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किसान आंदोलन के जरिये किया जा रहा है मोदी सरकार पर वार

नए कृषि कानून (New agricultural laws) के विरोध में पिछले कुछ महीनों से चल रहा किसान आंदोलन (peasant movement)। और ये किसान आंदोलन हालही में दिल्ली बॉर्डर (Delhi Border) से जंतर-मंतर पहुंच गया है। दिल्ली पुलिस ने 200 किसानों को बसों में बिठाकर जंतर-मंतर आने के लिए रवाना किया और ‘किसान संसद’ को भी आयोजित करने की इजाजत दी।

शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal) एवं आम आदमी पार्टी (AAP) के सांसदों ने भी कृषि कानून को खत्म करने की मांग की और संसद परिसर के अंदर जमकर विरोध-प्रदर्शन किया। ये सब इसलिए क्यूंकि पंजाब विधानसभा चुनाव अगले साल से शुरू होने वाले है और सब अपने आप को इन किसानो के हितैषी के तौर पर पेश करने की कोशिश कर रहे है।

किसान नेताओं की मुख्य समस्या ये है कि उन्होंने तीनों कृषि कानूनों की वापसी को एक बड़ा मशला बना लिया है। उन्हें लगता है कि तीनों कानून वापस नहीं हुए तो उनकी बोहोत बेईज्जती होगी। उनका अपमान हो जाएगा, ये लोग सात-आठ महीने से धरने पर बैठे हैं और अगर कृषि कानून वापस नहीं हुए तो क्या मुहं लेकर वापस जायेंगे। और इसीलिए किसान नेता सरकार पर दबाव डाल रहे हैं। हालाँकि सरकार के लिए भी ये सम्मान का मुद्दा बन गया है। अगर कानून को प्रदर्शन से दबाव में आकर वापस ले लिया जाएगा तो इतना बड़ा देश है कि हर कानून के खिलाफ कोई न कोई सड़क पर उतरेगा।

वैसे बात ये है कि मोदी विरोधी (Anti Modi) चाहे कोई नेता हों या आम लोग, वे कभी नहीं चाहेंगे कि किसानों और सरकार के बीच का टकराव कभी भी खत्म हो। जो लोग अपनी कोशिशों से या वोट के दम पर मोदी को हरा नहीं पाए, वो अब किसानों के बदला ले रहे हैं। उन्हें लगता है कि किसान अगर मोदी से नाराज हो गए तो फिर मोदी को हराना आसान होगा।