Headline

सियाचिन ग्लेशियर को लेकर अक्सर चर्चा होती रहती है। एक ओर भारत की सेना तो दूसरी ओर पाकिस्तान की सेना यहां हमेशा आंख गड़ाए बैठी हुई नजर आ जाती है।

TaazaTadka

पद्मनाभ मंदिर : अगर खुल गया सातवां तहखाना तो सख्ते में आ जाएगी पूरी दुनिया

केरल का पद्मनाभ मंदिर पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन चुका है। भगवान विष्णु का यह मंदिर केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में स्थित है
Logic Sarthak upadhyay 14 October 2019

केरल का पद्मनाभ मंदिर पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन चुका है। भगवान विष्णु का यह मंदिर केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में स्थित है। इस मंदिर के रहस्य की गाथाएं इस तरह उलझी हुई है कि आज तक कोई भी इसे सुलझा नहीं सका है। मान्यता है कि यह मंदिर भारत का सबसे अमीर धर्म स्थल है लेकिन, इसके अंदर मौजूद धन को कोई भी हांसिल नही कर सकता है। मंदिर में कुल 7 दरवाजे हैं और सातवां दरवाजा ही समस्या का विषय बना हुआ है। आइए पद्मनाभ मंदिर का इतिहास जानने की कोशिश करते हैं।

कब और किसने बनवाया मंदिर?

कुछ इतिहासकार यह दावा करते हैं कि पद्मनाभ मंदिर का निर्माण 10 वीं शताब्दी में हुआ है लेकिन कुछ लोग इसे 16वीं शताब्दी का मंदिर मानते हैं। कहा जाता है कि त्रावणकोर के किसी राजा ने इस विशाल मंदिर का निर्माण कराया था। 1750 में त्रावणकोर के राजा मार्तंड वर्मा ने अपनी सारी संपत्ति और खुद को इस मंदिर में दान कर दिया था। भारत के आजादी तक केरल में त्रावणकोरों का शासन रहा और बाद में मंदिर की देख-रेख का जिम्मा एक प्राइवेट ट्रस्ट को सौंप दी गयी।

मंदिर के रहस्यमयी  दरवाजे

मंदिर के भीतर सात तहखाने हैं, जिन के दरवाजों को खोलने का अधिकार सुप्रीम कोर्ट ने दिया था। 6 तहखानों के दरवाजों को तो टीम ने सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में खोल लिया था। इन तहखानों के भीतर एक लाख करोड़ की संपत्ति मिली जिसमें सोने, चांदी, हीरे जेवरात आदि शामिल थे। लेकिन जैसे ही सातवें दरवाजे को खोलने का काम चालू हुआ दरवाजे की चित्रकला को देखकर तुरंत कार्य रोक दिया गया। दरवाजे में कोबरा सांप की चित्रकला थी और कुछ लोगों की यह मान्यता भी थी कि, इस दरवाजे को खोलना मृत्यु को दावत देना होगा।


शापित है यह दरवाजा

मंदिर के तहखाने का इतिहास बहुत जटिल तरीके से गुथा हुआ है। कुछ लोग बताते हैं कि त्रावणकोर के राजाओं ने अपनी बेशुमार दौलत को छुपाने के लिए यह तहखाने बनाए थे। तहखाने के निर्माण के बाद हजारों साल तक किसी ने भी यहां के दरवाजे नहीं खोले और इन्हें शापित करार कर दिया गया। कुछ लोगों ने खजाना ढूंढने की चाह में  दरवाजा खोलना चाहा, लेकिन जहरीले सांपों के काटने के कारण उनकी मृत्यु हो गई।

मंत्रों से बंधा हुआ है दरवाजा

मान्यता है कि मंदिर का यह दरवाजा कुछ मंत्रों की मदद से बांधा गया है और अगर इसे खोलने की कोशिश की गई तो दुनिया में भारी संकट आ सकता है। दरवाजा मजबूत स्टील का है तथा इस पर बने दो कोबरा सांपों की चित्रकला है जो इस दरवाजे की रक्षा करते हैं। इस दरवाजे को बंद करने के लिए किसी भी तरह का औजार (नट-बोल्ट) आदि का इस्तेमाल नही हुआ है। जानकार लोग बताते हैं कि दरवाजे को बंद करने के लिए ‛नाग बंधम’ और ‛नागपाशम’ मंत्र का उपयोग हुआ है। नाग मंत्र से बंधे इस दरवाजे को खोलने के लिए ‛गरुड़ मंत्र’ का साफ और सटीक उच्चारण करना होगा। अभी तक दुनिया में कोई भी वह सिद्ध पुरूष ज्ञात नहीं हुआ है जो इस चुनौती को स्वीकार कर दरवाजे को खोल सके। यहां तक कि यह भी कहा जाता है कि अगर यह दरवाजा खुल गया तो दुनिया का सर्वनाश निश्चित है।

अरबों का छुपा है खजाना

यह कहा जाता है कि मंदिर की बड़ी संपत्ति इस सातवें तहखाने में ही छुपाई गई है। कुछ लोग बताते हैं कि इस तहखाने में 2 लाख करोड़ से अधिक धन मौजूद है। हालांकि इतिहासकारों का कुछ अलग ही मानना है और उनके अनुसार 10 से 20 गुना राशि इस सातवें तहखाने में मौजूद है। कई विदेशी आक्रमणकारी खजाने की लालच बस मंदिर पर कब्जा करने आए लेकिन हर तरफ से उन्हें निराशा ही मिली।

Sarthak upadhyay

Sarthak upadhyay

मेरे बारे में कुछ ख़ास सुनना चाहेंगे तो वो है मेरा साधारण होना| मेरे को एक बीमारी भी है “सोचने की बीमारी” मैं खुद को इससे बचा ही नहीं पाता| इसी बीमारी ने मुझे लिखने का जज्बा दिया| गहराइयों में उतरने की आदत है मेरी, हालाँकि ज़्यादातर लोग इससे डरते है, बचते है, डूबने का खतरा जो होता है। लेकिन मैं अपनी कोशिश जारी रखता हूँ”। मैं अपने विचारों को एक कागज़ के पन्ने पर किस तरह उतारता हूं, यह आप मेरे लेख पढ़कर तय कर सकते हैं|