दिल्ली नगर निगम उपचुनाव में 5 वॉर्ड पर चुनाव हुए हैं, जिसमें दिल्ली वालों ने बेहद अलग तरह का नतीजा दिया है। इन 5 वॉर्ड में हुए उपचुनाव में भाजपा का तो पूरी तरह से सूपड़ा साफ हो गया है। 5 में से 4 सीटें आम आदमी पार्टी ने अपना नाम की है, तो वहीं कांग्रेस के खाते में एक सीट गई है। आम आदमी पार्टी ने एमसीडी की कल्याणपुरी, रोहिणी-सी, शालीमार बाग (उत्तर), और त्रिलोकपुरी सीट पर जीत हासिल की हैं। वहीं कांग्रेस ने चौहान बांगर वार्ड से जीत दर्ज की है। पिछले चुनाव में आम आदमी पार्टी ने इस बार की तरह ही 4 सीटें जीती थी, लेकिन एक सीट भाजपा के पास थी। जो कि शालीमार बाग की थी। ऐसे में नतीजे सामने आने के बाद इन नतीजों के 3 पहलुओं को समझते हैं।
आम आदमी पार्टी के दबदबे में 2020 के विधानसभा चुनावों के बाद भी कमी नहीं दिख रही है। विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 70 में से 62 सीटों पर जीत हासिल की थी। इस उपचुनाव नतीजों की खास बात ये है कि आप ने रोहिणी-C में भी जीत हासिल की है, ये वो इलाका है जो भाजपा के वरिष्ठ नेता विजेंद्र गुप्ता के विधानसभा क्षेत्र में आता है। गुप्ता उन कुछ भाजपा नेताओं में से एक हैं जिन्हें 2020 चुनाव में जीत हासिल हुई थी।
आप का वोट शेयर भी इन पांच सीटों पर 46 फीसदी का रहा है। ऐसे में नतीजे उत्साहित करने वाले इसलिए भी हैं क्योंकि निकाय चुनावों में पार्टी अंडरपरफॉर्मर रही है। साल 2017 के निकाय चुनाव में तो पार्टी को भारी हार का सामने करना पड़ा था। लेकिन इन नतीजों के बाद 2022 के निकाय चुनाव में पार्टी पूरे भरोसे के साथ उतरेगी। हालांकि, आम आदमी पार्टी के लिए एक चेतावनी भरा संकेत भी दिख रहा है, वो है चौहान बांगर सीट के नतीजे।
चौहान बांगर वॉर्ड में कांग्रेस ने बड़ी जीत हासिल की है, यहां पर करीब 70 फीसदी वोट कांग्रेस पार्टी को मिले हैं, वहीं आप को सिर्फ 20 फीसदी वोट ही मिल हैं। फरवरी, 2020 में हिंसा झेल चुके नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में आने वाला चौहान बांगर एक मुस्लिम बहुसंख्यक वॉर्ड है। यहां के नतीजे बता रहे हैं कि मुस्लिम समुदाय में आम आदमी पार्टी की लोकप्रियता में गिरावट हुई है, ये वो समुदाय है जिसने 2020 विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को अपना समर्थन दिया था।
ये दिखाता है कि यहां रहने वाले कई मुस्लिम ये मान रहे हैं कि आप ने हिंसा रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाया है और जो राहत का काम पार्टी आ रही है वो भी बहुत संतोषजनक नहीं है। कुल मिलाकर ये फैसला सीलमपुर से आप विधायक अब्दुल रहमान के लिए है, जो चौहान बांगर से पार्षद रह चुके हैं। वहीं कांग्रेस की बात करें तो चौहान बांगर में सीट तो जीत गई है पार्टी लेकिन दूसरे वॉर्ड में वोट शेयर 15 फीसदी से भी नीचे गिर गए हैं।
भाजपा के लिए ये नतीजे बेहद परेशान करने वाले हैं। पार्टी के लिए सबसे ज्यादा चिंता करने वाली बात ये है कि भाजपा अपने खराब समय में भी 32-35 फीसदी वोट शेयर हासिल कर लेती है लेकिन इन नतीजों में भाजपा का वोट फीसदी गिरकर 27 फीसदी के करीब पहुंच गया है। ये बता रहा है कि दिल्ली के वोटर जो राष्ट्रीय स्तर के चुनाव में भाजपा को वोट देते आते हैं वो स्थानीय स्तर पर और राज्य स्तर पर आम आदमी पार्टी का रुख कर रहे हैं।
ऐसा तब भी हो रहा था जब शीला दीक्षित दिल्ली की मुख्यमंत्री हुआ करती थीं। साल 2015 और साल 2020 के चुनाव में भी ऐसा देखने को मिला है। लेकिन इस बार बात थोड़ी आगे बढ़ गई है, ऐसा दिख रहा है कि भाजपा के वो वोटर जो स्थानीय स्तर पर तय नहीं कर पाते थे वो भी अब बिना अरविंद केजरीवाल का चेहरा देखे ही आम आदमी पार्टी को वोट करने लगे हैं।