँचा पर्वत है। एक विशाल पिरामिड जैसा लगता है यह कैलाश पर्वत क्योंकि यह पर्वत वहां का सबसे ऊँचा और चौड़ा पर्वत है।
आप इस पर्वतीय क्षेत्र में आएँगे तो आपको एक ध्वनि निरंतर सुनाई पड़ेगी। लोगो का कहना है की यह ध्वनि। भगवान शिव के डमरू की और ॐ की है। लेकिन वैज्ञानिको का यह मानना है की यह आवाज़ बर्फ के पिघलने की हो सकती है। यहाँ तक की अभी तक वैज्ञानिक इसका पता नहीं लगा पाए है कि सच में यह ध्वनि किस चीज की है। पर लोगो की मान्यता तो यही है कि यह भगवान शिव के डमरू का ही नाद है और यह ओमकार की गूंज भी उन्ही के लिए होती है।