देश में बढ़ती मंदी का संकट लगातार गहराता जा रहा है, आए दिने हजारों की तादाद में लोगों की नौकरियां जा रही है। देश के अलग अलग क्षेत्रों में एक बड़ी आबादी का रोजगार छिन रहा है, लेकिन मौजूदी मोदी सरकार और वित्त मंत्री निर्मला जी इसे सिर्फ अफवाह कह कर अपना पल्ला छुड़ा रही है।
20 अगस्त 2019 को देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कहती है कि आर्थिक मंदी की अफवाह फैलाना अर्थव्यवस्था को चौपट करने की साजिश है। जून 2019 के बाद आर्थिक गतिविधियों से ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था में मंदी और बढ़ रही है। ये कहना है कि भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर का, इसके अलावा विश्व की सबसे बड़ी ताकत अमेरिका के राष्ट्रपति भी इसमें कूद गए हैं और वो कहते हैं कुछ लोग मंदी की बात इसलिए कर रहे हैं क्योंकि वो मंदी देखने को बेताब हैं।
अगस्त 2019 में ट्रंप का बयान आना कि अमेरिकी व्यवस्था मंदी में नहीं है और कुछ लोग मंदी की बात इसलिए कर रहे हैं क्योंकि वो मंदी देखने को बेताब हैं। तो दूसरा बयान विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण का है, जिसमें वो कहती हैं कि देश में आर्थिक मंदी की अफवाह फैलाना अर्थव्यवस्था को चौपट करने कि साजिश है बल्कि राजनीतिक अस्थिरता उत्पन्न करने की एक कुटिल चाल भी है।
ट्रंप 18 अगस्त को कहते हैं कि अमेरीकी इकॉनमी अच्छी है लेकिन 19 अगस्त को कहते हैं कि अमेरीका फेडरल रिजर्व यानी की अमेरीका के सेंट्रल बैंक को संकट के दौरान चलाए जाने वाले मनी-प्रींटिंग कार्यक्रम की तरफ लौटना चाहिए। ब्याज कम नहीं करने पर ट्रंप ने फेडरल रिजर्व बैंक के प्रमुख जेरोम पॉवेल की आलोचना की है और एक ट्वीट में क्लूसेस की संज्ञा दी है। 2.1 प्रतिशत की गति से बढ़ रही अमरीकी अर्थव्यवस्था बीती तिमाही में कम हुई थी। वहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बयान तो ट्रंप के बयान से भी ज्यादा हास्यस्पद लगा है।
नेशनल सेंपल सर्वे (एनएसएसओ) की रिपोर्ट कहती है कि भारत में बेरोजगारी पिछले 45 सालों में सबसे अधिक है। रिजर्व बैंक के गवर्नर ने खुद कह दिया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था अपनी रफ्तार खो रही है। 7 अगस्त 2019 की मौद्रिक नीति समिति की बैठक में रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा है कि जून 2019 के बाद आर्थिक गतिविधियों से ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था में मंदी और बढ़ रही है। तो ऐसे में जब वित्त मंत्री कहती है कि ये अफवाह है तो इसका मतलब तो साफ है कि आरबीआई के गवर्नर ही ये अफवाह फैला रहे हैं और केंद्रीय बैंक ही अर्थव्यवस्था को चौपट करना चाहते हैं, तो फिर तो सबसे बड़े साजिशकर्ता तो सरकारी बैंक ही हुआ।
मंदी
