एक नाम बताता हूँ आपको मनोज कुमार शुक्ला. अब आपको लगा होगा कि ये कोई खास नाम नहीं है क्योकि ऐसे लाखों की संख्या में मनोज है. अब एक नाम और बताता हूँ मनोज मुंतशिर। अब आप इन्हें पहचान गए होंगे। तेरी मिटटी लिखने वाले मनोज मुन्तशिर आजकल मुगलों को गरिया रहे हैं लेकिन अपने नाम के आगे से शुक्ला हटाकर मुन्तशिर लगाए बैठे हैं. मुंतशिर एक उर्दू शब्द है जिसका हिंदी में अर्थ छितरा हुआ या बिखरा हुआ होता है. मतलब नाम मुगलों वाला और गाली भी उन्हें ही. वाह मनोज शुक्ला जी वाह.
कैसे कर लेते हैं आप-
थोड़ी दिन पहले उर्दू को बेटी बताने वाले मनोज कुमार शुक्ला आजकल आहत हैं. अब आहत हैं या फिर चुनावी हवा लगने से आहत हो गए हैं ये पता नहीं। मनोज कुमार शुक्ला जी को आजकल मुगलों से बड़ी नफरत होने लगी है. उन्हें अचानक से मुगल गलीरोफाइड आतंकवादी लगने लगे हैं. ठीक है आपका अपना मत सही है लेकिन नाम के आगे लगे मुंतशिर शब्द से तो कहीं न कहीं मुगलिया झलक ही आती है. मुंतशिर उसी उर्दू का शब्द है जिसका इस्तेमाल मुग़ल करते थे. वही उर्दू जिसमें मुग़ल अपने तुगलकी फरमान सुनाते थे और हाँ वही उर्दू जिसे बोलने वाले मुगलों को आप आज गरिया रहे हैं. मतलब मनोज कुमार शुक्ला जी आप से पूछ रहे हैं की कैसे कर लेते हैं इतनी डबल हवाबाजी।
कहीं चुनाव बयार का असर तो नहीं-
चुनावी माहौळ में देशभक्ति की बयार चलना और उसके प्रभाव में आकर देश और सेना की बात करना बड़ा आम है. जब बड़े-बड़े नेता अभिनेता और पीएम इस हवा से नहीं बच सके तो आप कैसे बच जाएंगे। वैसे गौरीगंज की सीट से विधायक बनने का इरादा हो तो खुलकर कहिए जनता आपको प्यार करती है वैसे भी जितवा देगी। ये बेवजह का नाटक manoj muntashir जी आखिर काहे कर रहे हैं आप.
सवाल आपको सरकार से करना चाहिए कर मुगलों से रहे हैं-
manoj muntshir जी आपको सवाल सरकार से करना चाहिए था. सरकारों से पूछना था कि “आखिर हमारी किताबों में ग से गणेश को ग से गधा क्यों कर दिया गया?”. पिछली सरकारों से पूछना था की आपने बदला क्यों और नई वाली सरकारों से पूछना चाहिए की आपने इसे हटाया क्यों नहीं। लेकिन वहां पूछेंगे तो मामला बिगड़ सकता है इसलिए सीधे मुगलों से पूछ लिया। ये बिलकुल मत समझिएगा की मैं मुगलों की तरफ से बोल रहा हूँ. मैं तो उस आम जनता की तरफ से बात कर रहा हूँ जिसे उलझाने के लिए आपने कुछ दिन का मसाला दे दिया है. थोड़ा इस पर भी ध्यान दीजिए की एक हिन्दू डीजल-पेट्रोल खरीदते-खरीदते बिका जा रहा है. हिन्दुओं के बच्चों को ढंग से शिक्षा नहीं मिल रही क्योकिं स्कूल बदहाल हैं. अब ये तो मुगलों ने नहीं किया।
मुग़ल गलत थे, वो दूध के धुले नहीं थे और उन्होंने इतिहास में अत्याचार किए हैं लेकिन आज के असल मुद्दों को उठाने से बेहतर आपने मुगलों पर चर्चा करना सही माना। तेरी मिटटी लिखने वाले manoj muntshir साहब थोड़ा तो जनता पर तरस खाइए और उसके हित के मुद्दे उठा दीजिए।