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सिर्फ एक गलती और खत्म हो गई राजीव गांधी अमिताभ बच्चन की दोस्ती !

Politics Tadka Sandeep 20 August 2019
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एक दौर था जब इस देश में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और अमिताभ बच्चन की दोस्ती की कहानियां कही जाती थी. राजीव और अमिताभ बच्चन की दोस्ती तब की थी जब राजीव गांधी 02 साल के थें और अमिताभ बच्चन 04 साल के थें. दोनों के बीच दोस्ती के अलावा पारिवारिक और घनिष्ठ संबंध भी रहे. राजीव गांधी के कहने पर अमिताभ बच्चन राजनीति मंे आए. लोकसभा का चुनाव भी लड़ा और जीत भी गए. इसके बाद दोनों दोस्त धीरे धीरे अलग होने लगे. आज, हम आपको बताते हैं कि इन दोनों गहरे दोस्तों के बीच ऐसा क्या हो गया कि जिससे की बचपन की दोस्ती में दरार आ गई.

नेहरु के दौर से शुरु हुई दोस्ती

गांधी नेहरु और बच्चन परिवार के बीच की यह दोस्ती पंडित जवाहर लाल नेहरु और हरिवंश राय बच्च के दौर में शुरु हुई. नेहरु जी जब देश के प्रधानमंत्री थें जब हरिवंश राय बच्चन विदेश मंत्रालय में हिंदी विभाग के अधिकारी थें. हरिवंश राय बच्चन की कार्यशैली के पंडित नेहरु कायल हुआ करते थें. ऐसे ही धीरे धीरे नेहरु और बच्चन एक साथ बैठने लगें. दोस्ती की शुरुआत हो गई. इधर हरिवंश राय बच्चन की पत्नी तेजी बच्चन और नेहरु जी की पुत्री इंदिरा नेहरु की भी दोस्ती शुरु हो गई. दोनों परिवारों के सदस्य एक दूसरे से मिलने लगें. इस तरह से दोनों परिवारों के बीच दोस्ती प्रगाढ़ होने लगी.

अमिताभ ने सुनाई दोस्ती की कहानी

अमिताभ बच्चन ने एक इंटरव्यू के दौरान इस बात का खुलासा किया कि उनकी राजीव गांधी के साथ दोस्ती इलाहाबाद के एक फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता के दौरान हुई थी. इस प्रतियोगिता में राजीव गांधी स्वतंत्रता सेनानी बने हुए थें, हालांकि उस वक्त अमिताभ को यह नहीं पता था कि जो बच्चा उनके साथ इस प्रतियोगिता में हिस्सा ले रहा है, वो पंडित नेहरु का नाती है.

कुछ ऐसी थी दोस्ती

राजीव गांधी जब पढ़ाई करने इंग्लैंड गए तो वहां से वो अक्सर अमिताभ को चिट्ठियां लिखा करते थें. अमिताभ से उनका लगाव ऐसा था कि वो जब भी वहां से भारत आते तो अमिताभ के लिए जींस और शर्ट लेकर आते. राजीव गांधी के बाद एक लंबरेटा स्कूटर हुआ करता था, जिस पर बैठकर दोनों साथ घूमा करते थें. ये स्कूटर अक्सर चलते चलते बंद हो जाता था तब अमिताभ को इसे स्टार्ट करने के लिए धक्का लगाना पड़ता.

1984 में अमिताभ को उतारा राजनीति में

समय बदलता रहा. 1984 में इंदिरा गांधी की शहादत के बाद राजीव गांधी राजनीति में आ गए. उन्होंने अमिताभ बच्चन को भी अपने साथ कर लिया और उन्हें इलाहाबाद से कांग्रेस का टिकट दे दिया. अमिताभ बच्च लड़े और जीत भी गए लेकिन दोनों की दोस्ती के बीच संकट यहीं से गहराने लगा. इसके बाद बोफोर्स के जिन्न ने भारतीय राजनीत में तहलका मचा दिया था.

विपक्ष ने लगाए अमिताभ पर आरोप

विपक्षी दलों ने अमिताभ बच्चन और उनके भाई अजिताभ बच्चन पर भी घोटाले के आरोप लगाए. इस घटना ने दोनों परिवारों की दोस्ती को ध्वस्त करके रख दिया. पूरा कार्यकाल बिताए बगैर अमिताभ बच्चन ने लोकसभा से इस्तीफा दे दिया और राजनीति से तौबा कर ली. वहीं 1991 में गांधी परिवार को एक और झटका लगा जब राजीव गांधी शहीद हो गए.

गांधी परिवार को लगा कि बच्चन परिवार ने उन्हें अकेला छोड़ दिया जबकि बच्चन परिवार का आरोप था कि उन्हें राजनीति में धकेल कर गांधी परिवार ने उन्हें अकेला छोड़ दिया. एक इंटरव्यू में अमिताभ बच्चन ने कहा था कि नेहरु गांधी परिवार राजा है और हम रंक हैं. राजा तय करता है कि उसे रंक के साथ दोस्ती रखनी है या नहीं. वैसे मेरा पूरा स्नेह और आदर गांधी नेहरु परिवार के साथ है और रहेगा.