कृषि क्षेत्र के बाद सबसे ज्यादा रोजगार मुहैया कराने वाले टेक्सटाइल सेक्टर की इस वक्त कमर टूट गई है, नॉर्दन इंडिया टेक्सटाइल मिल्स एसोसिएशन के मुताबिक भारतीय कपड़ा उद्योग सबसे बड़े संकट से गुजर रहा है। केंद्रीय और राज्य जीएसटी और दूसरे टैक्सों की वजह से भारतीय धागा इंटरनेशनल मार्केट में बिकने के लायक ही नहीं रह गया है। अप्रैल से जून की तिमाही में कॉटन धागा के निर्यात में 34.6 प्रतिशत की कमी हुई है। जून महीने में तो इसमें 50 प्रतिशत तक गिरावट आ चुकी है जिसके कारण कपड़ों के लिए धागा तैयार करने वाली एक तिहाई मिलें बंद हो गई हैं।
इस मंदी से किसानों पर भी खतरा मंडरा रहा है, क्योंकि धागा तैयार करने वाली मिलों के पास कपास खरीदने के लिए भी पैसे नहीं हैं। नॉर्दन इंडिया टेक्सटाइल मिल्स एसोसिएशन ने 20 अगस्त, 2019 को अखबार में भी एक विज्ञापन दिया था जिसमें बताया कि उनके व्यापार में 34.6 प्रतिशत की गिरावट आई है। टेक्सटाइल एसोसिएशन ने कहा है कि इसके कारण 25-50 लाख नौकरियां जाने की संभावना है।
हमारे वजीर-ए-आजम ने 7 फरवरी 2019 को संसद में अपनी सरकार का बचाव करते हुए कहा था कि अकेले परिवहन सेक्टर में एक करोड़ 25 लाख लोगों को रोजगार के नए अवसर मिले हैं। चार साल में 36 लाख ट्रक या व्यापारिक वाहन बिके हैं। डेढ़ करोड़ यात्री वाहन और 27 लाख से ज्यादा ऑटो की बिक्री हुई है। लेकिन फेडरेशन ऑफ आटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष आशीश हर्षराज काले का कहना है कि बिक्री में गिरावट की वजह से डीलरों के पास मजदूरों की छंटनी करने का ही विकल्प बचा है। अप्रैल तक 271 शहरों में 286 शोरूम बंद हुए हैं, जिसकी वजह से 32,000 लोगों की नौकरी गई है।
वाहन विनिर्माताओं के संगठन सियाम के आंकड़ों के अनुसार अप्रैल से जून के बीच में वाहनों की बिक्री 12.35 प्रतिशत गिरी है। बिक्री नहीं होने के कारण टीवीएस ने दो दिन, हीरो मोटोकॉर्प चार दिन और वॉश लिमिटेड, टाटा मोटर्स और महिन्द्रा एंड महिन्द्रा कम्पनी भी मांग और उत्पादन में सामंजस्य बिठाने के लिए कुछ दिनों के लिए बंद करने की घोषणा कर चुके हैं। जुलाई 2018 से जुलाई 2019 में वाहन के बिक्री में आई कमी इस प्रकार है
मारूति 36.29
हुंडई 10.28
टाटा 38.61
महिन्द्रा 14.91
होंडा 48.67
टोयटा 23.79
टीवीएस 15.72
सुजुकी 16.96
बजाज 15.12
अशोक लिलेंड 28.89
इसके कारण करीब 10 लाख लोगों का रोजगार जा चुका है। यही कारण है कि ऑटो सेक्टर की टॉप कम्पनी ‘बजाज’ के चेयरमैन राहुल बजाज शेयरधारकों की सालाना आम बैठक में कहते हैं कि मुश्किल हालात से गुजर रहे ऑटो सेक्टर के लिए क्या विकास आसमान से गिरेगा? सरकार कहे या न कहे लेकिन आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक के आंकड़े बताते हैं कि पिछले तीन-चार सालों में विकास में कमी आई है।
केन्द्र और राज्य सरकार को करोड़ों का राजस्व देने वाला लौह उद्योग आर्थिक मंदी को लेकर डरा है। लौह उद्योग का उत्पादन पिछले एक दशक की तुलना में सबसे अधिक निचले स्तर पर आ गया है। गिरडीह की हर टीएमटी फैक्ट्री में जहां हर रोज 300 से 350 टन का उत्पादन हुआ करता था। वो अब महज 100 से 150 टन तक ही रह गया है। इसी तरह के हालात रियल एस्टेट सेक्टर में भी हो गए है जहां पर 14 लाख से ज्यादा मकान बनकर तैयार तो हैं लेकिन उन्हें खरीदने के लिए कोई ख़रीदार नहीं है।
