लोकसभा चुनाव 2019 कई तरीके से बड़ा मजेदार रहा| क्योकि इसमें कई सारे नए चेहरे नेतृत्व करते दिखाई दिए| इस बार घरवालों को घर में ही बिठाकर उन्होंने कहा की हम जायेंगे चुनाव लड़ने और सीटें लेकर आयेंगे| कैरियर का शुरुआती दौर था और नया-नया जोश, लेकिन ये काम नहीं आया| बुरी तरह हारकर इनको परिजनों की शरण में आना पड़ा| मोदी-शाह ने इन नये लड़को को ऐसे परेशान किया कि इनके माँ-बाप को दोबारा मैदान में आना पड़ा| राहुल गाँधी से लेके अखिलेश यादव तक सबने बोल दिया , मम्मी – पापा हमसे ना हो पायेगा |
राहुल गाँधी
जब आपने ये लेख पढ़ना शुरू किया होगा तो आपको लगा होगा कि यहाँ राहुल गाँधी की बात तो आएगी ही| आप बिलकुल सही हैं यहाँ राहुल गाँधी की बात की जाएगी|
इस लोकसभा चुनाव में राहुल गाँधी ने खूब मेहनत करने की कोशिश की, यहाँ तक कि पायजामा छोड़कर लुंगी में आ गए और मंदिर-मंदिर घूमे। लेकिन अफ़सोस आशीर्वाद ना मिला और कांग्रेस पार्टी बुरी तरह से हारी। आलम ये हुआ कि अध्यक्ष पद तक छोड़ना पड़ा। आख़िरकार कांग्रेस को राहुल समेत सोनिया माँ की शरण में जाना पड़ा।
मोदी-शाह की जोड़ी ने कांग्रेस को इस तरह से पछाड़ा कि सोनिया गाँधी को दोबारा मैदान में आना पड़ा| ये वही वाली बात हो गई कि मोहल्ले का कोई बड़ा लड़का जब छोटे को कुछ कह देता है तो वो मम्मी को बुला लाता है| लेकिन कांग्रेस का ऐसा हुआ कि राजनीति छोड़ने की उम्र में सोनिया को फिर से इसमें आकर अध्यक्ष जैसा बड़ा और व्यस्तता वाला पद संभालना पड़ा|
अखिलेश यादव
ये भाई साहब कहते हैं कि ये इंजीनियर है तो प्रयोग कर लिया, लेकिन इन्होने असल में इंजीनियरिंग की होती तो ऐसा प्रयोग नही करते|
क्योकि इंजीनियरिंग का लड़का अगर अपना असाइनमेंट नहीं कर पा रहा है तो ये दूसरे का भी सबमिट नहीं होने देता। लेकिन इन्होने मायावती का असाइनमेंट सबमिट करवा दिया और खुद बैक ले बैठे।
पार्टी को ऐसी बुरी हार मिली की मुलायम सिंह का सन्यास लेने से विचार ही हट गया| मुलायम ने लोकसभा चुनावों के बाद एक के बाद ताबड़तोड़ बैठकें की| मतलब बूढ़ा बीमार बाप अब बेटे की नाकामी के चलते फिर से मैदान में आया| अब ये मत पूछिएगा की ये किसकी वजह से हुआ है|
तेजस्वी यादव
कहते हैं कि ये राजनेता नहीं होते तो एक अच्छे बैट्समैन होते| सही है बैट्समैन होते तो कम से कम अब तक रिटायर हो जाते और बेइज्जती ज्यादा नहीं होती| लालू के जेल जाने के बाद तेजस्वी ना तो घर संभाल संभाल पायें और ना ही पार्टी|
घर में भाई ने बगावत की और पार्टी का हाल ऐसा हुआ की अपने गढ़ बिहार में भी हार गए। जिस बिहार में लालू ने राज किया उस बिहार में बेटे के दमपर एक भी सीट नहीं आई। आलम ये हुआ कि लालू यादव को चिट्ठी लिखकर ये अपील करनी पड़ी कि राजद को वोट करें।
घर और पार्टी में चल रही फूट के चलते अब तेजस्वी बुरी तरह से निराश है और पूरी तरह से गायब है| आलम ये हुआ कि खुद को बिहार का भविष्य कहने वाले तेजस्वी उस समय गायब रहे जब बिहार में चमकी का प्रकोप था|
एचडी कुमारस्वामी
इनके बारे में क्या ही कहें, पिताजी रहे इनके प्रधानमंत्री और बेटे को बनवाया मुख्यमंत्री लेकिन उस कुर्सी को भी ये नहीं बचा पाए|
कुमारस्वामी इतना परेशान हुए कि सदन तक में आँखों से आंसू निकल आये। कुर्सी गँवानी पड़ी वो अलग और बीजेपी ने वहां अपनी सरकार बना ली।
हाल ऐसा हुआ कि अब देवगौड़ा को सामने आकर बयान देना पड़ रहा है और पार्टी में अपनी सक्रियता बतानी पड़ रही है|
हालांकि इन सब में और भी कई बातें जिम्मेदार हैं, किन्तु लोगों ने राजनीति और पार्टी को अपनी पारिवारिक विरासत समझने वाले इन स्वघोषित नेताओं को जनता ने बता दिया कि बस अब बहुत हो गया पारिवारिक प्रपंच और नए युग का ड्रामा ।
लेकिन…… अब ये लोग माने तब ना 🙁