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ट्रांसजेंडर, महिला CJI और शेयर्ड पैरेंटिंग; MP अनुभव मोहंती ने उठाए लीग से हटकर मुद्दे

Politics Tadka Ambresh Dwivedi 3 September 2021
ट्रांसजेंडर, महिला CJI और शेयर्ड पैरेंटिंग; MP अनुभव मोहंती ने उठाए लीग से हटकर मुद्दे

नई दिल्ली: एक तरफ़ जहां इन दिनों OBC आरक्षण का मुद्दा तेज़ी से चर्चा में है वहीं दूसरी तरफ़ धर्म और जाति की राजनीति भी चरम पर है. राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश की उलझी हुई राजनीति से इतर उड़ीसा में मौजूद सरकार शांति से बेहतर की ओर बढ़ रही है. यहाँ विकास और मिसाल की बातें लिखने को बताने को बेहिसाब मात्रा में हैं. इसी सब के बीच यहाँ का एक और नेता, एक नाम, एक मज़बूत शख़्स पूरी ताक़त से अपनी आवाज़ ना सिर्फ़ सदन में रखने को जाना जाता है बल्कि उड़ीसा के किसी भी शहर में भरपूर प्यार भी पाता है.

राज्यसभा के बाद ऐतिहासिक जीत के साथ लोकसभा पहुँचे सांसद अनुभव मोहंती, की आवाज़भर राज्य के लोगों के लिए काफ़ी है कि यह कौन बोल रहा है. सुप्रीमकोर्ट में महिला जज और चीफ़ जस्टिस ऑफ़ इंडिया की सीट पर महिला जज को देखने की चाह और प्रस्ताव, अनुभव ने अपने राज्यसभा कार्यकाल के दौरान ही उठाया था. जो अब साकार भी होने जा रहा है. अब लोकसभा में उनके हर मुद्दे चौंकाने वाले होते हैं कि वाक़ई किसी नेता का ध्यान इन सब मुद्दों पर जाता है?

हाल ही में अनुभव मोहंती ने देश के ट्रांसजेंडर के लिए समानता के अधिकार का मुद्दा उठाया है. जो कि ज़ाहिर है एक ज़रूरी और अहम मुद्दा है. उन्होंने हाल ही में एक तस्वीर शेयर करते हुए ट्वीट किया कि ट्रांसजेंडरों को उनके सेल्फ़ आइडेंटीफ़ाइड जेंडर के अनुसार जेंडर आधारित शौचालयों का उपयोग करने की अनुमति दी जानी चाहिए. ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए सरकारों के पास अलग और विशिष्ट शौचालय कब होंगे? क्या यह उनका वैध अधिकार नहीं है?

उठाए और भी मुद्दे-

अनुभव मोहंती का एक यही मुद्दा नहीं है जो सोचने पर मजबूर कर दे, उनकी एक और मुहिम कि ऐसे माँ-पिता जो अपने किसी अनबन के चलते अलग हो जाते हैं, ऐसे माता-पिता के बच्चों का क्या? ऐसे बच्चों को शेयर्ड पैरेंटिंग मिले. उनका क्या क़सूर? अनुभव मोहंती यह बात सदन में भी उठा चुके हैं.ऐसे तमाम मुद्दे हैं जिन्हें लेकर अनुभव आगे बढ़ रहे हैं, जोकि क़ाबिल ए तारीफ़ है. हमें ऐसे नेताओं का आगे आकर साथ देना चाहिए.भारत, अलग अलग भाषा, भोजन और वेशभूषा जैसी तमाम ख़ूबसूरती से मिलकर बना एक राष्ट्र है.

समानता में असंतुलन को तोड़ने के लिए नीतियां और कानून लाए जाने चाहिए. इससे ट्रांसजेंडर लोग बिना किसी डर और पूर्वाग्रह के अपने अधिकारों का स्वतंत्र रूप से प्रयोग करने में सक्षम होंगे, जो लंबे समय तक इस महान राष्ट्र के विकास को सशक्त बनाएगा.कहा गया है कि विश्व के सभी लोग विधि के समक्ष समान हैं हक़दार हैं. सभी व्यक्तियों से समान बर्ताव किया जाना चाहिेए, समानता के अधिकार के क्रियान्वयन का आधार वाक्य है.

Ambresh Dwivedi

Ambresh Dwivedi

एक इंजीनियरिंग का लड़का जिसने वही करना शुरू किया जिसमे उसका मन लगता था. कुछ ऐसी कहानियां लिखना जिसे पढने के बाद हर एक पाठक उस जगह खुद को महसूस करने लगे. कभी-कभी ट्रोल करने का मन करता है. बाकी आप पढ़ेंगे तो खुद जानेंगे.