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जब एक निर्दलीय प्रत्याशी के सामने जब्त हो गई थी वाजपेयी की जमानत

Politics Tadka Sandeep 20 April 2019
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देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी हमारे बीच नहीं हैं. उनकी पहचान देश के कद्दावर नेताओं में होती थी. वो वाजपेयी का ही करिश्माई व्यक्तित्व था जिसने भाजपा को 02 सीटों से ले जाकर राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस के विकल्प के तौर पर खड़ा किया था और पांच सालां तक प्रथम गैर कांग्रेसी सरकार चलाने का गौरव हासिल हुआ. एक दौर वह भी हुआ जब अटल बिहारी वाजपेयी की लोकसभा चुनाव में एक निर्दलीय प्रत्याशी के सामने जमानत जब्त हो गई थी.

1957 का लोकसभा चुनाव

देश का लोकतंत्र अंगड़ाई ले रहा था. 1957 में वाजपेयी जनसंघ के टिकट पर एक साथ दो सीटों पर चुनाव लड़ रहे थें. मथुरा और बलरामपुर. उस समय भी वाजपेयी के पहचान उभरते हुए नेता के तौर पर बन रही थी. सबको लगता था कि वाजपेयी चुनाव जीत जाएंगे. कांग्रेस को भी ऐसा ही अनुमान था लेकिन जब नतीजे आएं तो न सिर्फ जनसंघ बल्कि तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु भी भौंचक रह गए थें. वाजपेयी मथुरा लोकसभा सीट से न सिर्फ चुनाव हारें बल्कि एक निर्दलीय प्रत्याशी महेंद्र प्रताप सिंह के हाथों उनकी जमानत भी जब्त हो गई.

वाजपेयी को मिले मात्र 23 हजार वोट

इस लोकसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी राजा महेंद्र प्रताप सिंह को जीत मिली जबकि कांग्रेस के दिगंबर सिंह को पराजय का सामना करना पड़ा. इस सीट पर कुल 2 लाख 34 हजार 19 वोट पड़े थें जिनमें से वाजपेयी को सिर्फ 23 हजार 620 वोट हासिल हुए. वाजपेयी इस चुनाव में चौथे नंबर के प्रत्याशी बन कर रह गए.

किसी तरह कांग्रेस को हराना था

लोग बताते हैं कि वाजपेयी स्वयं चाहते थें कि इस सीट पर उनकी जमानत जब्त हो जाए क्योंकि वो किसी भी तरह से इस सीट से कांग्रेस को हारता हुआ देखना चाहते थें. वाजपेयी ने जब यह देखा कि वो इस चुनाव में वोटकटवा की भूमिका में आ गए हैं और उनकी वजह से कांग्रेस प्रत्याशी की जीत हो सकती है तो उन्होंने अपने करीबी नेताओं से जनता के बीच यह संदेश भिजवाया कि मुझे छोड़ो, राजा महेंद्र प्रताप को ही वोट दिलवाओ. यहां कांग्रेस को वही हरा सकते हैं. हालांकि अगले लोकसभा चुनाव यानी 1962 में इस सीट पर पुनः कांग्रेसी उम्मीदवार दिगंबर सिंह ही चुनाव जीत गए.

यह जानना और भी दिलचस्प है कि जिन दिगंबर सिंह को वाजपेयी हमेशा हारता हुआ देखना चाहते थें, उन्होंने मथुरा लोकसभा सीट से सर्वाधिक बार चुनाव जीतने का रिकॉर्ड बना दिया.