माही, थलाइवा, कैप्टन कूल इन सभी नामों से बुलाता है देश अपने महेंद्र सिंह धोनी को। उन्हें भारतीय क्रिकेट को ऊंचाईयों पर पहुंचाने के लिए सबसे ज्यादा श्रेय दिया जाता है। ये ऊंचाइयां सिर्फ उनकी जीती ट्रॉफियों के कारण नहीं मिली हैं, बल्कि उन्होंने अपने विरोधियों को भी कायल किया है। माही ने इंटरनेशनल क्रिकेट से भले ही संन्यास ले लिया हो लेकिन उन्होंने इंडियन क्रिकेट को जो दिया है, वो परमानेंट है और इस कारण वो कभी रिटायर नहीं हो सकते हैं।
लंबे वक्त से माही टीम का हिस्सा नहीं थे, जिसकी वजह से कई कयास लगाए जा रहे थे। माही ने अपने जाने का ऐलान भी अपने कूल अंदाज में ही किया। एक इंस्टाग्राम पोस्ट और कोई तमाशा नहीं। बस चुपचाप पोस्ट किया और क्रिकेट को अलविदा कह दिया।
बहुत प्रेरित करते हैं
धोनी ने अपने पोस्ट में वीडियो डाली, जिसमें उन्होंने अपनी जिंदगी के पलों को गिनाया। टीम इंडिया को याद दिलाया कि हम फिर से विश्व चैंपियन बन सकते हैं। हम पूरी दुनिया से बेहतर हो सकते हैं। और धोनी जब क्रिकेट में भारत को ये यकीन दिला रहे थे तो क्रिकेट से अलग भी देश की हिम्मत बढ़ा रहे थे। छोटे शहर से मामूली बैकग्राउंड से आने वाले हर यूथ को प्रेरित कर रहे थे कि छोटे शहर से हो तो क्या हुआ, कमियों के बीच हो तो क्या हुआ, आगे बढ़ो, तुम दुनिया को अपनी मुट्ठी में कर सकते हो।
खेल एग्रेसिव लेकिन दिमाग शांत
खेल में हमेशा एग्रेसिव रहने वाले कूल हेड के कप्तान थे धोनी। कोई ताज्जुब नहीं कि धोनी को परेशान करने की कोशिश करने वाले क्रिकेटर परेशान हो जाते हैं। उन्होंने न सिर्फ आने वाले भारतीय कप्तानों को कप्तानी की नई परिभाषा दी है बल्कि विश्व क्रिकेट में भी एक नई थ्योरी चला दी है। अपने फैसलों पर अडिग, बाकियों को जो फैसले अटपटे लगें, उन्हीं की बदौलत करिश्माई जीत हासिल करना जैसे धोनी की आदत है।
साल 2007 वर्ल्ड कप फाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ आखिरी ओवर जोगिंदर शर्मा को देकर पूरे देश की धड़कनें रोक देना और फिर चैंपियन बन जाना कौन भूल सकता है। आज भारतीय क्रिकेट के कई कलंदर, माही की ही तो खोज हैं। माही वो कारीगर है जिन्होंने जिसे हाथ लगाया वो सोना हो गया।
‘मैनेजमेंट गुरू’ माही
धोनी का मैनेजमेंट फंडा सिर्फ क्रिकेटरों के ही नहीं, बाकी पेशेवर भी अपना सकते हैं। कोई शख्स कैसे मल्टी टास्किंग कर सकता है, ये माही सिखाते हैं। कैसे आगे से लीड किया जा सकता है, धोनी सिखाते हैं। अपनी टीम पर कैसे भरोसा करते हैं, ये धोनी से सीखें। कैसे अपनी टीम के सबसे फिसड्डी से बेस्ट निकाल सकते हैं, ये धोनी की काबिलियत है। और इतनी कामयाबियों के बाद भी कैसे विनम्र रहा जा सकता है, ये तो धोनी से ही सीख सकते हैं। मैनेजमेंट और पर्सनालिटी की किताबें उठा लीजिए, जो तमाम चीजें वहां कठिन शब्दों में मिलेंगी, वो धोनी के व्यक्तित्व में आसानी से मिलेंगी।
सिर्फ टीम ही नहीं बल्कि विरोधी भी करते हैं मिस
- धोनी की कमी खलती है, टीम की बस में उनकी सीट पर कोई नहीं बैठता – युजवेंद्र चहल
- धोनी की तरह कभी कोई नहीं मिला, धोनी सर्वकालिक महान फिनिशर- आस्ट्रेलिया के पूर्व बल्लेबाज माइक हसी
- धोनी हों तो कोच की कमी नहीं खलती – भारतीय स्पिनर कुलदीप यादव
- धोनी मेरे मेंटॉर – ऋषभ पंत
- रोहित शर्मा आज जहां हैं, उसका कारण महेंद्र सिंह धोनी हैं- गौतम गंभीर
- धोनी आदर्श हैं, उनसे काफी कुछ सीखा : इंग्लैंड के विकेटकीपर-बल्लेबाज जोस बटलर
- मैंने जितने बल्लेबाज देखे उनमें धोनी सबसे ताकतवर -भारतीय टीम के पूर्व कोच ग्रैग चैपल
धोनी के प्रति फैन्स की वफादारी का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि साल 2019 वर्ल्ड कप सेमिफाइनल में आखिरी इंटरनेशनल मैच खेलने के बाद आराम कर रहे धोनी का नाम जब जनवरी 2020 में बीसीसीआई ने सालाना कॉन्ट्रैक्ट की लिस्ट से निकाल दिया तो उसे खूब खरी खोटी सुननी पड़ी थी। कोई ताज्जुब नहीं कि धोनी के क्रिकेटर रहते ही उनपर फिल्म बनती है, सुपरहिट होती है और उनका किरदार निभाने वाला एक्टर इस एक रोल के लिए सबसे ज्यादा जाना जाने लगता है।
बल्लेबाजी करते हुए हेलीकॉप्टर चलाना या फिर विकेट के पीछे जिमनास्ट बन जाना। हारी हुई बाजी को जीत लाना। ये सब क्रिकेट प्रेमी और माही के मुरीद बहुत मिस करेंगे। गनीमत है कि माही घरेलू क्रिकेट की पिच पर डटे हुए हैं। उम्मीद है उनके कारनामे आंखों को अभी और सुकून देंगे। हम खुशकिस्मत हैं कि क्रिकेट के उस स्वर्णिम युग में हैं, जो धोनी का युग है।