कोरोना महामारी को दुनिया भर में फैले हुए 4 महीने से ज्यादा का वक्त हो गया है, लेकिन जो हाल भारत ने इस कोरोना का किया है वो किसी और देश ने कभी सोचा भी नहीं होगा। कोरोना से लड़ने के लिए भारत की जनता ने क्या कुछ नहीं किया और लगातार कर भी रहे हैं। एक हिंदूवादी संगठन ने तो गौ मूत्र पार्टी तक कर ली, हालांकि उससे एक इंसान बीमार भी हो गया था। लेकिन उससे क्या फर्क पड़ता है? हो सकता है उस आदमी का पहले से ही पेट खराब रहा हो, और दोष दे रहा है गऊ माता को।
कमी प्रधानमंत्री पूरी कर देते हैं
ऐसा ही कुछ उत्तराखंड के काशीपुर में भी दिखा, वहां पर लोगों ने घरों के आगे हल्दी वाले हाथ के छाप लगाए और कोरोना को भगाने की कोशिश की। और जो कसर बची थी वो हमारे प्रधानमंत्री पूरी कर रहे हैं। कोरोना से लड़ाई में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी ने समय समय पर ऐसे काम करने की अपील की है, जिससे कोरोना का अंत निश्चित ही है।
मोदीजी ने कहा कि 5 अप्रैल रात 9 बजे 9 मिनट के लिए घरों की लाइट बन्द कर के 130 करोड़ भारतीय टॉर्च, मोमबत्ती और दिये जलाएं ताकि कोरोना के अंधेरे से हम रौशनी कर के लड़ सकें। कितना अच्छा कदम है, सराहनीय है, अद्भुत है। कोरोना इस अंधेरे से डर कर भाग जाएगा और भारत दुनिया भर में एक मिसाल बन जाएगा। इसी बीच देश के करोड़ों बेघर लोग ये सोच कर खुश हुए हैं कि अब सारा देश उनका जीवन जी कर महसूस करेगा, 9 मिनट के लिए ही सही। वैसे ताजा संबोधन में मोदीजी ने गरीबों की मदद करने की भी बात की है।
जनता कर्फ्यू में भी सोशल डिस्टेन्सिंग का मजाक उड़ा था
इससे पहले भी मोदीजी ने जनता कर्फ्यू की अपील की थी, और ये भी अपील की थी कि लोग ताली-थाली बजा कर उन लोगों का धन्यवाद करें जो कोरोना से लड़ने के लिए काम कर रहे हैं। दरअसल बात ये है कि मोदीजी के समर्थक थोड़े संजीदा किस्म के लोग हैं, वो हर बात को एक कदम आगे ले जाते हैं। इसी जनता कर्फ्यू का माहौल ये था कि 5 बजते ही लोग ऐसे सड़कों पर आ गए जैसे अभी-अभी कोरोना से वर्ल्ड कप जीत लिया हो। सोशल डिस्टेन्सिंग का ऐसा मजाक दुनिया के किसी देश में शायद ही मनाया गया हो। उत्तर प्रदेश के कुछ शहरों में तो लोगों ने रैली तक निकाल दी थी।
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लेकिन कोरोना से कैसे लड़ना है?
पिछली बार की ही तरह मोदीजी ने इस बार भी नहीं बताया कि कोरोना से लड़ने के लिए देश की योजनाएं क्या हैं, क्या स्वास्थ्य कर्मियों को उचित संसाधन मुहैया हो सकेंगी? क्या हमारे पास भरपूर बिस्तर हैं? क्या हॉस्पिटलों में सुविधाएं भरपूर हैं? मोदीजी ने किसी भी चीज का जवाब नहीं दिया, और न किसी ने उनसे सवाल पूछा क्योंकि मोदीजी कह रहे हैं, तो ठीक ही कह रहे होंगे। अपने भाषण में मोदीजी ने लक्ष्मण रेखा पार नहीं करनी है, घर में रहना कोरोना का रामबाण इलाज है जैसी बातें कही हैं, समझ में ये नहीं आता कि कोई प्रधानमंत्री बात कर रहा है, या किसी मंदिर का पुजारी। और दिये जलाने से होगा क्या, इसका भी जवाब मोदीजी ने नहीं दिया। क्योंकि ये करने के लिए उनके परमभक्त मीडिया के अलग-अलग चैनलों पर बैठे जो हैं। अब अगले तीन दिन तक हमें बताया जाएगा कि 9 मिनट तक अंधेरा करने से क्या क्या फायदा होता। ठीक वैसे ही जैसे थाली बजाने से हो रहा था। आपको गृहों से, दीये की रौशनी से जोड़ा जा सकता है और ऐसा कहा जा सकता है कि इससे कोरोना भाग जाएगा।
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डर तो मोदीजी के समर्थकों का है, जो 5 अप्रैल को सही में दिवाली समझ लेंगे और शायद गली-मोहल्लों में पटाखे फोड़ने भी शुरू कर देंगे। उन समर्थकों का क्या करना है, मोदीजी ने ये तो बताया ही नहीं। कोरोना महामारी से देश भर में 2500 से ज्यादा मरीज हैं और हर रोज इसमें 300 से ज्यादा लोग बढ़ रहे हैं। लेकिन हम थाली बजाएंगे, ताली बजाएंगे, दिये जलाएंगे, लेकिन सवाल नहीं पूछेंगे। क्योंकि मोदीजी ने कहा है तो ठीक ही कहा होगा।