Headline

सियाचिन ग्लेशियर को लेकर अक्सर चर्चा होती रहती है। एक ओर भारत की सेना तो दूसरी ओर पाकिस्तान की सेना यहां हमेशा आंख गड़ाए बैठी हुई नजर आ जाती है।

TaazaTadka

अब एंटी सीएए प्रोटेस्टर्स विवाद हिंदू बनाम मुसलमान बन गया है

कानून के खिलाफ सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे एंटी सीएए प्रोटेस्टर्स के सामने वे लोग आये जो सरकार के इस कानून के समर्थक थे आमने सामने आने के बाद हालत बेकाबू हुए
Politics Tadka Taranjeet 26 February 2020

विश्व के सबसे बड़े देश के मुखिया हमारे देश आते हैं और उनके स्वागत में राजधानी दिल्ली जगमगाती है। जी हां दिल्ली जलने लगती है, ये जगमगाहट दीयों की नहीं थी। बल्कि उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई आगजनी थी, महीनों से सीएए को लेकर दिल्ली में विरोध हो रहा है लेकिन अचानक से सीएए समर्थक भी सड़कों पर आ जाते हैं और वो विरोध करने वाले गुट से भिड़ जाते हैं। इन दोनों गुटों ने शुरुआत तो प्रदर्शन से की थी, लेकिन अब ये प्रदर्शन नहीं बल्कि दंगों में तब्दील हो गया है।

कैसे शुरु हुआ विवाद

विवाद की शुरुआत उस वक़्त हुई जब पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद में कानून के खिलाफ सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे एंटी सीएए प्रोटेस्टर्स के सामने वो लोग आए जो सरकार के इस कानून का समर्थन कर रहे थे। दोनों ही पक्षों के आमने सामने आने के बाद हालत बेकाबू हुए और टकराव की स्थिति बनी, जैसे जैसे समय बीता नारेबाजी ने उग्र रूप ले लिया और इसका नतीजा ये हुआ कि दोनों ही पक्षों ने एक दूसरे पर पथराव करना शुरु कर दिया और ये सब पुलिस के सामने हो रहा था। फिर अचानक से गोली चली, एक पुलिस जवान शहीद हुआ और कुछ लोगों की भी जान गई। जिसके बाद तो मानो पूर्वी दिल्ली में एक अलगही रूप दिखा। पथराव, आगजनी, लूटपाट, घरों, दुकानों, गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया। दिल्ली के मौजपुर, जाफराबाद, सीलमपुर, गौतमपुरी, भजनपुरा, चांद बाग, मुस्तफाबाद, वजीराबाद और शिव विहार जैसे हिस्सों में मचे बवाल में दिल्ली पुलिस के हेड कॉन्स्टेबल समेत कई आम लोगों की मौत हो गई है। वहीं सैंकड़ों की संख्या में लोग घायल भी हुए हैं। हिंसा के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत सभी पार्टियों के प्रतिनिधियों की एक बैठक बुलाई और इसमें इस बात पर जोर दिया गया कि कोई भी नेता भड़काऊ बयान न दें।

पूर्वी दिल्ली के मौजपुर, जाफराबाद, सीलमपुर, गौतमपुरी, भजनपुरा, चांद बाग, मुस्तफाबाद, वजीराबाद और शिव विहार में पहले भी कई बार नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में प्रदर्शन हुए हैं, लेकिन ये इतने उग्र नहीं हुए। वहीं महीनों से शाहीन बाग का प्रदर्शन भी आपके सामने ही है, जो शांतिपूर्ण तरीके से हो रहा है हालांकि इस प्रदर्शन से लोगों को तकलीफ जरूर हो रही है, क्योंकि सड़कें बंद है। इससे पहले टकराव हुआ है लेकिन वो पुलिस और एंटी सीएए गुट के बीच में होता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है। हालात बदल गए हैं और जैसे स्थिति खराब हो रही है उसमें आम नागरिक शामिल हो गए और ये उग्र हो गया। जिसको देखते हुए हम ये कह सकते हैं कि ये अब प्रदर्शन नहीं बल्कि सांप्रदायिक दंगा बन गया है।

केजरीवाल से लेकर कपिल मिश्रा, वारिस पठान तक को माना जा रहा है जिम्मेदार

आरोप प्रत्यारोपों के बीच में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को कुछ लोग जिम्मेदार मान रहे हैं, तो वहीं एक गुट है जो भाजपा और खासकर कपिल मिश्रा को इसका जिम्मेदार मान रहा है। कपिल मिश्रा ने पुलिस की मौजूदगी में न सिर्फ उग्र भाषण दिया बल्कि ये तक कहा कि अगर पुलिस शाहीनबाग और जाफराबाद में बंद सड़कों को नहीं खोलती हैं तो फिर हमें सड़कों पर आना पड़ेगा। अब ये महज इत्तेफाक है या फिर सोची समझी साजिश कि उस बयान के अगले दिन से ही जाफराबाद में हिंसा शुरु हो गई है। इसके अलावा कुछ लोगों ने इस हिंसा के लिए वारिस पठान के बयान को भी जिम्मेदार बताया है। जिसमें उन्होंने कहा था कि 15 करोड़ मुसलमान 100 करोड़ पर भारी पड़ेंगे।

इस हिंसक रूप के पीछे हम सोशल मीडियो को भी मान सकते हैं, क्योंकि लगातार लंबे वक्त से ये प्रदर्शन सांप्रदायिक रूप ले रहा था और सोशल मीडिया पर अलग अलग लोगों के द्वारा जहर घोला जा रहा था। कई बार इस प्रोटेस्ट को हिंदू मुसलमान का नजरिया दिया जा रहा था। जो अब पूरे रूप से बनते हुए देखा जा रहा है। ये देखना अपने आप में दुर्भाग्यपूर्ण है कि सोशल मीडिया पर एक अलग ही तरह का एजेंडा चलाया जा रहा है और अपनी सुविधा के हिसाब से इस हिंसा को परिभाषित किया जा रहा है, जिसका नतीजा ये निकल रहा है कि हिंसा की ये आग बढ़ती जा रही है।

Taranjeet

Taranjeet

A writer, poet, artist, anchor and journalist.