वहीं भारत की सबसे बड़ी बिस्किट कंपनी पारले के कैटेगरी हेड मयंक शाह ने कहा है कि जीएसटी लागू होने के बाद से पारले जी बिस्किट की बिक्री में कमी आई है। टैक्स बढ़ने के कारण पारले को हर पैकेट में बिस्किटों की संख्या कम करनी पड़ रही है, जिसकी वजह से ग्रामीण भारत के निम्न आय वाले ग्राहकों की मांग पर असर पड़ रहा है। इसके कारण कंपनी के सबसे ज्यादा बिकने वाले 5 रुपये के बिस्किट पर असर पड़ा है। बिस्किट की बिक्री में कटौती होने का सीधा मतलब है कि कंपनी को अपने उत्पादन में कटौती करनी पड़ेगी, जिसके कारण उसे 8 से 10 हजार लोगों को नौकरी से निकालना पड़ेगा।
मंदी की वजह से बड़े बड़े उद्योगपतियों को करनी पड़ी आत्महत्याएं
अर्थव्यवस्था की हालत यहां तक पहुंच गई है कि 2500 करोड़ के सलाना कारोबार करने वाले कैफे कॉफी डे के मालिक वीजी सिद्धार्थ को अत्महत्या करनी पड़ गई, जिसका व्यापार विदेशों में भी फैला हुआ था, वो मंदी के कारण आत्महत्या कर रहा है। इतना ही नहीं जमशेदपुर में बीजेपी आईटी सेल के प्रभारी कुमार विश्वजीत के 25 साल के बेटे आशीष कुमार को भी नौकरी जाने का इतना डर था कि उसने भी आत्महत्या कर ली।
देहरादून के प्रेमनगर क्षेत्र के धूलकोट में 2 अगस्त को पिज्जा की दुकान चलाने वाले कारोबारी ने आत्महत्या कर ली जिसका कारण व्यापार में घाटा होना बताया गया है। कर्ज से परेशान क्रिकेटर वी बी चन्द्रषेखर ने आत्महत्या कर ली। कर्नाटक के 36 साल के व्यापारी ओम प्रकाश ने परिवार के पांच लोगों के साथ आत्महत्या कर ली। ट्रक कि किश्तें नहीं चुका पाने के कारण हरियाणा के रहने वाले 34 साल के दलजीत सिंह ने अपने घर में आत्महत्या कर ली। ये लिस्ट लगातार बढ़ती जा रही है और हमारी मंत्री कहती है कि ये सब अफवाहें है।
मंत्री जी आप सरकार को आईना दिखाने वाले लोगों पर ही तोहमत लगा रही हैं, आर्थिक मंदी की बात करने वाले अर्थव्यवस्था को चौपट करने की साजिश कर रहे हैं जबकि सरकार ने लोकसभा मे जानकारी दी है कि देश में 6.8 लाख से अधिक कम्पनियां बंद हो गई हैं। कम्पनियां बंद होना मंदी की निशानी नहीं है, क्या ये अर्थव्यवस्था चौपट होना नहीं है? जहां पहले नौकरियां जाना समाचार का हिस्सा होता था वहीं आपकी सरकार में ये विज्ञापन तक पहुंच गया है। निर्मला सीतारमण जी आप तो वास्तविकता को जानती हैं लेकिन आप मुंह फेर लेना चाहती हैं ताकि ये समय निकल जाये। लेकिन आप चाहें जितना मर्जी इस मुद्दे से मुंह फेर लें, या फिर आपकी सरकार, मीडिया और आईटी सेल अर्थव्यवस्था के मुद्दे से लोगों का ध्यान हटाकर राष्ट्रवाद और हिंदूत्व पर ले जाए, लेकिन इस सच्चाई से आप ज्यादा दूर तक भाग नहीं पाएंगी। एक न एक दिन तो इसका सामना करना ही होगा, बेहतर है कि अभी कर लें, नहीं तो कहीं आपके लिए ये कहावत न कहनी पड़े की अब पछताए होत क्या जब चिढिया चुग गई खेत।