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बुजुर्गों को मनाने की कोशिश में शाह, आडवाणी और जोशी से मिले

बीजेपी की तरफ से वरिष्ठ नेताओं के टिकट काटने के बाद से एक आक्रोश का सामना करना पड़ रहा था। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह अब इसी डैमेज कंट्रोल में लगे हैं। बीजेपी ने पहले लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी की टिकट काट दी थी। जिसके बाद दोनों नेताओं ने कलम से अपना दर्द बयां किया था। जहां मपरली मनोहर जोशी ने कानपुर की जनता को खत लिखा था, तो वहीं आडवाणी ने भी एक ब्लॉग लिखा है।

आडवाणी और जोशी को मनाने की कोशिश

इतना सब होने के बाद बीजेपी अध्यक्ष को अहसास हुआ कि शायद ये कदम पार्टी की तरफ से गलत लिए गए हैं, क्योंकि आडवाणी और जोशी पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेता रहे हैं और बीजेपी को खड़ा करने में इन दोनों नेताओं का बहुत अहम योगदान रहा है। जिस कारण पार्टी का पुराना वोटबैंक काफी नाराज चल रहा है। सोमवार को पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की तरफ से लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को मनाने की कोशिश की गई है और इन दोनों नेताओं से राजधानी दिल्ली में उनके घरों पर मुलाकात की गई है। अमित शाह की उनसे मुलाकात करना राजनीतिक घटनाक्रम के मद्देनजर काफी महत्व रखता है।

घोषणापत्र से गायब दोनों नेता

जहां एक तरफ दोनों नेताओं को आने वाले लोकसभा चुनाव में टिकच नहीं दी गई है तो वहीं बीजेपी के घोषणापत्र के कार्यक्रम में भी ये दोनों नेता अनुपस्थित रहे थे। साथ ही दोनों की तस्वीरें भी घोषणा पत्र से गायब रही है। आपको बता दें कि पार्टी अध्यक्ष अमित शाह इस बार गांधीनगर से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। ये सीट हमेशा से लाल कृष्ण आडवाणी की रही है, वो 6 बार से यहां पर सांसद रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ मुरली मनोहर जोशी की जगह पर कानपुर से सत्यदेव पचौरी चुनाव लड़ रहे हैं।

शाह ने आडवाणी से मुलाकात ऐसे वक्त में की है, जब उन्होंने एक ब्लॉग में लिखा कि बीजेपी ने अपने राजनीतिक विरोधियों को कभी भी दुश्मन या देश विरोधी नहीं माना है। उन्होंने लिखा कि भारतीय लोकतंत्र विविधता और अभिव्यक्ति की आजादी का सम्मान करता है। स्थापना के समय से ही बीजेपी ने राजनीतिक असहमति रखने वालों को कभी भी अपना शत्रु नहीं माना है, बल्कि उन्हें सिर्फ अपना प्रतिद्वंद्वी माना है। इसी बात को आगे बढ़ाते हुए आडवाणी ने कहा कि इसी तरह से हमारी अवधारणा में उन लोगों को राष्ट्र-विरोधी नहीं माना है, जो हमसे राजनीतिक रूप से असहमत थे।