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नेट्रॉन झील, जिसका पानी छूने का मतलब है हमेशा के लिए पत्थर में तब्दील हो जाना

Information Anupam Kumari 17 February 2021
नेट्रॉन झील, जिसका पानी छूने का मतलब है हमेशा के लिए पत्थर में तब्दील हो जाना

इस दुनिया में रहस्यमयी जगहों की कोई कमी नहीं है। ऐसे-ऐसे रहस्य छिपे हुए हैं, जिन्हें जानकर हर कोई हैरान रह जाता है। इसी तरह का एक रहस्य तंजानिया की नेट्रॉन झील में छुपा हुआ है। यह झील बहुत ही खूबसूरत है। इसे देख कर आप को सुकून मिलेगा।

फिर भी इसमें एक बहुत बड़ा रहस्य छिपा हुआ है। इस रहस्य के बारे में एक बात खूब फैली हुई है। कहा जाता है कि इस झील के पानी को छूने वाला पत्थर बन जाता है। जी हां, यहां पर आपको बहुत से जानवरों की मूर्तियां मिल जाएंगी। पक्षियों की पत्थर की मूर्तियां दिखेंगी। पंख इनके पत्थर के हैं।

पलायन कर गए बाशिंदे

ये कमाल की जगह है। वैसी जगहों में से एक है, जिनका रहस्य विज्ञान भी आज तक सुलझा नहीं पाया है। इस झील से यहां के लोग बहुत डर गए। धीरे-धीरे उन्होंने यहां से पलायन करना शुरू कर दिया। यहां से बहुत दूर चले गए। इस झील के पास कोई भी ज्यादा देर नहीं रुकता है। कहा जाता है कि ज्यादा देर रुकने से यहां पर कोई भी पत्थर बन जाता है। उसके बाद हमेशा के लिए यहीं रह जाता है।

रासायनिक पानी के कारण

कुछ लोग कहते हैं कि नेट्रॉन झील को श्राप लगा हुआ है। इस पर यकीन करना बहुत मुश्किल है। रासायनिक पानी की वजह से ऐसा होता है। इस झील के आसपास का इलाका पूरी तरह से वीरान नजर आता है। न जाने कितने जानवरों और पक्षियों की मूर्तियां आसपास दिखती हैं। इसे देखकर लगता है जैसे किसी जादुई जगह पर पहुंच गए हैं।

अल्केलाइन और अमोनिया की मात्रा एक समान है

नेट्रॉन झील वास्तव में एक अल्कलाइन झील है। जी हां, सोडियम कार्बोनेट की मात्रा पानी में यहां बहुत मात्रा में मौजूद है। अल्केलाइन की मात्रा और अमोनिया की मात्रा यहां के पानी में लगभग एक समान है। इजिप्ट में लोग ममी को सुरक्षित रखने के लिए कुछ ऐसा ही करते हैं। इसी वजह से जानवरों और पक्षियों के शरीर यहां जमकर रह जाते हैं। वर्षों तक ये आराम से सुरक्षित रहते हैं।

निक ब्रांड्ट लिखी ये किताब  ‘एक्रोस द रेवज्ड लैंड’

निक ब्रांड्ट नामक एक पर्यावरणविद और वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर हैं। उन्होंने भी इसके रहस्य को पता करने की कोशिश की। वे इस झील के पास गए थे। यहां की उन्होंने बहुत सारी तस्वीरें निकाली। एक किताब भी उन्होंने झील के ऊपर लिखी है। इसका नाम है ‘एक्रोस द रेवज्ड लैंड।’ झील के रहस्य के बारे में उसमें बताया गया है।

फोटोग्राफर भी यहां के नजारे को देखकर हैरान रह गए। वे भी नहीं समझ पाए कि पक्षियों की मौत आखिर हुई किस तरह से। लाइव साइंस में भी इसके बारे में एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई है। यहां के बारे में बहुत से तथ्यों पर से यह रिपोर्ट पर्दा हटाती है।

ज्वालामुखी की राख वाले तत्व

जानवरों और पक्षियों की मूर्तियों को देखकर किसी को भी बहुत हैरानी होती है। इंसानों द्वारा निर्मित पत्थर की आकृति इतनी सटीक तो नहीं हो सकती। पंख तक जानवरों और पक्षियों के पत्थरों से बने हुए दिखते हैं। झील के पानी में एल्काइन का पीएच मान 9 से पीएच 10.5 तक है। जितनी मात्रा में यहां अमोनिया है, उतनी ही मात्रा में अलकाइन भी मौजूद है। झील का तापमान भी ज्यादातर 60 डिग्री से ऊपर ही रहता है। एक ऐसे तत्व की भी पानी में मौजूदगी है, जो ज्वालामुखी की राख में पाया जाता है।

खतरनाक मिशिगन झील

इसी तरह की एक खतरनाक झील अमेरिका में भी मौजूद है। इसे मिशिगन झील कहते हैं। खूबसूरती के मामले में तो इसका जवाब नहीं। फिर भी अगस्त, 1986 में यहां बड़ी आपदा घटी थी। जानलेवा गैस का बादल यहां छा गया था। आसपास रहने वाले बहुत से जीव मर गए थे। यहां तक कि 1746 लोगों की जान चली गई थी।

वैज्ञानिकों ने इसके रहस्य से पर्दा उठाया था। दरअसल झील के तल में एक ज्वालामुखी मौजूद है। यहां से कार्बन डाइऑक्साइड निकला था और यह पानी में मिल गया था। इससे इसका स्तर बढ़ गया। बदल के रूप में चारों ओर यह फैल गया। इस वजह से इतनी बड़ी संख्या में जीवों और लोगों की जान चली गई।

कांगो का झील

अफ्रीकी देश कांगो में भी एक खतरनाक झील है। इसे कीतू झील कहते हैं। विस्फोटक झील भी इसका नाम है। कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन इसके पानी में मौजूद हैं। थोड़ा भी भूकंप आने पर यह और विस्फोटक हो सकता है।

 

Anupam Kumari

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मेरी कलम ही मेरी पहचान