हम जब भी बचपन याद करते हैं, तो उसमें शरारतें, बचपन के खेल, लड़ाईयां याद करते हैं, लेकिन उसके अलावा एक चीज और भी थी जो पूरे बचपन में हमारे साथ रही है – पार्ले जी। जी हां ये वही पार्ले जी बिस्किट है, जो शायद बहुत से बच्चों का पहला बिस्किट बनता है, क्योंकि जब एक बच्चा ढंग से खाना नहीं खा पाता तो मां इस बिस्किट को तोड़ कर दुध में मिला देती है और ये बिस्किट भी पूरी तरह से दुध में घुलकर बच्चों के लिए एक दम सही बन जाता है। पिछले 90 सालों से पार्ले जी बच्चों के लिए एक बेहतरीन नाश्ते की तरह इस्तेमाल होता रहा है।
उस खुशी का कोई मोल नहीं
5 रुपये लेकर पार्ले जी लेने के लिए दुकान पर भागना और फिर उसके मिल जाने की खुशी जो होती थी, वो मासूम सी मुसकुराहत और दुध में डुबा कर खाना और साथ में इस बात का भी ध्यान रखना कि कहीं वो दुध में डूब न जाएं, उसका एक अपना ही आनंद होता था। आज बेशक हजार किस्म के बिस्किट आ गए हैं, लेकिन क्या बच्चे क्या जवान अब भी बहुत से लोग चाय की टपड़ी पर खड़े हो कर पार्ले जी खाते नजर जरूर आएंगे।
90 सालों से ये बिस्किट भारत के लिए काफी अहम रहा है। भारत की सबसे बड़ी बिस्किट कंपनी, जो आज मंदी के दौड़ से गुजर रही है। 10 हजार कर्मचारी नौकरी खोने के करीब खड़े हैं। क्योंकि ये कंपनी अब अपने खर्चे नहीं निकाल पा रही है, टैक्स, मार्केट में रेस, इन सबके सामने अब ये कमपनी हार मान रही है।
कंपनी के कैटेगरी हेड मयंक शाह ने एक इंटरव्यू में कहा कि पार्ले जी कंपनी की सेल में भारी गिरावट आ रही है, जिसका मतलब कंपनी को अब उत्पादन भी घटाना होगा जिसकी वजह से अब लगभग 8000 से 10000 लोगों की कटौती की जा सकती है, हालात इतना ज्यादा खराब हो चुके हैं कि अगर सरकार इस मसले पर फौरन दखल नहीं देती तो इतने लोगों को तुरंत कंपनी निकाल सकती है। पहले से ही देश बेरोजगारी की मार खा रहा है वो अब एक और बड़ी कंपनी की बदहाली का शिकार हो जाएगा।
आज भले ही बिस्किट की खपत कम हो गई हो लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि बेहद ही सस्ते और स्वादिष्ट ये बिस्किट पूरे भारत में लोकप्रिय हैं, ”बचपन से बड़ा कोई स्कूल नहीं, क्यूरोसिटी से बड़ी कोई टीचर नहीं” का संदेश देते हुए झोपड़ी से लेकर रईसजादों तक की पहली पसंद रहे इस बिस्किट से साथ बहुत लोग बचपन से जवान और फिर बूढे हुए हैं। बहुत सी पीढ़ियों ने इसका सवाद चखा है और उसी सवाद के साथ बड़े हुए हैं।
आज पार्ले जी बिस्किट 5 रूपये से लेकर 50 रूपये तक आता है, ये कंपनी और भी बहुत सारी चीजें बनाती हैं जैसे कि सॉस, टॉफी, केक लेकिन इन सब का मार्केट बिस्किट के आगे फेल है। ये बिस्किट समाज का हर वर्ग चाहे वो गरीब हो या करोड़पति, चाहे वो बच्चा हो या फिर बूढ़ा हर कोई खाता है। सिर्फ इंसान ही नहीं बल्कि अब तो ये जानवरों की भी पहली पसंद बन गया है।
अब जब ये कंपनी मंदी के दौर से गुजर रही है तो ऐसे में इन सब बातों का याद आना तो लाज्मी है। आज हमारे चाय के साथ के बिस्किट बेशक बदल गए हैं, लेकिन यादों में पार्ले जी – जी माने जीनीयस हमेशा से हैं। कुछ ही रोज पहले एक मीम भी इससे जुड़ा देखा था, जिसमें एक कप में 2 बिस्किट जा रहे थे एक पार्ले जी और दुसरा मैरी गोल्ड और कैप्शन था एक बाहर आता नहीं और दूसरा जाता नहीं।