नई दिल्ली: हिंदी सिनेमा की एक लाइन है “खुश तो बहुत होंगे आज तुम”. ये लाइन पाकिस्तान के लिए हो सकती है आज के लिए. क्योकि FATF ने उसे ब्लैकलिस्ट नहीं किया. बोला चार महीने का समय है सुधर जाओ नहीं तो करे जाओगे. लेकिन लगता है, बकरे की माँ आखिर कब तक खैर मनाएगी?
हम्म तो भाईसाब इसके पास कुल समय बचा चार महीने. इसमें दो आप्शन हैं कि या तो आतंकियों को संभाल लो या फिर ब्लैकलिस्ट हो जाओ, लेकिन पाकिस्तान कहाँ मानेगा? इन चार महीनो में वो संभलने का काम करेगा लेकिन अलग तरीके से. पाकिस्तान सबसे पहले आतंकियों को ये आदेश देगा कि इन चार महीनो में जितना गोला बारूद असलहा जमा कर सकते हैं कर लीजिए. खाने-पीने का तो बाद में देख लेंगे लेकिन गोला बारूद जमा कीजिए और हाँ सब काम अंदर ही अंदर. ये सबसे पहला आदेश पाकिस्तान देने वाला है.
ऊपर बताई गई बातें तो पाकिस्तान पर हमेशा लागू होती है लेकिन आगे की बात उसके समझ में आएगी नहीं. इसीलिए वो पाकिस्तान के पालनहार, सरकार निर्माता हाफिज सईद के पास जायेंगे और कहेंगे जो अगला हुक्म हो वो मंजूर है. चार महीने का समय है जो करना है कीजिए. अब इमरान खान तो कुछ करने से ही रहा.
एक कहावत है कि “खाने को नहीं दाने और अम्मा चली भुनाने”. ये वाली लाइन पाकिस्तान पर सबसे बेहतर फिट बैठती है. अब पाकिस्तान जिसके पास प्याज टमाटर तो नहीं और चला है आतंकियों को पोषण देने. अरे नहीं नहीं, अपने आकाओं को पोषण देने भाईसाब. वही तो पाकिस्तान के लिए सब कुछ हैं. और चले हैं भारत से बराबरी करने. बेटा जितनी तेरी जनसँख्या है ना उतने से कैदी हमारे जेल में बंद हैं. अगर उनकी सजा माफ़ तो पाकिस्तान साफ़.
समझ नहीं आया कि नासमझ पाकिस्तान ने अभी तक ये क्यों नहीं कहा कि “FATF में blacklist हमें india ने कराया है. वैसे उसकी गन्दी जुबान से इंडिया का नाम अच्छा तो नहीं लगता है लेकिन बोलने का अधिकार तो हम देते ही है. चलो यही बोलेगा तो कम से कम दिन में किसी अच्छे शब्द का इस्तेमाल तो करेगा. ले ले पाकिस्तान तू हमारा नाम, हमने ही कराया है.
यार इस मसले पर तो पाकिस्तान कहता होगा कि ऐसा पड़ोसी किसी को ना दो. कश्मीर-कश्मीर चिल्लाने वाला पाकिस्तान आज भूख से तड़पने को मजबूर है. लेकिन आतंकवादियों को दाम पानी देने में पीछे नहीं है. बेटा जितने का तेरा पाकिस्तान है ना उतने की कश्मीरी शाल ओढ़ लेते हैं हम लोग सर्दियों में. समझा कि समझाए?
एक शेर है कि “एक और शख्स आज हमें छोड़कर चला गया, लेकिन कौन सा ये हमारे साथ पहली बार हुआ है”. तो इसमें पाकिस्तान के लिए कुछ अलग है. पाकिस्तान के लिए है कि “एक और जगह blacklist होने की तैयारी है, लेकिन कौन सा ये हमारे साथ पहली बार हुआ है”. अपनी फितरत से मजबूर पाकिस्तान आए दिन कहीं ना कहीं अपनी बेइज्जती करवाता रहता है. ब्लैकलिस्ट होना, भगा दिया जाना ये पाकिस्तान के लिए आम बात है. तो क्या हुआ जो कुछ महीने बाद pakistan अब FATF से blacklist होने वाला है. अगले को आदत पड़ चुकी है.
रे पाकिस्तान नहीं सुधरेगा ना तू? इसीलिए अब ऊपर बताए गए तरीकों पर चलकर अपनी तैयारियां कर ले चार महीने में. वो क्या है ना कि “बकरे की माँ कब तक खैर मनाएगी?”