सैंकड़ों साल पुराने मामले अयोध्या विवाद पर फैसला आ गया है। ये फैसला देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने दिया है। अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने विवादित 2.77 एकड़ की जमीन पर मंदिर बनाने और उसके कुछ दूर 5 एकड़ की जमीन पर मस्जिद बनाने का फैसला दिया है। हर फैसला हर किसी को खुश नहीं करता है, कोई न कोई तो नाराज होता है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एक अच्छी बात आई कि चाहे लोगों को फैसला संतोषजनक नहीं लगा होगा, लेकिन सभी ने इसे अपनाया और पूरे दिल से स्वीकार किया।
जनता ने रखा संयम
ये सैंकड़ों साल पुराना मुद्दा है, जिस पर कई बार दंगे हुए हैं। कई लोगों ने जानें गंवाई है, इस बार भी माना जा रहा था कि ऐसी स्थिति आ सकती है। लेकिन जनता ने ये साबित कर दिया कि अब वो प्यार मोहब्बत से मामला सुलझाना चाहती है। वो न तो किसी नेता के बहकावे में आ कर उग्र होंगे, न ही किसी न्यूज चैनल पर चिल्लाने वाले एंकर की बात सुनेंगे। फैसला शनिवार को आया, आमतौर पर दूसरे शनिवार को बहुत से लोगों की छुट्टी रहती है और माहौल भी बिलकुल छुट्टी वाला ही दिखा। लोगों ने फैसला स्वीकार किया और एक आम शनिवार की तरह गुजार दिया।
अब जबकि ये फैसला आ गया है और अयोध्या विवाद का हल निकल गया है। वहां पर मंदिर भी बनेगा तो ऐसे में अब आने वाले चुनाव में राम मंदिर के नाम पर सियासत कैसे होगी? क्या मौजूदा सरकार इसका श्रेय लेगी, हालांकि ये निर्णय कोर्ट ने दिया है लेकिन जिसकी सरकार सेहरा भी उसी के सिर बंधेगा क्या? क्या विपक्ष इसका तोड़ निकाल पाएगा? या फिर ये मुद्दा अब खत्म हो गया है? अब इस मुद्दे पर सियासत तो होगी और वो सियासत होगी क्रेडिट लेने की, भारतीय जनता पार्टी का कहना होगा कि उसकी सरकार मंदिर बनाने के वादे को पूरा करेगी। भाजपा ने ही पूरी तरह राम मंदिर का पक्ष हमेशा सामने रखा है। लेकिन वहीं कांग्रेस भी राजीव गांधी के जरिये ये याद कराने की जद्दोजहद में लगेगी कि सबसे पहले ताला उन्हीं के नेता ने खुलवाया था। जिसके बाद से वहां पर पूजा शुरु हुई थी।
सरकार और विपक्ष के झांसे में नहीं आना
सरकार और विपक्ष इस खेल में आपको उलझा सकता है। तो इनके झांसे में नहीं आइएगा, क्योंकि अब आस्था का जो मुद्दा था वो तो हट गया। न कोई कहने वाला मंदिर वहीं बनेगा और न कोई पूछने के लिए रहा कि मंदिर कब बनेगा। मुसलमानों से हमदर्दी और नफरत दोनों ही करने के लिए कोई मुद्दा नहीं बचा है। ऐसे में अब जब ये आपके पास वोट मांगने के लिए आएंगे तो आप इनसे मंदिर के बारे में नहीं पूछोगे, अब आप पूछोगे कि अस्पताल कितने बनाएं, स्कूल कितने खूले, कॉलेज कितने बने?
मंदिर तो बन जाएगा लेकिन अब नेताओं को आपके सवालों का जवाब देना पड़ेगा और असल विकास के मुद्दों पर राजनीति करनी पड़ेगी। क्योंकि आस्था, हिंदूत्व, कमजोर मुसलमान के नाम पर राजनीति करने वाली सरकार और विपक्ष दोनों का सियासी मुद्दा खत्म हो गया है। तो अब बात होगी विकास की, जो सिर्फ मेनिफेस्टो में ही नजर आ रहा था। अब आप इनसे पूछ सकोगे की अर्थव्यवस्था का क्या हुआ, 5 ट्रिलियन कब होगा, बुलेट कब चलेगी, काला धन कब वापिस आएगा, हम विश्व की सबसे बड़ी ताकत कब बनेंगे?
अबकी बार सिर्फ विकास वाली सरकार
हां आने वाले कुछ चुनावों में तो अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का असर दिखेगा, लेकिन ज्यादा वक्त तक नहीं। क्योंकि जनता समझदार है, उसे पता है कि कब सरकार अपने फायदे के लिए क्या करती है। तो अब जब चुनाव हो और आपका प्रत्याशी राम के नाम पर या बाबर के नाम पर वोट मांगने आए तो उसे वहीं से भगा देना, क्योंकि इसका मतलब उसका विकास की तरफ ध्यान देने का कोई मन नहीं है। वो अपने स्वार्थ के लिए आया है। अब आने वाले कल में राजनीति मुद्दों पर ही होने वाली है। क्योंकि एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा हट गया है, अब मंदिर मस्जिद की जंग खत्म हो गई है और बात सिर्फ विकास की होनी चाहिए।